Lokanath Rath

Action Classics Inspirational

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Lokanath Rath

Action Classics Inspirational

कामयाबी की तलाश

कामयाबी की तलाश

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आज अंजना अपनी घर की एक सोफे पर बैठ सूबे की चाय का स्वाद लेती हुयी अपनी जिन्देगी की अभीतक की सफर को थोड़ी सोचने लगी। आज वो चलिश साल की हो गयी है। जिन्देगी मे कामियाबी की तलाश करते करते आज अपनी गाओं, अपनी परिबार, अपनी दोस्तों सबको छोड़ के कितने दूर मुंबई मे बस गयी। यहाँ रहेते हुए उसे करीब बीस साल हो गये। अब इसी साल एक छोटा सा अपनी फ्लैट वो मुंबई मे ली है। अब वो यहाँ बिज्ञापन के लिए मॉडलिंग के साथ सिनेमा मे छोटी छोटी किरदार की काम भी करती है। यहाँ वो अकेली रहती है। कभी कभी अकेलापन भी उससे बहुत तड़पाती है, पर वो सब सहन करलेती सिर्फ उसकी कामियाबी की सपनो के लिए।

अंजना प्रसाद, आज की एक मॉडल है। अंजना झारखण्ड की दुमका की रहेनेवाली है। पिता राजेश प्रशाद एक मैकेनिक है और उनकी एक गाराज दुमका मे है। माँ आशा देबी ग्रिहिणी है। अंजना के और दो बहेन है। तीनो संतान मे से अंजना सबसे बड़ी है। बचपन मे वो बहुत चूल बुली और मेहनती थी। उसकी पढ़ाई दुमका मे हुई है दसवीं तक और कॉलेज के पढ़ाई रांची मे हुई है।अंजना की पिता राजेश उनकी बच्चों को उनकी इच्छा की हिसाब से पढ़ने के लिए प्रोचाहित करते है। वो चाहते है की उनकी बेटियां पढ़े लिख कर उनकी जिन्देगी अच्छी से जियें। उसके लिए राजेश को बहुत मेहनत करना पड़ता है। कभी कभी वो बड़े बड़े फॅमिली ट्रिप मे सात आठ दिन के लिए किराये मे जाते है। ऐसे पुरे भारत की ज्यादातर खेत्र वो घूम चुके है। बचपन मे जब अंजना नवी कख्या मे थी तब अपनी स्कुल की बिउटी कांटेस्ट जीती थी। तब से उसने अभिनय करने की ठान ली। उसकी सपना रही की बॉलीवुड मे सिनेमा मे अपनी कामियाबी हासल करेंगी। जब रांची मे पढ़ रही थी वहाँ पढ़ाई के साथ नाच और एक्टिंग की भी ट्रेनिंग वो ले रही थी। वो कॉलेज के समय से ब्यूटी कांटेस्ट पुरे झारखण्ड की जीत चुकी थी। ये उसकी सपने को और मजबूत करदिये। फिर रांची मे सर्ब भारतीय बिस्वाबिद्यालय स्तर पे भी नाटक मे श्रेष्ठ कलाकार की पुरस्कार भी जीत ली। ये उसे उसकी सपने की और बहुत करीब ले लिया। उसी दौरान पहेली बर एक बिस्केट कंपनी की मॉडल की ऑफर मिली और वो कर ली। उसी समय उसे मुम्बई आना हुआ और कुछ और लोगो से मुलाक़ात हुई। तब अंजना को लगने लगा की उसको उसकी सपना बुला रही है और वो उसको खोना नहीं चाहती थी। राजेश भी बहुत खुश हुए अपनी बेटी की कामियाबी से।अंजना की पहेली मॉडलिंग काम सफल रही और उसे और पांच और ब्रांड के लिए काम करने का मौका मिला। तब उसकी ग्रेजुएशन की आखिरी साल थी। वो क्या करेंगी क्या नहीं सोच मे पड़ गयी। हात मे आयी हुई मौके को खोना भी नहीं चाहती थी और और ग्रेजुएशन की परिख्या को भी देना चाहती थी। वो उसकी पिता से बात की। राजेश हमेसा बच्चों का दोस्त बनके बात करते। फिर राजेश और आशा देबी दोनों रांची आये। अंजना से मिले और अंजना सारी बाते बता दी।सब सुनने के बाद राजेश थोड़ा सोच के बोले, "देख बेटा मे सदा चाहता हूँ की तुम तीनो बहुत पढ़ो और अपनी अपनी सपने को पूरा करो। उसके लिए मे और तुम्हारी माँ सदा तुम लोगों के साथ देंगे। मे बहुत मेहनत करूँगा। अब जो मौका तुम्हे मिला है, ये बार बार नहीं आएगी। तुम तुम्हारी सपने को पूरा करने के लिए इसको हात से जाने नहीं देना। और तुम्हारी ग्रेजुएशन की परिख्या तुम बाद मे भी दे सकते हो। तुमको और आगे बढ़ने के लिए और कामियाबी की तलाश करने अगर जरुरत होंगी तो मुम्बई मे रहना भी होगा। मुझे ये चिन्ता है की इतने बड़े शहर मे तुम अकेली कैसे रहोगी ?"

