Seema Singh

Tragedy

4.6  

Seema Singh

Tragedy

काश मैं तेरे साथ होती

काश मैं तेरे साथ होती

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आंखों में हजारों सपने लिए,नई जिंदगी के सफ़र में अपने हमसफ़र के साथ नैना अपने पति सचिन के साथ अपनी वैवाहिक जीवन की शुरुआत करती है।उन दोनों की शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे कि सचिन का व्यवहार नैना के प्रति थोड़ा बदला बदला सा था।


नैना अपने सास-ससुर के साथ रहती है। नैना की दुनिया उसके पति और सास-ससुर के बीच ही सिमट सी गई थी।वो बहुत खुश थी जैसा परिवार और ससुराल की चाह थी वैसे ही नैना को मिली।वो अपने पति के प्यार में इस कदर अंधी हो चुकी थी की वो अपने आप तक को भूल गई थी।पर कभी कभी हद से ज्यादा प्यार और भरोसा इंसान के लिए सही नही होता है।


अपने पति के बदले व्यवहार से नैना का मन बहुत ही व्याकुल हो रहा था। उसे समझ में ही नही आ रहा था कि वो क्या करे... तभी उसकी बचपन की सहेली भावना का फोन आता है... नैना भावना से बात करने लगती है। बातों ही बातों में भावना नैना से पुछती है "क्या बात है,आज तेरी आवाज़ में वो खुशी महसूस नही हो रही है जो हमेशा होती है,सब ठीक है ना"।


"हां सब ठीक है, तू परेशान ना हों"नैना भावना को कहती है। भावना के बहुत कहने पर नैना सचिन के बदले व्यवहार के बारे में बताती है। भावना "अच्छा मैं एक काम करती हु आज हम लोग कहीं बाहर चलते हैं,तेरा मुड़ भी ठीक हो जाएगा और हम बातें भी कर लेंगे"।


शाम को नैना और भावना एक दूसरे से मिलते हैं। नैना भावना को देख अपने आंसुओं पर काबू नही रख पाती और रोने लगती है। भावना "क्या बात है, तुमने सचिन से बात की, सास-ससुर जी से बात की सचिन के बदले स्वाभाव के लिए।रोना बंद करो ,रोना किसी परेशानी का हल नहीं है।जब तक खुलकर एक दूसरे से बात नही करोगे तो हल कैसे निकलेगा"।


"कहीं उनका किसी के साथ अफेयर तो नही, तुम दोनो की शादी अपनी मर्जी और पसंद से हुई है ना"भावना...


"हां पसंद से हुई है,उनका किसी के साथ अफेयर नही है, कुछ भी मत कहो"। नैना भावना को कहती हैं...


"अच्छा एक बात बताओ तुम दोनों की शादी को लगभग 6महीने हो गए हैं तुम दोनों के बीच संबंध कैसे हैं समझ रही हो मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हु..."भावना ने नैना से सवाल किया.... तभी नैना एका एक कुछ कहते कहते चुप हो जाती है ..... भावना "नैना तेरी चुप्पी बहुत कुछ बयां कर रही है, तेरी चुप्पी का मतलब मैं क्या समझू ??? तुम दोनों दुनिया के लिए पति-पत्नी हों । तुम दोनों के बीच पति-पत्नी जैसा कोई संबंध नही"।


भावना "ये कैसा रिश्ता है... प्यार में सम्मान का होना बहुत जरूरी है,उसी तरह पति पत्नी के रिश्ते में आपसी प्यार का होना भी जरूरी है।जब रिश्ता अपनी पसंद का तो उसे नाम के साथ अपानाने में संकोच कैसी"। एक तो तुम ने इस शादी की वजह से अपने सपनों को अपनी पहचान को , यहां तक की अपने अस्तित्व को भूल चुकी हो। अच्छी खासी नौकरी अपनी पहचान.....???? क्या है ये सब.....????


"शांत हो जा तू, इतना गुस्सा क्यों कर रही.... अपनी कैरियर को बीच में छोड़ना... मेरी मर्जी थी... मैं सचिन को बहुत प्यार करती हूं, उनकेे लिए नौकरी तो कुछ नहीं...जब शादी के लिए उनका रिश्ता आया तो मैं तैयार नही थी पर उनसे पहली मुलाकात ने सब कुछ बदल दिया"नैना भावना को कहती हैं...


"तू पागल हो गई है,ये कैसा प्यार है जो शादी के पहले दिन से लेकर अब तक अपनी पत्नी को अपनाया नही है, सिर्फ नाम की पत्नी हैं। प्यार में इतनी भी अंधी मत बनो की कल अगर हकीकत से समाना हुआ तो पछतावे के सिवा कुछ नहीं।"तुम सुन क्यों नही रही हो मेरी बात"। भावना नैना को समझाती और चली जाती है...


वक्त भी अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था और आज नैना के जीवन की हकीकत बहुत ही अलग है......आज नैना सबसे बहुत दुर और अलग तन्हाई में जी रही है। भावना की बात ना सुनकर नैना ने बहुत बड़ी गलती की...जब नैना के आंखों से प्यार की पट्टी हटी...वो पूरी तरह से बिखर चुकी थी...जब उसे ये पता चला कि उसका पति सचिन एक सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि एक समलैंगिक है....ये सदमा वो सह ना सकी... और पूरी तरह से शांत हो गई..... बहुत से डाक्टर को दिखाया गया पर कोई फायदा नहीं...वो बस एक जिंदा लाश बन रह गई थी... भावना हर पल अपने आप को कोसती और कहती मुझे तुझे अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था... नैना काश तुमने मेरी बात सुन ली होती.... ????


कभी कभी जीवन में ऐसे मोड़ आते हैं। प्यार करना गलत नहीं....पर जब सब कुछ अच्छा हो के भी कुछ अच्छा ना लगे तो कुछ तो गलत है....!!!



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