Praveen Gola

Romance

3  

Praveen Gola

Romance

जवाँ दिल

जवाँ दिल

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उसे भुला कैसे दूँ  ?
कोई पाप थोड़े ना किया हमने ,
दिल कब एक - दूसरे को दिया ,
ये राज़ ही रखा है अब तक दोनो ने |

जी हाँ दोस्तों .... सच में ये अब तक एक राज़ ही है | ऐसा इसलिये नहीं कि हम अपने घरों में बताने से डरते हैं बल्कि इसलिये क्योंकि हम दोनो एक - दूसरे पर आज भी मरते हैं  | इश्क होता ही इतना दमदार है कि जो इसमे डूबा समझो उसके लिए ये एक दो धारी तलवार है | एक तरफ कत्ल करती है और दूसरी तरफ आहें भरती है | और मैं  .... मैं तो सच में उसकी बातों पर आँख बंद करके आज भी उतना ही भरोसा करती हूँ  जितना कि दस साल पहले करती थी | असल में प्यार क्या होता है .... ये मुझे उसी ने बताया  | "प्यार  ... प्यार ही होता है यार  , इसमे अगर वासना ना हो तो प्यार जन्म ही नहीं लेगा | एक आग अंदर से सुलगनी चाहिए और उसपर एक बर्फ का ठंडा लेप भी लगना ही चाहिए |" ये सिर्फ एक कोरा ज्ञान नहीं था .... हमने इसे बहुत ही खूबसूरती से जिया | कभी वो आग में जलता और मैं बर्फ बन उसे ठंडक का लेप लगाती और कभी मैं सारी रात सुलगती पर वो आता ही नहीं | आता इसलिये नहीं कि उसमे कोई कमी थी .... कमी मुझमे ही थी  | मैं आग में जल तो जाती थी पर उसे कह नहीं पाती थी | बाद में वो बहुत नाराज़ होता और फिर मुझसे कहलवाने के लिए मुझे नए - नए गोपनीय शब्दों को देने का सुझाव बताता  | धीरे - धीरे मुझे उसके गोपनीय शब्द भाने लगे | अब जब भी आग लगती तो उसे बुझाने के लिए अग्निशमन का यन्त्र दूसरी ओर हमेशा तैयार रहता | बस ऐसे ही हमारे प्यार की कहानी आगे बढ़ने लगी  | वक़्त की कोई पाबन्दी नहीं , जब जिसके पास वक़्त होता वो दूसरे को बुला लेता | 

वो एक त्रिकोणीय प्रेम था जो मुझे मेरी शादी के पन्द्रह साल बाद हुआ था  | मेरी शादीशुदा ज़िन्दगी ऐसा नहीं कि अच्छी नहीं चल रही थी पर उसमे कहीं कुछ था जो कम था | पूरा दिन घर का काम करने के बाद भी रात को बिस्तर पर जब पति ताने देने लगता है तो औरत एक मानसिक तनाव से गुजरने लगती है | ऐसे ही तनाव को कम करने के लिए मैं भी उस रात आत्महत्या जैसी कोई आसान सी चीज को इंटरनेट पर ढूंढ रही थी कि तभी मेरी उससे पहली मुलाकात हुई |  मैं दो बच्चों की माँ और वो एक कॉलेज में पढ़ने वाला लड़का .... उम्र में मुझसे बारह साल छोटा | पर इश्क उम्र कहाँ देखता है साहब ? बातों का दौर कहाँ से शुरू हुआ था और कहाँ पर खत्म ....  ये सोच कर मैं आज भी हैरान होती हूँ | वक़्त आगे बढ़ा  ... वो कॉलेज खत्म करके आगे पढ़ने लगा और मैं वहीं की वहीं ... एक घरेलू महिला | उसने मुझे बहुत समझाया , जीने के लिए सपनों को सच करना बताया  | फिर उसकी नौकरी लगी  , और उसके बाद उसकी शादी हुई | उस दिन मैं बहुत रोई .... पता नहीं क्यूँ | ये तो हम दोनो को ही पता था कि ऐसा होगा .... पर  शायद उस दिन मुझे ये समझ आ गया कि इंटरनेट वाला प्यार भी  सच्चा होता है .... उसमे भी ज़जबात होते हैं |

आज उसकी भी एक बेटी है पर मेरे संबंध आज भी उसके साथ वैसे ही हैं जैसे दस साल पहले थे | वो आज अगर एक सरकारी नौकर है तो मैं भी आज एक प्रतिष्ठित लेखिका | एक घरेलू महिला से लेखिका बनने का सफ़र उसके साथ ही पूरा हुआ | मुझे लिखने की वजह मिलती गई  | वो मेरे किस्से - किरदारों का दोस्त बनता गया  | पता नहीं कितने अनगिनत शब्द उसको मैने समार्पित किये | 

तो फिर आप ही बतायें कि इस प्रेम कहानी को पाप का नाम हम क्यूँ दें ? हम दोनो ने ही सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ीं ... अपना - अपना मनचाहा मुकाम हासिल किया | हमारा प्रेम कभी भी एक - दूसरे की राहों का काँटा नहीं बना | बस समाज इसे कभी नहीं स्वीकारेगा और जो समाज की नजरों में गलत है तो हम उसे क्यूँ सबको बतायें ? मैने उसे इतने सालों में सिर्फ इंटरनेट पर ही देखा है | अगर वो सामने कभी आ भी गया तो शायद ही मैं उसे पहचान पाऊँ |
पर हाँ ये धड़कने आँख बंद करके जब भी उसे मन से याद करती हैं उसका चेहरा अपने आप ही मेरे चेहरे पर मुस्कान ले आता है | उसके साथ बिताये पलों की कसक तेजी से इन नसों में एक सुकून का एहसास भर देती है | प्रेम की तरंगें मेरे मन - मस्तिष्क को एक नई ताजगी से भर देती हैं |
गर्म बिस्तर पर पति की बाहों में कहीं उसका स्पर्श भी      आसपास होता है जो मैने सिर्फ ख्वाबों में ही महसूस किया है | ऐसा लगता है वो धीरे से कह रहा हो .....

आज फिर तेरे हुस्न का चोरी से दीदार हो ,
उतार फैंक ये शर्म ~ओ ~ हया का पर्दा ,
जिसके लिए अपना ज़िस्म तैयार हो ,
सुन मेरी जान मेरी धड़कनों की तमन्ना ,
सिर्फ चुन्नी में आने से ये दिल जवान हो ||









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