कातिल कौन? पार्ट - 3
कातिल कौन? पार्ट - 3


पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि ऑफिसर समीर और इंस्पेक्टर रमन और एक दो स्टाफ खंडहर में जाते हैं, उन्हें खंडहर में फोन करके किसी ने बुलाया होता है, जो राघव के कातिल को जानने का दावा कर रहा है, पर वहां उन्हें प्रीति और प्रधान का बेटा सूरज मिलता है, कुछ पूछताछ के बाद समीर उन्हें जाने देता है और समीर को वहां वो व्यक्ति नहीं मिलता, जिसने उन्हें बुलाया था और समीर और उसके साथी वहां से चले जाते हैं अब आगे पढ़िए
"अरे! ये पुलिस वाले कातिल को तो ढूंढ़ नहीं पा रहे है; हम निर्दोषों से सवाल करते रहते हैं।" गुस्से में प्रीति बोली, जो सूरज के साथ कार में वापस घर जा रही होती है।
" उनकी कोई गलती नहीं है, ऐसे हम उन्हें अकेले खंडहर में मिलेंगे, तो सवाल तो वो हमसे पूछेंगे ही ना और वैसे भी वो सवाल नहीं पूछेंगे; तो कैसे काम चलेगा, ये उनका काम है; उन्हें करने दीजिए।" सूरज बोला।
"हम्मम, वो भी है; थैंक यू सूरज, जो तुमने यह पैसे दिए,शालू के बहुत काम आयेंगे।" प्रीति ने कहा।
"अरे! थैंक यू की कोई बात नहीं है; और जरूरत हो तो आप बताना; मैं दे दूंगा।" सूरज ने कहा।
दूसरी तरफ शालू, चुपचाप एक तरफ बैठी है उदास सी और दूसरी तरफ उसकी रोती हुई सास को कुछ गांव की औरतें सांत्वना दे रही है, प्रीति की मां सुरेखा कहती है" संभाल अपने आपको, ऐसे रोती रहेगी; तो तेरी तबियत बिगड़ जाएगी।"
" हां सुरेखा जीजी, सही कह रही है; तुझे खुद को संभालना है और तेरी बहू को भी संभालना है; इसकी तो अभी अभी शादी हुई थी, इसने तो अभी अपनी गृहस्थी शुरू की थी, और देखो आज इसकी गृहस्थी उजड़ चुकी है।" दूसरी पड़ोसन श्यामा बोली।
एक दम गुस्से में शालू की सास खड़ी होती है और कहती है" खा गई मेरे बच्चे को, इतने मनहूस पैर थे इसके; निकल यहां से जल्दी निकल, गुस्से में दहाड़ती हुई शालू की तरफ बढ़ती है।"
सुरेखा और श्यामा उसे रोकती है, सुरेखा कहती है" अरे! इसमें इसकी क्या गलती, किसी ने राघव को मारा है; और फिर किसी का पति मरे, तो औरत का क्या दोष इसमें; जीना मरना हमारे हाथ में है क्या, बुरा मत मानना रोहिणी, पर राघव के पापा भी तो जब वो बारह साल का था, तभी चल बसे; तो क्या तू खा गई थी उनको, नहीं ना; तो बस बहू को दोष ना दे।"
"तो क्या करूं मैं, एक बेटा था वो भी चला ग
या; अब क्या करूंगी मैं जीकर।" रोती हुई रोहिणी बोली
"संभाल खुद को, चुप हो जा।" श्यामा रोहिणी के आंसू पोंछते हुए कहती है।"
दूसरी तरफ एक सुनसान से खंडहर में एक आदमी का मुंह, हाथ और पैर बंधा होता है, उसकी आंखों में डर और दहशत सी होती है तभी वहां दो आदमी आते हैं और उस बंधे आदमी से एक आदमी कहता है" होश आ गया भाई तुझे; बड़ा आया था पुलिस को खबर देने वाला, की राघव का कातिल कौन है; बहुत जासूस बन रहा था और दोनों आदमी हंसने लगते हैं, बंधा हुआ आदमी उस खंडहर में आया था, समीर को कातिल के बारे में बताने, पर इन दोनों आदमियों ने जाकर इसको किडनैप कर लिया; जब वहां ऑफिसर समीर, प्रीति और सूरज से पूछताछ कर रहे थे, तभी मौका देख कर ये दोनों बदमाश इस बंधे आदमी को इस दूसरे खंडहर में ले आए।
"इसका हाथ और मुंह खोलकर इसे पानी दे दे, पी लेगा और फिर कुछ खाने को दे दे।" एक ने दूसरे से कहा।
"ठीक है।" दूसरे ने कहा।
" पर, अगर तू चिल्लाया; तो हमेशा के लिए तेरा मुंह मैं यही बंद कर दूंगा।" चाकू दिखाते हुए पहला आदमी बोला।
बंधे आदमी ने इशारे में हां कहा और उस आदमी का हाथ और मुंह खोल दिया।
उस पीड़ित आदमी ने बहुत पानी पिया और फिर कहा" मुझे जाने दो, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा।"
"यहां तुझे क्या तकलीफ है, खाना भी देंगे अभी, पानी भी दे दिया; आराम से सो रहा है; कोई टेंशन नहीं है।" हंसता हुआ एक आदमी बोला।
"प्लीज़, मुझे जाने दो; भगवान के लिए।" हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए पीड़ित ने कहा।
"अबे, चुप; भगवान के लिए या पुलिस के लिए?और फिर दूसरे आदमी से बोलता है" जा इसके लिए खाना ले आ।"
पीड़ित आदमी रोने लगता है, किडनैपर बोलता हैं" रोना बंद कर; अभी तो तुझे कुछ किया नहीं हैं हमनें, तो तू ऐसे रो रहा है।"
तभी दूसरा आदमी खाना लेकर आता है और पहला आदमी उस पीड़ित से कहता है" ले खाना खा, चुपचाप।"
" मुझे नहीं खाना, मुझे घर जाना है।" रोते हुए पीड़ित बोला।
"खा रहा है या तेरा काम तमाम करूं।" एक किडनैपर बोला।
" नहीं, नहीं मुझे कुछ मत करो; खा रहा हूं मैं।" डरते हुए पीड़ित बोला।
और दोनों किडनैपर्स हंसने लगते हैं