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SANGEETA SINGH

Tragedy Inspirational

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SANGEETA SINGH

Tragedy Inspirational

खादी वाला गुंडा

खादी वाला गुंडा

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ब्रेकिंग न्यूज

पूर्व मंत्री रंजन यादव के कई ठिकानो पर आयकर विभाग के ताबड़तोड़ छापे ।करोड़ों ,अरबों की गुमनामी संपत्ति बरामद।रंजन यादव फरार। रंजन यादव गिरफ्तारी के डर से लगातार कई महीनों भागता रहा ।आखिरकार उसे उसके फार्म हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया।अमित ने टीवी ऑन किया तो ब्रेकिंग न्यूज में रंजन यादव की गिरफ्तारी दिखाई जा रही थी।अमित के चेहरे पर गहरा संतोष था।आखिर कौन था अमित और क्यों इस नेता की गिरफ्तारी पर उसके चेहरे पर मुस्कान खेल रही थी।इसे जानने के लिए कुछ 9_10 साल पीछे जाना होगा।

18 साल का अमित पढ़ने लिखने में होशियार हर क्लास में अव्वल ,बहन स्निग्धा पढ़ाई में एवरेज थी। ,दोनों में खूब पटती थी और दोनों झगड़ते भी खूब थे।बहन और भाई में 1 साल का अंतर था।जानकी की जान बसती थी दोनों बच्चों में। राघव की असमय मृत्यु के बाद बड़े संघर्ष कर उन दोनों बच्चों की परवरिश कर रही थी।राघव की जगह उसे स्कूल ने क्लर्क की जगह नौकरी मिल गई थी,लेकिन दोनों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पर्याप्त नहीं थी,क्योंकि वो प्राइवेट स्कूल था तनख्वाह काफी कम थी।स्निग्था ने 12 वीं के बाद मेडिकल पढ़ाई के लिए नीट का एग्जाम दिया जिसमें उसे डेंटल में दाखिला मिला ।जानकी खुश थी ।उसने अमित के लिए अच्छे ट्यूशन की व्यवस्था कर दी ,अब तो उसके रहे सहे गहने भी खत्म हो गए थे उम्मीद थी, बेटा जरूर एमबीबीएस डॉक्टर बनेगा ,दोनों बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं तो उसकी  तपस्या सफल हो जाएगी।

स्निग्धा हॉस्टल से आती तो अमित खूब खुश होता वो वहां की सब बातें बताती।

अमित कड़ी मेहनत कर रहा था किसी को कोई शक ही नहीं था कि वो नीट क्लियर नहीं करेगा।नीट का रिजल्ट आया ,अमित का सिलेक्शन ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज में हो गया था ,बिहार का होने के कारण उसने अपनी पसंद पटना डाली थी,उसे वहां से बुलावा आ गया। हर कोई खुश था ,जानकी ने सबको मिठाई बांटी आज उसका सपना साकार रूप लेने वाला था।अमित के जाने की पूरी तैयारी हो गई ,बहन स्निग्धा भी भाई को छोड़ने साथ गई।

 अमित जैसे ही एडमिशन लेने गया,एक सीनियर मेडिकल ऑफिसर आए और उन्होंने उसे और जानकी की अपने कमरे में बुलाया और गंभीर शब्दों में कहा _मुझे खेद है ,हम तुम्हारा एडमिशन नहीं ले सकते।पर सर ये नहीं हो सकता_स्निग्धा की मां गिड़गिड़ा रही थी।अमित अवाक था ,उसके पैरों में जान नहीं बची थी वो धड़ाम से गिर ही जाता अगर स्निग्धा ने उसे थाम कर कुर्सी पर न बिठाया होता।

"सर मैने एग्जाम क्लियर किया है ,काउंसलिंग भी हुई ,अब आप मेरा एडमिशन क्यों नहीं ले रहे?"

