Akanksha Gupta

Abstract

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Akanksha Gupta

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कातिल भाग-1

कातिल भाग-1

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एक अंधेरे कमरे में अखबार के कुछ कटे हुए हिस्से एक दीवार पर चिपके हुए थे। एक हिस्से पर किसी परिवार के जल कर मरने की खबर थी तो दूसरे हिस्से पर उस हादसे को कत्ल बताती हुई दूसरी खबर छपी हुई थी। अखबार के एक हिस्से पर उस परिवार के सदस्यों की तस्वीर थी, जिसमें एक दम्पति के साथ उनका एक बच्चा भी था।

एक साये ने उस कमरे का दरवाजा खोला और बिना लाइट जलाये अंदर आ गया। उसने कमरे की खिड़की पर से पर्दा हल्का सा खिसकाया, जिससे एक मद्धम रोशनी कमरे के अंदर आने लगी। उस साये ने उस हादसे या साजिश का शिकार हुए परिवार की तस्वीर को सहलाया और पर्दा वापस खिड़की पर डाल दिया जिससे कमरा अंधेरे में डूब जाता हैं।

उधर सिंघानिया मेंशन में आज पार्टी की रौनक थी। पार्टी में बड़े-बड़े उद्योगपति अपने परिवार के साथ शिरकत कर रहे थे। सभी अपने हाथों में ड्रिंक्स लिए खड़े हो आपस में एक दूसरे से बात कर रहे थे। चर्चा का विषय था- सिंघानिया ग्रुप्स के पांच हजार करोड़ के एम्पायर का उत्तराधिकारी कौन है, जिसे पुरषोत्तम सिंघानिया आज सामने लाने वाले है?

“आखिरकार आज मिस्टर सिंघानिया अपनी कम्पनी के नए चेहरे को बेपर्दा करने के लिए तैयार हो ही गए।” हाथ के गिलास को हवा में लहराते हुए किसी के चेहरे पर हंसी तैर गई।

“देखिए भाईसाहब, आज नही तो कल ये तो करना ही था मिस्टर सिंघानिया को। आखिर बाप की विरासत बेटे को ही संभालनी होती हैं।” किसी ने हाँ में हाँ मिलाई

ये बातें चल ही रही थीं कि माइक पर मिस्टर सिंघानिया की आवाज गूंज उठी- “योर अटेंशन लेडीज एंड जेंटलमैन। पहले तो मैं आप सभी का मेरी खुशी में शामिल होने के लिए शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। जैसा कि आप सभी जानते है कि आज से बीस साल पहले सिंघानिया एम्पायर की नींव दुनिया और समाज के लिए कुछ करने की इच्छा के साथ रखी गई थी। अपने वर्कर्स, स्टाफ और आप सभी लोगों के साथ की बदौलत हम अपने इस मकसद में काफ़ी हद तक कामयाब भी हुए हैं लेकिन समय के साथ साथ चेंज होना भी जरूरी हो जाता हैं, खासकर तब जब बात आज की युवा पीढ़ी की हो।”

“आज की यंग जेनरेशन हमारी सोच से कही ज्यादा एडवांस और मॉर्डन ख्यालात रखती हैं और इसीलिए आज इस एम्पायर को एक नया चेहरा मिलने वाला है जो अपनी यंग एंड मॉर्डन सोच के जरिये इस एम्पायर को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।”

“तो चलिए देर किस बात की। प्लीज वेलकम टू ऑवर न्यू फेस ऑफ द सिंघानिया एम्पायर एंड माई सन......'विधान सिंघानिया।' मिस्टर सिंघानिया के इतना कहते ही तालियों की गड़गड़ाहट हुई और सीढ़ियों पर स्पॉटलाइट की रोशनी के साथ एक नौजवान सीढ़ियों से नीचे उतर कर आया।

उस नौजवान के साथ एक उम्रदराज महिला भी नीचे उतर कर आई थी। उन दोनों के नीचे आते ही मिस्टर सिंघानिया उनके पास जाते हैं और फिर कहना शुरू करते हैं- “ सो लेडीज एंड जेंटलमैन, यह है इस एम्पायर के नए सूत्रधार और हमारे न्यू मैनेजिंग डायरेक्टर विधान सिंघानिया और यह है हमारी जीवनसाथी मिसेज माधवी सिंघानिया जिनकी साथ की वजह से आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं।”

