जन्म कुंडली
जन्म कुंडली
जब दोनों भाई राजकीय सेवा में चयनित हो गए तो अपने-अपने परिवार सहित सरकारी भवन में रहने चले गए! अब बूढ़े माता-पिता की पूरी जिम्मेदारी वैष्णवी पर आ गई! उसने भी मां-बाप की देखभाल में जी जान लगा दिया! लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि पहले उसके विवाह की चिंता करने वाले मां-बाप अब बिल्कुल उदासीन हो गए!
उसकी उम्र बढ़ने लगी और शादी का जिक्र घटने लगा!
शुरू में ऐसे रिश्ते ढूंढे गए जिसमें मां-बाप साथ रह सके, पर बात बनी नहीं!
धीरे धीरे उम्र इतनी हो गई कि अच्छे रिश्ते आने बंद हो गए! अपनी सहेलियों के जोर देने पर जब वैष्णवी ने स्वयं के स्तर पर रिश्ता ढूंढना शुरू किया तो चालीस-चालीस साल के कुंवारों ने ऐसी-ऐसी बातें कीं, कि उसे उबकाई आने लगी!
माता-पिता तो उदासीन थे ही, अब उसने भी शादी के बारे में सोचना छोड़ दिया!
एक दिन ऑफिस से लौटी तो दरवाजे पर अपना जिक्र सुनकर ठिठक गई!
पापा के खास दोस्त मिश्रा अंकल से पापा कह रहे थे-
"क्या बताऊं मिश्रा! मैंने तो कितने ही लड़के ढूंढे, पर वैष्णवी को कोई पसंद ही नहीं आता! अब इतनी पढ़ी लिखी लड़की की शादी उसकी मर्जी के बगैर तो नहीं कर सकते ना! हमें तो लगता है कि उसकी कुंडली में ही शादी का योग नहीं है!"
"उफ्फ!"
"वैष्णवी जोर देकर भी याद नहीं कर पाई कि एक भी लड़के को उसने रिजेक्ट किया हो!"
"बल्कि पिता ही हर एक में कोई ना कोई नुक्स निकाल देते थे!"
"और दूसरी ओर पापा तो कभी कुण्डली को मानते ही नहीं थे... इसीलिए तो उन्होंने आज तक वैष्णवी की कुंडली बनवाई भी नही थी!
तो फिर.. उन्हें उसकी कुंडली में शादी का योग ना होने का कैसे पता चल गया...