"नहीं ले सकते तो नहीं ले सकते..". _ऑफिसर ने खीजते हुए सिक्योरिटी को बुलाया और उन्हें बाहर निकालने को कहा।जब व्यक्ति के पास कोई सीधा जवाब नहीं होता है तो वह किसी तरह भी उस सवाल से पीछा छुड़ाने का प्रयत्न करता है।

जानकी चीखने लगी सर ऐसा मत करिए मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है।बहुत मिन्नतों के बाद पता नहीं क्यों उस ऑफिसर को दया आ गई उसने धीमे से जानकी से कहा "मैम ,आप मेरी बात को समझने की कोशिश करिए ,अपने बेटे को एक साल और तैयारी करने को कहिए।"

"पर क्यों??" जानकी की आवाज तेज थी।

"मंत्री जी की बेटी का एडमिशन अमित की सीट पर हो गया है" ऑफिसर ने धीमे से कहा।

"मंत्री जी की बेटी?" जानकी बोली ।

"मैं पुलिस में कंप्लेन करूंगी,कोर्ट जाऊंगी,ऐसा अन्याय नहीं होने दूंगी अपने बेटे के साथ,उसका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।"

"कुछ नहीं कर पाएंगी आप उनका ,इसलिए आपके और आपके बेटे के लिए अच्छा है कि अपना मुंह बंद ही रखें,अन्यथा भयंकर परिणाम भुगतने होंगे।"

"मैं नहीं डरती मंत्री की धमकियों से" जानकी गुर्राई।तभी उसका मोबाइल बज उठा ।उसने फोन उठाया तो,उधर से लाइन पर मंत्री जी थे

मंत्री जी की आवाज जानकी के कानों में गूंजी _"क्यों जानकी ,ज्यादा ही उछल रही हो।बिटिया कैसी है, अरे अरे .....ये क्या पूछ रहा हूं ,वो तो अभी अच्छी ही है ना,डेंटल की पढ़ाई कर रही है न,हॉस्टल में .....।वहां कॉलेज के पास कुछ दूरी पर एक जंगल है,ऐसा न हो बिटिया जंगल घूमने जाए और फिर वापस न आए.....एक भद्दी सी हंसी फोन पर गूंजी।"

जानकी उपर नीचे पसीने से नहा गई।तभी फिर से आवाज़ गूंजी क्या सोच रही हो,"वैसे तुम भी कम खूबसूरत नहीं हो ,कभी हमारे फार्म हाउस आओ,फिर मिलते हैं।"

जानकी के हाथों से फोन छूट कर नीचे गिर गया।स्निग्धा और अमित बाहर कुर्सी पर बैठे थे,आवाज सुन दौड़ कर अंदर आए तो देखा , मां पाषाण बनी खड़ी थी,फोन नीचे गिरा था।

कल तक जो खुशी का माहौल था ,अब गम में बदल चुका था।बड़ी मुश्किल से जानकी को लेकर दोनों बच्चे घर आए।कई दिनों तक तीनों घर में कैद रहे ,निराशा की चादर ने तीनों ने ओढ़ रखा था।अमित की हालत तो और ही खराब थी।कहते हैं ना नारी जितनी कोमल होती है ,अंदर से उतनी मजबूत।जानकी ने खुद को समझाया ,अपने अंदर चल रहे द्वंद से लड़कर अपने बच्चों के लिए खड़ी हुई।उसने स्निग्धा को काफी हिदायत दे कर कॉलेज भेजा।अमित को समझाना शुरू किया ,_"बेटा तू फिर से तैयारी कर ,ईश्वर ने तुम्हारे लिए कुछ और अच्छा सोच रखा होगा।इस दुनिया में अगर जीतना है तो शिक्षा से ही।तेरे पिता के जाने के बाद तुम दोनों ही मेरे जीने का मकसद हो , मैं नहीं चाहती कि तुम्हें और स्निग्धा को कुछ हो।हम मिडिल क्लास लोग उन सफेदपोश गुंडों से पंगा नहीं ले सकते,कानून,प्रशासन सब उनके पावर और पैसे के आगे बौना है।"

