जोकर
जोकर
चारों तरफ दर्शकों की भीड़ थी। स्टेज पर उसके आने का इंतजार हो रहा था। स्टेज के पीछे वो बैठा हुआ जम्हाई ले रहा था। थकान उसके शरीर पर इस तरह हावी हो रही थी कि जैसे ही वो अपनी जगह से उठने की कोशिश करता था, उसे लगता था कि उसकी पीठ पर ना जाने कितना वजन रखा हुआ था। जब वह स्टेज पर आने के लिए अपने पैर आगे बढ़ाता तो दर्द की जंजीर उसके पैर वहीं बांध देती। अपनी पीठ पर थकान का वजन उठाये और अपने पैरो से दर्द की जंजीरों को घसीटते हुए वह स्टेज के पास पंहुचता है।
स्टेज पर पर्दा गिरा हुआ है। उसके लिए दर्शकों का इंतजार बढ़ता ही जा रहा था। दर्शक उसका हुनर देखने के लिए बेताब थे। उनकी बेचैनी इस कदर बढ़ गई थी कि उन्होंने उसे पुकारना शुरू कर दिया था। उसके हुनर को देखने के लिए चुकाई गई कीमत वसूलने के लिए दर्शकों सिर पर जुनून सवार था।
उसके नाम की उद्धघोषणा होती है। धीरे धीरे स्टेज पर से पर्दा उठाया जाता हैं। पर्दा उठते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट कायम हो जाती हैं। पीठ पर से थकान का वजन उतार कर और पैरों से दर्द की जंजीरें खोल वो दर्शकों को देखकर खिलखिलाकर हँस देता है। सामने बैठे दर्शक भी उसके साथ खिलखिला देते है।
फिर शुरू होती हैं हुनर की नुमाइश। कभी वो हँस देता है तो कभी रो देता है। कभी गिरकर उठ जाता हैं तो कभी खड़े खड़े गिर जाता है। चुट्कुले सुनाता है तो दर्शक हँस पड़ते हैं। कभी खेल दिखाता है तो कभी हँसते हँसते रो पड़ता हैं।
दर्शक उसके करतब,उसके खेल,उसकी पोशाक और उसकी रंग- बिरंगी सूरत को देखकर खुश हुए और उसके हुनर को देखने के लिए चुकाई गई कीमत वसूलने के बाद फिर से किसी नये हुनरमंद का इंतजार करने लग जाते है। अब उन्हें उसके हुनर की कोई जरूरत नहीं रह जाती।
अब स्टेज का पर्दा गिर जाता हैं। पर्दा गिरते ही वह अपनी पीठ पर थकान का वजन लादता है और पैरों में दर्द की जंजीरे डाल कर फिर से धीरे धीरे उसी जगह पर लौट आता है जहां से वो चला था। अपनी जिंदगी के दर्द को अपनी मुस्कुराहट में छुपाने का अभिनय उसका पेशा था। वह जिंदगी की स्टेज पर एक सर्वोत्तम अभिनेता हैं क्योंकि जिंदगी के स्टेज पर वो एक जोकर है।