कच्ची उम्र का प्यार (भाग-8)
कच्ची उम्र का प्यार (भाग-8)
वह दिवाली मेरी जिंदगी की सबसे बेहरतीन दिवाली थी, क्योंकि दिवाली के साथ साथ इतनी बड़ी खुशी जो नसीब हुई थी।
रेस्त्रां मे आरती के साथ बिताये हुए पल मेरी जिंदगी के खूबसूरत लम्हो मे से एक था।
घर पहुँचते ही आरती का मेसेज आया
" I hv reached home....thankyou for making this day one of the best moments of my life..Miss you"
मैंने भी उत्तर दिया
"You welcome dear..This day is also one of the best moments of my life..miss you too"
उस शाम आरती के घर पर दिवाली के साथ उसका जन्मदिन भी मनाया गया और वादे के मुताबिक उसे सेल फोन भी मिल गया
उस समय एंड्रॉइड की संख्या तो काफी हो गई थी लेकिन हम दोनो के पास की-पैड वाला फोन था।
उस समय जुनून ज्यादा था।परिपक्वता की कमी थी।
उस समय काल रेट भी बहुत महंगे थे इसीलिए हम दोनो ने वोडाफोन का नाइट पैक करवा रखा था। रात मे हमदोनो की घण्टो बाते होने लगी।हमदोनो एक दूसरे को रोक नही पा रहे थे।
हमदोनो की लव स्टोरी प्रतिदिन बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही थी।या यू कहें हम दोनो अपना बेस्ट मोमेंट्स जी रहे थे।प्यार इतना बढ़ गया की हमदोनों एक दूसरे की रूह तक पहचानने लगे थे।क्लास में आँखों- आँखों मे बात हो जाती थी
एक दूसरे का चेहरा देखकर दिल का हाल जान जाते थे।प्यार के उस खूबसूरत पल को बड़े ही करीब से देखा मैंने।
उस समय यही लगता था की आरती बेस्ट है..उसके जैसा कोई नही...वही जन्नत है, वही सबकुछ है।
हमदोनो एक दूसरे के प्यार को खूब एन्जॉय कर रहे थे।
फिर एक दिन आरती ने बताया की उसे दो हफ़्तों के लिए बिहार जाना है..बुआ की लड़की का शादी है।
मैं मायूस हो गया
मैं- अरे यार दो हफ्ते क्या करोगी? शादी एक दिन होती है न।
आरती- सबलोग ज रहे है। और बुआ काफी दिन से कह रही है कि 15 दिन पहले आना है सबको।
मैं- कैसे रहेंगे तुम्हारे
आरती- रहा तो मुझसे भी नही जायेगा। लेकिन क्या करे मजबूर हूं सब जा रहे है तो जाना ही पड़ेगा।
मैं- अब क्या बताये तुमको..डेली काल मेसेज करती रहना।
आरती- मैं कोशिश करूँगी..लेकिन वहा नेट्वर्क कम ही रहता है।
मैं-नेट्वर्क भी नही रहता। बहुत अच्छा..
मैं थोड़ा गुस्से मे बोला
आरती- आप गुस्सा न करो। मैं कोशिश करूँगी न
मैं- ठीक है।
उस समय आरती को बाय बोलते वक्त लगा जैसे मेरी जान ही जा रही हो।
मैं- अपना ख्याल रखना।
आरती- आप भी
अब आरती दो हफ़्तों के लिए बुआ के चली गई थी
अब मैं उसे बहुत मिस करने लगा।वहा जाने के बाद उसके फोन मे नेट्वर्क भी नही रहता था।बात भी बड़ी मुश्किल से हो पाती थी जब वो चुपके से घर से थोड़ी दूर जाके बात करती थी।
मैं परेशान हो गया..उसके बिना एक एक पल बड़ी मुश्किल से कट रहा था ऐसा लग रहा था मानो एक सेकंड घण्टो के बराबर हो।
इन दो हफ़्तों मे हमने महसूस किया कि किसी से दिल से जुड़ने पर उसके बिना रहना कितना मुश्किल होता है, कितना कठिन होता है।
शेष कहानी अगले भाग में..