अमित कुछ समझा ,कुछ नहीं,क्योंकि उसकी हालत ही नहीं थी कुछ समझने लायक ,वह रात रात नहीं सो पा रहा था।जैसे नींद आती वैसे ही सपने में उसे कॉलेज दिखाई देता जहां से उसे कुछ लड़के बाहर धक्का देते दिखते, वह जाग कर उठ बैठता ,और चिल्लाता मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

जानकी परेशान थी , समझाती रहती, वह अमित को एक मिनट के लिए भी अकेला छोड़ने में डरती उसे आशंका थी कि कहीं अमित कोई गलत कदम न उठा ले।आखिरकार वह उसे मनोचिकित्सक के पास ले गई ,उसकी काउंसलिंग कराई ,करीब 1 साल लगा अमित को उस ट्रॉमा से बाहर निकल पाया।अमित को जानकी और स्निग्धा ने प्यार ,और समझदारी से संभाल लिया। 

जानकी बच्चों के सामने मजबूत बनी रहती ,लेकिन अंदर ही अंदर उस अपमान ,निराशा से घुट रही थी , उस मंत्री के शब्द उसके कानों में हमेशा गूंजते।क्या वो इतनी असहाय थी , कि अपने बच्चे के भविष्य को उस मंत्री के हाथ बर्बाद होने दिया।उसके कारण उसका बच्चा अवसाद में चला गया था। उसे उस तंत्र पर गुस्सा आ रहा था जो पैसे और रसूख के कारण गरीब,असहाय,और मेधावी लोगों की प्रगति में बाधा बन जाता है।अमित ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था ,उसका मकसद किसी भी तरह बदला लेना था,लेकिन कानून की हद में रह कर।

बीडीएस कंप्लीट करते स्निग्धा ने जानकी और भाई की सहमति से अपने पसंद के लड़के गौरव से विवाह कर लिया जिसने उसी के साथ पढ़ाई की थी।एक दिन अचानक जानकी दुनिया को अलविदा कर गई ।अब अमित अकेला पड़ गया ,बहन यदा कदा आती थी लेकिन उसे भी कहां फुरसत की उसके दुख सुख बांट सके।

अमित ने पढ़ाई में अपने आप को झोंक दिया,और दो साल में ही उसने खुद को साबित भी कर दिया।उसने भारत की सबसे कठिन परीक्षा सिविल सेवा की परीक्षा पास कर ली,और उसे उत्तर प्रदेश कैडर अलॉट हुआ , उसकी पहली पोस्टिंग एसडीओ के रूप में हुई।तेज तर्रार ऑफिसर के रूप में उसकी गिनती गिनी जानी लगी ।उसे केंद्र में बुला लिया गया वहां गृह मंत्रालय में सहायक सचिव के रूप में तैनाती मिली। एक दिन विरोधी दल के नेता रंजन यादव की फाइल उसके हाथ लगी।उसके बाद अमित ने उसके खिलाफ लगे सारे आरोपों को थाने में प्राथमिकता से कार्यवाही करने का निर्देश दिया।क्राइम ब्रांच और आयकर की संयुक्त टीम लगा दी।

और आखिर कार वो रंजन यादव के छिपे करतूतों को दुनिया के सामने लाने में कामयाब हो गया ।अब रंजन यादव गिरफ्तार था ।अमित पटना जाने को तैयार होने लगा,सालों का हिसाब जो लेना था।कुछ सवाल और जवाब करने और पाने थे।आज नेता पद प्रतिष्ठा पाने के बाद उसी जनता का दोहन करते हैं जिसने उन्हें बनाया।पैसा,शोहरत,गुंडे ,,सब कुछ सफेद खादी के कुर्ते में छुपाए अच्छे बनने का नाटक करते हैं।

 


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