मिस्टर सिंघानिया की बात खत्म होते ही वहाँ तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। इसके बाद मिस्टर सिंघानिया ने विधान को माइक दिया और पत्नी के साथ थोड़ी दूर पर जाकर खड़े हो गए।

इसके बाद विधान ने अपनी बात कहनी शुरू की-“हेलो एवरीवन, थैंक टू ऑल ऑफ यू फॉर एप्रीशिएट मी। मै बस आप लोगों से इतना ही कहना चाहूंगा कि जैसा कि पापा ने कहा कि हमारी जेनरेशन की सोच उनसे ज्यादा मॉर्डन और एडवांस है तो मैं आपको बता दूँ कि यह एम्पायर और इससे जुड़ा हर शख्स जो हमारा एक दूसरा परिवार है, उसी मकसद को लेकर आगे बढ़ेगा जिस मकसद से इस परिवार को बनाने की शुरुआत हुई थी। हमारा तरीका बदल सकता हैं लेकिन मकसद नही। आखिर में मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ कि मैं आप लोगों के बीच आपका दोस्त बनकर रहना चाहता हूँ। उम्मीद है कि आप सब के साथ की बदौलत हम जल्दी ही नई ऊंचाइयों पर होंगे। दैट्स ऑल, थैंक यू।”

अपनी बात खत्म करने के बाद तालियों की गड़गड़ाहट के बीच विधान माइक अपने पिता को दे देता है। उसके बाद मिस्टर सिंघानिया ने फिर कहना शुरू किया- “विधान की बातें सुनकर आज दिल को सुकून मिल रहा है कि मेरी मेहनत आज सफल हुई। खैर आप लोगों के लिए एक अनाउंसमेंट और बाकी है और उसके लिए मैं मिस दीप्ति मृण्जल को आगे बुलाना चाहूँगा।”

उनके इतना कहने पर एक लड़की आगे आई। उसके चेहरे पर संकोच झलक रहा था। उसने पार्टी के ड्रेस कोड से अलग एक भारतीय परिधान पहन रखा था। इसकी वजह से सब उसे अजीब नजरों से देख रहे थे।

वह आकर मिस्टर सिंघानिया के पास खड़ी हो गई। मिस्टर सिंघानिया ने उसकी तरफ देखा और फिर सामने खड़े हुए लोगों से मुखातिब होते हुए बोले- “मिस दीप्ति हमारी कम्पनी में काम करने वाली एक होनहार और काबिल एम्प्लॉई हैं। ये हमारी कम्पनी के अकाउंट डिपार्टमेंट में चीफ अकाउंटेंट है और इनकी ईमानदारी और मेहनत की वजह से हमारी कम्पनी आज नयी ऊँचाई पर है।”

जब पुरषोत्तम सिंघानिया दीप्ति के बारे मे ये सारी बातें कर रहे थे तो मिसेज माधवी के चेहरे पर एक गुस्सा झलक रहा था जिसे पुरषोत्तम देख कर भी नजरअंदाज कर गए और अपनी बात जारी रखी- “मिस दीप्ति ना केवल मेहनती और ईमानदार हैं बल्कि एक बहादुर और हिम्मती लड़की हैं। जैसा कि आप सभी जानते है कि आज से लगभग ढाई साल पहले घर लौटते समय मेरी कार का एक मेजर एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें मै और मेरा ड्राइवर बुरी तरह घायल हुए थे। तब हम दोनों को किसी ने सही समय पर हॉस्पिटल पहुंचा कर हमारी जान बचाई थीं।” 

“उस समय उस इंसान ने बड़ी ही आसानी से अपनी पहचान छुपा ली थी लेकिन कहते है ना कि अच्छाई खुद को छुपाने की कितनी भी कोशिश कर ले, एक न एक दिन सामने आ ही जाती हैं। ऐसे ही उस इंसान की पहचान भी हमारे सामने आ गई जिसने हमारी जान बचाई थीं और वो नेकदिल और बहादुर इंसान और कोई नहीं बल्कि मिस दीप्ति मृण्जल है।”

यह कहते हुए पुरषोत्तम ने दीप्ति की ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक आश्चर्य झलक रहा था जैसे उसे इसकी उम्मीद नहीं थी। उसे देखते हुए मिस्टर सिंघानिया ने आगे कहना शुरू किया- “आज इन्हीं की हिम्मत की वजह से मैं आप सब के बीच यूं सही सलामत खड़ा हूँ। मैं मिस दीप्ति का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।”