ये सुनके अंजना की हौसला और बढ़ गयी थी। अभी वो अपनी सपनो को पूरा करने के लिए कुछ भी तक़लिब बर्दास्त करने को तैयार थी। उसने होने पिता से कही, "पापा आप अगर मेरे साथ हो और माँ की प्यार है तो मुझे किससे डर नहीं। मे मुम्बई मे भी रहने की कुछ ब्यबस्था ढूंढ लुंगी। अगर ज्यादा तक़लिब होगा तो आप को बताउंगी। तो पापा मे अब ये पांच कंपनी की मॉडल के लिए हाँ कर देती हूँ। थांक्स पापा।" राजेश और आशा देबी अपनी बेटी की आँखों मे खुशी देख रहे थे। राजेश साथ मे लाये हुए कुछ पैसे अंजना को दिए और कहे मे तुम्हारी माँ को ले के काल जाऊंगा दुमका, बेटा तुम मुझे तुम्हारी मुम्बई जाने की तारीख बता देने से मे आजाऊंगा। फिर वो दोनों काफ़ी डेर और अपनी बेटी के साथ रहे और उसकी हास्टल से निकल गये। जाने के समय दोनों के आँखों से आंसू टपक रहे थे।।। वो कुछ बेटी की कामियाबी की खुशी की थी। कुछ बेटी से जुदा होने की थी। कुछ अपनी गरीबी की लिए भी थी।

ठीक पंद्रह दिन के बाद अंजना को मुम्बई जाना हुआ। उसकी पापा राजेश खुद टैक्सी चलाकर दुमका से आये थे पुरे परिबार के साथ अंजना को उसकी कामियाबी की सफलता की बधाई और शुभकामनाये देने। उसदिन एयरपोर्ट पे अंजना बहुत रोइ थी अपनी पापा और माँ की कन्धे मे सर रख के। वो लोग भी रोये थे। फिर मुम्बई पहुँच के वो एक मैंने के लिए एजेंसी की द्वारा रखा गया होटल मे रही। उसकी मॉडलिंग की सूटिंग ख़तम की। इस बीच उसकी कुछ दोस्त बनगए। और उनके साथ वो मिलकर रहने की बात भी कर ली। ये सारे बाते वो उसकी पापा को बता दी थी। जहाँ वो रहने लगी वो एक दो कमरे वाली मकान था और उसको मिलके सात लड़किया रहने लगे। अब रोज अंजना को काम की तलाश मे सूबे जाना पड़ता था। कभी कभी सिनेमा की छोटे छोटे काम भी मिल जाता था। कुछ पैसे वो जमा करती थी और कुछ अपनी खुद के खर्चे के लिए रखती थी। उसकी पापा उसको बोले थे उनको पैसा भेजनें का जरुरत नहीं, वो अपने लिए जमा करें। वो वही करते आ रही ही। धीरे धीरे उसकी मॉडलिंग की काम बढ़ने लगा, कुछ आछा कमाई भी हुई। तीन सिनेमा मे भी उसे सह नायिका की काम मिला। पर उसमे इतने बड़ी सफलता नहीं मिली। देखते देखते बीस साल बीत गया। उसकी पापा हर साल आते है माँ की हात की बनायीं हुई मिठाई लेके। उसकी पापा अभी भी बोलते है लगातार कोशिस और काम करते रहो सफलता जरूर मिलेगी। अपनी कामियाबी की तलाश सदा जारी रखना होगा, तब जाके एक दिन उसमे सफल होंगी। अंजना अभीतक उसको मानते आ रही है और उसे बिस्वास है की उसकी पापा की कही हुयी बात सच होंगी। उसपे उसकी पूरा बिस्वास है। अब चाय ख़तम हो रहा था और वो थोड़ी अपने आप को संभाल ली। देखि की उसकी आँखों से आंसू बह रही थी। उसको अभी तैयार हो के एयरपोर्ट जाना होगा। उसकी पापा, माँ और दोनों बहेने आ रहे है। ये उसकी नयी घर लेने के बाद उसकी पुरे परिबार एक साथ पहेली बार आ रहे है। वो खुशी और चंचल मन के साथ तैयार होने चली।


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