Preeti Agrawal

Tragedy

3.4  

Preeti Agrawal

Tragedy

काश उसे अपना दोस्त बनाया होता १

काश उसे अपना दोस्त बनाया होता १

3 mins
226


"मम्मी मैं खेलने जा रहा हूं..."


"रुको! ये क्या है रोहन? अभी तो बस बारह ही बजे हैं। दिनभर खेलना कूदना और दोस्तों के साथ आवारा गर्दी" - रीना नाराज होते हुए बोली.


"तो क्या करूं फिर? मोबाइल मत लो, कम्प्यूटर पर ज्यादा देर मत बैठो, तुम्हारी भी ये टोकांटोकी दिनभर चलती रहती है..."


"जरा पढ़ाई लिखाई भी कर लिया कर। जितनी जबान चल रही है उतना दिमाग भी चला लिया कर। इस बार दसवीं बोर्ड है। फाइनल एक्जाम सिर पर है" - रीना का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था।


"मम्मी यार प्लीज़ अब अपना भाषण मत शुरू कर देना। जस्ट चिल" - रोहन ने लापरवाही से अपने सिर को झटकते हुए कहा।


"भाषण! ये तरीका है तुम्हारा बात करने का। बहुत बदतमीज होते जा रहे हो" - रीना चिल्लाई।


"अब तुम्हें जो समझना हो समझो" - रोहन ने बहुत बेफिक्री से कहा।


"बहुत जबान लड़ाने लगा है आजकल। आने दे शाम को तेरे पापा को। वो ही तुझे अच्छा पाठ पढ़ाएंगे" - रीना ने धमकाया।


"देखते हैं। मैं जा रहा हूं" - कहते हुए रोहन बाहर निकल गया।


"रोहन रुको! रुक रोहन…खाना खाने जल्दी आ जाना…" -रीना पीछे से आवाज देती रही पर रोहन ने उसकी ओर पलटकर भी नहीं देखा और तेजी से बाहर निकल गया।


रीना गहरी सोच में डूब गई। रोहन रीना और ऋषि का इकलौता बेटा। बहुत लाड़ प्यार से पला बढ़ा था। उसने जब जो चाहा वो उसको तुरंत ही मिल जाता था। रीना और ऋषि उसकी हर इच्छा या कहें जिद खुशी खुशी पूरी करते थे। ऐसे में ही वो कब जिद्दी होता चला गया पता ही नहीं चला। धीरे धीरे वो अपनी मनमानी करने लगा।


पहले तो रीना उसको बच्चा समझकर नजरंदाज करती रही पर उसने धीरे धीरे रोहन को प्यार से समझाना शुरू किया। उसे लगने लगा था कि काश बचपन से ही उसे थोड़ा अनुशासन में रखा होता। रोहन अब किशोरावस्था में आ गया था और वो भी चौदह साल की उम्र। रोहन रीना से बदतमीजी से पेश आने लगा। रीना ने कई बार ऋषि से उसके बारे में बात भी करनी चाही पर हमेशा वो हंसकर टाल जाता। एक  दिन फिर जब रीना ने ऋषि से बात करनी चाही तो उसने ध्यान नहीं दिया।


"अरे तुम फालतू में ही इतनी चिंता करती हो। जैसे जैसे जिम्मेदारी का बोझ उसपर आएगा अपने आप समझदार हो जाएगा। वैसे भी अभी उसके खेलने खाने के दिन हैं बाद में तो वो जिंदगी की चक्की में जुत ही जाएगा..." 


"पर ऋषि वो अभी उतना छोटा बच्चा भी नहीं रहा। बहुत स्वच्छंद होता जा रहा है..."


"हां रीना पर लड़कों की ये उम्र ही ऐसी होती है..."


"इसीलिए कह रही हूं कि इस उम्र में गलत संगति और पैर फिसलने में समय नहीं लगता..."


"तुम भी ना! अपने घर तो उल्टा ही हिसाब है। यहां मां बहुत स्ट्रिक्ट है और बाप..."- ऋषि ने हंसते हुए उसकी बात हवा में उड़ा दी।


"पर एक को तो स्ट्रिक्ट होना ही चाहिए" - रीना ने दलील दी।


"अरे अब छोड़ो भी" 

पहले तो ढेर सारा लाड़ प्यार और फिर बाद में ऋषि के लापरवाही भरे रवैये और रीना की डांट ने रोहन पर क्या असर किया? क्या रोहन में कुछ बदलाव आया या रीना और ऋषि के साथ ऐसा कुछ हुआ जिसकी उन्हें कल्पना भी नहीं थी। यह जानने के लिए इसका अगला भाग पढ़ना ना भूलें।


क्रमश:


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy