जीवनसाथी का अटूट प्रेम बंधन
जीवनसाथी का अटूट प्रेम बंधन
जीवनसाथी जीवन भर साथ निभाने वाला भले कोई भी दुख हो सुख हो दुख परेशानी हानि लाभ सब में बराबर का भागीदार वही सच्चा जीवन साथी होता है।
इसी पर मेरी कहानी जो सच और आंखों देखी महसूस करी है।
बहुत पुरानी बात है वे करीब 18 साल के होंगे ।
उस जमाने में तो 18 साल में लड़कों की शादी हो जाती थी।
तो घर में शादी की बातें चल रही थी।
उनके पड़ोस में एक परिवार रहता था।
उनकी लड़की करीब पंद्रह सोलह साल की रही होगी। स्कूल में पढ़ाई कर रही थी साथ में धर्म की पढ़ाई भी कर रही थी ।
यही कोई सातवीं आठवीं में पढ़ रही होगी ।
एक दिन वह लड़का कॉलेज से घर आया उसकी बहन ने बोला की चाबी पड़ोस में है, वहां से चाबी ले आ, वह वहां चाबी लेने गये तो वहां उनकी मुलाकात उस लड़की से हो गई।
उनको वो लड़की अच्छी लगने लगी।
पहले भी कभी देखा होगा, और अच्छी लगती होगी।
मगर उस दिन दो चार बातें करी होंगी तो बहुत अच्छी लगने लगी।
इसने घर आकर अपनी बहन से बोला।
आप दूसरी सब जगह इतनी लड़कियां देख रहे हो, क्यों नहीं पड़ोस वाले भंडारी साहब के यहां रिश्ते की बात करते हैं।
उनकी बहन ने बोला क्या वह लड़की तेरे को पसंद है ,
तो वे शर्मा के बोले हां मैंने पहले तो उसको दो चार बार देखा मुझे अच्छी लगती है।
मगर आज बात करी तो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी है। उनकी बहन ने जो अक्सर मंदिर में उस लड़की से भी मिला करते थे उस लड़की से पूछा उसने भी शर्मा करके हामी भरी हां यह लड़का मुझे पसंद है।
उस जमाने में तो एक दूसरे को कहने का प्यार वाला कामकाज नहीं था।
इसलिए दोनों ने एक दूसरे को बोला नहीं था।
मगर मन ही मन धीरे-धीरे एक दूसरे को प्यार करते ही थे। इनकी बहन ने अपने माता-पिता से कह कर उन दोनों की शादी करवा दी।
शादी के बाद उन दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना तरक्की करने लगा।
दोनों जिंदगी भर बहुत प्यार से रहे।
आखिरी आखिरी में तो वह काफी बीमार हो गए थे।
तब उनकी पत्नी ने उनकी बहुत सेवा करी तो भी उनका प्यार बिल्कुल कम नहीं हुआ। बिल्कुल उनके माथे पर शिकन नहीं थी ।10 साल उन्होंने जी जान से उनकी सेवा करी ।
वह प्यार जो धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता हो रहा था।
परवान चढ़ा और पूरी जिंदगी उनके साथ रहा धन्य है ऐसा प्यार।
और हमें गर्व है कि हम उन मां-बाप की संतान हैं
सत्य कथा