खाली बटुआ
खाली बटुआ
आज बेटे की फीस पटाने का आखिरी दिन है, रानी ने सुबह ही पति रोशन को बता दिया था यदि आज बेटे की स्कूल की फीस नहीं पटी तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा, हर बार यही होता है, पति को तनख्वाह समय पर नहीं मिलती है और हर बार बेटे को स्कूल से वार्निंग।
बहुत दुखी है वह। रानी चाहती है उसका बेटा पढ़ लिख जाए ताकि उनकी गरीबी के दिन खत्म हो जाएं, पर ईश्वर उनके इम्तिहान लेते ही जा रहा है, समझ नहीं आता क्या करे।
पति के लाये पैसे तो महीना पूरा होने के पहले ही खत्म हो गए अब क्या किया जाए।
तनख्वाह भी इतनी नहींं कि बड़े आराम से सब काम हो जाये बस जैसे तैसे गुजारा चल रहा है।
पति काम से दोपहर को खाना खाने आया उसने पूछा "कुछ व्यवस्था हुई क्या पैसों की, " जवाब में उसने अपना खाली बटुआ रानी के सामने रख दिया।
तभी रानी को कुछ याद आया वह झपाटे से उठी और चप्पल पहन घर से निकल पड़ी, पति का खाली बटुआ उसके जेहन में घूम रहा था।
घर से थोड़ी दूर पर ही एक सिलाई सिखाने वाली मैडम रहती थी, रानी को उसने कहा था कभी कुछ जरूरत हो तो मेरे पास आना।
"क्या बात है रानी "-सिलाई सिखाने वाली मैडम आयुषी (नाम था उनका) ने कहा।
"जी मैडम आज समझ आ रहा है, की आपने सही कहा था कि औरतों को भी घर चलाने में पति का साथ देना चाहिए, मैं मूर्ख बस घर के कामों में ही उलझी रही, आप बताएं, क्या काम है, मैं करूँगी,मेरे बेटे की फीस भरनी जरूरी है।"
"कितनी फीस पटानी है रानी", मैडम ने बहुत प्यार से उससे पूछा।
रानी की आँखों से आँसू बहने लगे " दो हज़ार, मैडम यदि आज फीस नहींं पटी तो बच्चे को स्कूल से निकाल देंगे, आज आखिरी दिन है, और पति को भी तनख्वाह नहीं मिली है "
"तुम चिंता मत करो, कहकर मैडम ने। दो हज़ार रुपये उसके हाथ मे रख दिये "जाओ पहले स्कूल में फीस पटा कर आओ, फिर तुम्हे मैं काम समझाऊंगी।"
"जी जी मैडम"
"कुछ कहने की जरूरत नहींं है फ्री में नहींं दे रही हूं, काम भी लूँगी तुमसे, जाओ पहले बच्चे के स्कूल हो आओ।"
आज रानी को महसूस हुआ जब पति अकेला घर ना चला पाए तो उसका साथ देना कितना जरूरी है।
इस समय रानी को वह मैडम साक्षात ईश्वर का रूप लग रही थी।
स्कूल से आकर वह मैडम के पास आई मैडम ने उसे सिलाई से सम्बंधित जानकारी दी और कहा वह कल से आये और उसके साथ काम पर लग जाये,उसके काम का उचित मूल्य वह उसे देगी रानी खुश है, कभी सीखी हुई सिलाई उसके काम आ गई, अब वह भी काम करेगी चार पैसे आएंगे घर मे अब पति के बटुवे का मुंह हमेशा नहीं ताकना पड़ेगा उसे, अब सही मायने में वह अपने पति की अर्धांगिनी बनेगी, बच्चे को पढ़ाने का सपना भी उसका पूरा हो सकेगा।