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Saroj Verma

Romance

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Saroj Verma

Romance

काश,मैं पहले कह पाता...

काश,मैं पहले कह पाता...

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नाश्ता करके , सुबह-सुबह ही सेठ धनपत राय ,बड़े ही उदास मन से अपने study room में आ गये और दुःखी मन से कुछ लिखने बैठ गये, उन्होंने लिखना शुरू किया।

प्रिय सुमित्रा,

मैं आज तक तुमसे कभी नहीं कह पाया, जो शायद मुझे तुमसे ये बात पैंतालिस साल पहले कह देनी चाहिए थी, जब तुमने मेरी धर्मपत्नी बनकर मेरे जीवन में कदम रखा था, तुम्हारे आने के बाद जीवन में कभी भी कोई भी समस्या आई तो तुमने उसे सुलझाने में हमेशा मेरा साथ दिया या कहूं तो तुम्हारे आने के बाद जीवन मुझे सरल सा लगने लगा, तुमने घर-परिवार इतने अच्छे से सम्भाला कि घर के प्रति मेरी क्या ज़िम्मेदारियां हैं, मैं भूल ही गया, अपने काम और व्यापार में ही मैंने अपना सारा जीवन बिता दिया, जब भी तुमने मेरे साथ समय बिताने की सोची, तब भी मेरा कोई ना कोई व्यापारिक काम निकल आया, तब भी तुमने कभी भी किसी बात का बुरा नहीं माना।

हमारी पहली संतान के वक्त, मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए था, लेकिन मैं विदेश में किसी व्यापार के कागज़ात पर हस्ताक्षर कर रहा था, मैंने तुमसे ज्यादा अपने व्यापार को प्राथमिकता दी,

मुझे अब लगता है कि, मैं तुम्हारे साथ कभी जी ही नहीं पाया, तुमने इतने अच्छे संस्कार देकर बच्चों को बड़ा किया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मेरे परिवार को उचित सम्मान दिया, रिश्तेदारों में हमेशा मेरा सर गर्व से ऊंचा रखा, तुमने घर सम्भाला तभी तो व्यापार में मेरी इतनी तरक्की हुई।

तुम्हारे माथे कि बिंदी और मांग का सिंदूर हमेशा मैंने लगा हुआ पाया, तुम कितनी खूबसूरत हो! मैंने कभी कहा ही नहीं, तुम्हारी खूबसूरत आंखों में मैंने कभी कोई शिकायत ही नहीं देखी, और आगे मैं क्या कहूं__

अब लगता है कि समय ही कम पड़ गया, एक और जीवन, एक और नहीं सातों जनम मैं तुम्हारे साथ ही बिताना चाहता हूं, मैं कभी इजहार ही नहीं कर पाया।

काश, मैं कह पाता कि,

मैं तुमसे प्यार करता हूं!!

और कलम, धनपत राय जी के हाथ से छूट कर गिर पड़ी, शायद उनकी हृदय-गति रूक गई थी।

घर में मेहमानों का आना शुरू हो गया है, आधे से ज्यादा शहर को आमन्त्रित किया गया है, बहुत बड़े हीरों के व्यापारी हैं, सेठ धनपत राय।

भरा-पूरा परिवार है, दो बेटे और दो बेटियां, सबकी शादी हो चुकी है, बेटियां तो बड़े-बड़े व्यापारियों के यहां ब्याह दी लेकिन उनकी पत्नी सुमित्रा ने बहुएं मध्यम वर्गीय परिवार से चुनी, नाती-पोतों वाले हो चुके हैं सेठ धनपत राय।

तभी उनकी सात साल की नातिन ने अपनी बड़ी मामी प्रज्ञा से पूछा? बड़ी मामी, आज क्या है? जो इतने सारे guest आए हैं, बताइए ना!

तब प्रज्ञा बोली, आज के ही दिन तुम्हारी नानी, भगवान के पास चली गई थी, आज उनकी बरसी है, इतने सारे लोग मिलकर प्रार्थना करेंगे कि वो हमसे दूर रहकर वहां दु:खी ना हो।

तभी धनपत राय जी के छोटे भाई ने पूछा कि भाई साहब कहां है, प्रज्ञा।

प्रज्ञा ने अपने पति गौरव से पूछा?

गौरव ने कहा शायद study room में थे।

सब study room गये तो धनपत राय जी का निर्जीव शरीर उस प्रेम-पत्र के साथ पड़ा था, जो उन्होंने पहली बार लिखा था।



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