sushil pandey

Tragedy

5.0  

sushil pandey

Tragedy

जलकर खाक होते घण्टो निहारा था

जलकर खाक होते घण्टो निहारा था

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तुम्हारी याद जाती क्यों नहीं दिल से,

माँ तुम अकेली ही थी क्या संसार में?


कहते हैं कि समय के पास एक ऐसा मरहम होता है जो सारे घाव भर देता है, पर मेरा ये घाव क्यों नासूर होता जा रहा है माँ?

क्यों व्यस्तता की हद तक व्यस्त होने के बाद भी तुम्हारी यादों ने मेरा साथ न छोड़ने की कसम खा रखी है?


क्या करूं? कैसे निजात दिलाऊं अपने आप को तुमसे जुड़ी एक-एक स्मृतियों से?

और पता नहीं क्यों माँ, मैं चाहता भी नहीं हूं तुम्हारी यादों से दूर होना क्योंकि तुम्हारी यादों के अलावा कुछ है भी तो नहीं ना मेरे पास।

तुम्हारी याद ही तो मुझे, मेरे जीवन के पल-पल में समाहित तुम्हारे अस्तित्व का बखान करती है तो फिर मैं सोच भी कैसे सकता हूं उनसे अलग होने के बारे में?


तू नहीं थी, पर था पुरा परिवार ये घर-बार भी,

क्यों अकेला था मैं जबकि, था भरा दरबार भी।

भीड़ में भी मैं रहा, क्यों भला बिल्कुल अकेला,

नीरस सा क्यों लग रहा है अब मुझे संसार भी।।


सभी कहते हैं कि किसी के जाने से संसार रुकता नहीं, पर मैं क्या करूं मेरी दुनिया के पैरों को गर लकवा मार गया?

कहां से लाऊं वो सहारा जो तुमने मुझे दिया था मेरा पहला कदम उठाने से पहले?

कैसे भूल जाऊं मैं वो निवाला जो मेरे न खाने की जिद पर तुमने रो रो के खिलाया था?

कैसे भूल जाऊं उन चोटों को, जो बाबूजी से मुझे बचाते हुए अक्सर तुम्हे लग जाती थी?

कैसे भूल जाऊं उन कहानियों को मैं, रात रातभर जागकर मुझे सुनाया था जो तुमने माँ?


कहां जाऊं और किसको सुनाऊं? कौन रोकेगा मेरे अन्दर उठने वाले इन ज्वार भाटाओं को?

ये सब याद आने पर मन कुहुकने लगता है माँ, ठिक वैसे ही जैसे मेरे पेट में दर्द होने पर तुम तड़पने लगती थी।


कैसे समझाऊं अपने आप को कि मिल सकता हूं मैं तुमसे कभी? तुम्हारे रहते तो मैं बच्चा था पर अब तो बच्चा भी नहीं रहा मैं कि झूठी तसल्ली दे दूं अपने आप को।


तुम ही तो थी जो मीलों दूर से फोन से बात करते हुये भी मेरी भूख का अंदाजा लगाकर जल्दी खाना खा लेने की हिदायत देती थी। अब बहुत भूखा होने पर भी कहां किसी को मेरी भूख का अंदेशा होता है माँ।


तुम्हारी गैरमौजूदगी को पता नहीं क्यों, मन मानने को तैयार ही नहीं होता अब भी, जबकि तुम्हारे शरीर को आग में जलकर खाक होते घण्टो निहारा था मैने।


मुझे तू अपने आगोश में अब ले ले ये नींद,

मुझे गोद में सुलाने वाली मेरी माँ नही रही।


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