मिस्टर सिंघानिया कुछ देर के लिए चुप हो गए। सबकी धड़कने तेज और सांसे रुकी हुई थी कि मिस्टर सिंघानिया अब आखिर कहने क्या वाले हैं? थोड़ी देर रुकने के बाद मिस्टर सिंघानिया फिर से बोले- मैं जानता हूँ कि आप सभी क्या सोच रहे हैं और मैं अब वही अनाउंसमेंट करने जा रहा हूँ। आज से मिस दीप्ति हमारी कम्पनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हो रही हैं और ये कम्पनी की फाइनेंशियल एडवाइजर भी होगी। इसी के साथ यह पार्टी शुरू करते है। एन्जॉय द पार्टी एंड हैव फन।”

मिस्टर सिंघानिया की बात पूरी होते ही सभी लोगों ने चियर्स अप किया और फिर विधान और दीप्ति को कांग्रेच्यूलेट किया। मिस्टर सिंघानिया के कुछ दोस्त भी मिस्टर सिंघानिया को बधाई दे रहे थे। इन सब के बीच माधवी का मूड खराब लग रहा था।

कुछ देर बाद मिस्टर सिंघानिया को एक फोन आता हैं जिसे सुनने के लिए वे अपने स्टडी रूम में गये। जब वे अपनी बात खत्म करके पीछे मुड़े तो माधवी खड़ी थी। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था। 

पुरषोत्तम उन्हें अनदेखा कर बाहर जाने लगे तो माधवी ने उन्हें रोक कर कहा- “ये सब क्या है पुरषोत्तम? तुम क्या कर रहे हो, कुछ पता भी है तुम्हें?”

मैं क्या कर रहा हूँ? अपने बेटे को मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया है और क्या किया है मैने जो तुम इस तरह से रिएक्ट कर रही हो?” पुरषोत्तम ने फोन में नजरें गड़ाते हुए कहा।

अब माधवी को गुस्सा आ गया। उसने पुरषोत्तम को कंधो से पकड़ा और बोली- “तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं किसकी बात कर रही हूँ। क्या जरूरत थीं तुम्हें उस दीप्ति को अपनी कम्पनी में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल करने की?”

“तुम भूल रही हो शायद, उसने अपनी जान खतरे में डालकर मेरी जान बचाई थीं और इसके लिए उसे इतना तो दिया ही जा सकता है।” पुरषोत्तम ने माधवी को पीछे धकेलते हुए कहा और बाहर जाने लगा। 

माधवी ने आगे बढ़कर उसका रास्ता रोक लिया- “उस एहसान के बदले तुम उसे सी.ए. जॉब दे चुके थे। फिर इतनी बड़ी मेहरबानी करने की क्या जरूरत थी? कही ऐसा तो नहीं कि तुम्हारे दिमाग में कुछ और ही चल रहा है?” माधवी ने पुरषोत्तम से शक भरे लहजे पूछा तो वह हड़बड़ा गया और माधवी पर चिल्लाते हुए बोला- ये क्या बकवास कर रही हो तुम? शर्म नहीं आती आज के दिन ऐसी बातें करते हुए। खैर तुम्हें जो सोचना है सोच सकती हो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं नहीं चाहता कि कम से कम आज के दिन कोई तमाशा हो। और हाँ, अगर तुम्हारा मन हो तो नीचे आ जाना। आज हमारे बेटे के लिए एक बड़ा दिन है और मैं नहीं चाहता कि वो इन चक्करों में पड़े।” इतना कहने के साथ ही पुरषोत्तम माधवी को धक्का देकर बाहर निकल जाता हैं और माधवी खड़ी देखती रह जाती हैं।

अगली सुबह टेलीविजन पर न्यूज चैनलों में एक ही सुर्खियां चल रही थीं।

“अपने बेटे को सिंघानिया एम्पायर सौंपने के बाद बिजनेस टायकून पुरषोत्तम सिंघानिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, वजह अभी साफ नहीं।”

वो साया उस अंधेरे कमरे में यह खबर टीवी पर देखता है और फिर हवा में शराब का गिलास लहरा कर कहता है- “हैप्पी जर्नी मिस्टर पुरषोत्तम सिंघानिया। हैल इज वेटिंग फ़ॉर यू।”


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