Vimla Jain

Classics Inspirational

4.7  

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जादुई घोड़ा चेतक महान

जादुई घोड़ा चेतक महान

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जादुई घोड़े की क्या बात करें हम महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक को जादुई घोड़ा का सकते हैं जिस तरह उसने युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया

जब एक युद्ध का नाम आता है ,तो हम राजस्थान वाले महाराणा प्रताप और चेतक को कैसे भूल सकते हैं।यह कहानी इतिहास के पन्नों से ली हुई है।

और इतिहास में अमर हो गया है चेतक की शहादत ।और वीर शिरोमणि राणा प्रताप का नाम का नाम।

मेरा उनको कोटि-कोटि नमन है।

जब मैं दो- साल पहले हल्दीघाटी देखने के लिए गई।तब मुझे वहां पर सब देखकर बहुत रोमांच हुआ। और बहुत दुख भी हुआ कि मैं एक ऐसी जगह देख रही हूं जहां भीषण युद्ध हुआ ।हमारे राणा प्रताप और अकबर के बीच ।किस तरह से उस युद्ध में 26 फीट के नाले को कितनी फुर्ती से चेतक ने एक छलांग में पार किया। और खुद शहीद हो गया।मैंने वहां पर चेतक की समाधि देखी।और वह पूरी जगह देखी। मैदान जो था हल्दीघाटी युद्ध का ऐसा लग रहा था सामने सब ताजा दृश्य घूम रहे हो ।

अब यह कहानी घोड़े की जुबानी नहींइतिहास की जुबानी लिखनी पड़ेगी चेतक महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा था और बहुत स्वामी भक्त था बहुत फुर्तीला था।महाराणा प्रताप के इतिहास के पन्नों में सबसे ज्यादा चर्चा हल्दी घाटी के युद्ध की होती है.। प्रताप और अकबर के बीच दुश्मनी भारतीय इतिहास में दोबड़े शासकों के बीच युद्ध की गाथा है. 1576 में हुए इस युद्ध में प्रताप ने 20 हजार सैनिकों के साथ मुगल के 80 हजार सैनिकों का सामना किया था. युद्ध में प्रताप के चेतक ने भी अपनी वीरता और बुद्धिमत्ता का परिचय दिया था चेतक इतना फुर्तीला था कि उसका पांव हाथी के सिर तक पहुंच जाता था. युद्ध में चेतक ने सेनापति मानसिंह के हाथी के सिर पर पांव रख दिया था, जिसके बाद महाराणा प्रताप ने दुश्मन पर प्रहार किया. हालांकि उसी समय चेतक घायल हो गया था, लेकिन फिर भी दुश्मनों के बीच से महाराणा प्रताप को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था. इसी दौरान चेतक ने 26 फीट के एक बरसाती नाले को ऐसे लांघा जैसे वह कोई घोड़ा नहीं बल्कि बाज हो. जैसे जादुई घोड़ा हो।मुगल सेना भी इस नाले को पार नहीं कर पाई थी.

पूरी जिंदगी मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ते रहे महाराणा प्रताप हल्दी घाटी की युद्ध में चेतक की शहादत के कारण हमेशा याद रखा जाएगा।इस पर मुझे जय चित्तौड़ पिक्चर का वह गाना याद आ रहा है जो महारानी गाती हैं ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े तुझ पर सवार है जो मेरा सुहाग है जो रखना लाज उसकी हो

चेतक महान है तू 

वीरों की शान है तू----///------ पूरा गाना मुझे याद नहीं है मगर यह बहुत फेमस हुआ था-

एक कविता मुझे बहुत याद आ रही है।

अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावडो ले भाग्यो।

नन्हो सो अमर यो चीख पड्यो ।

राणा रो सोयो दुख जाग्यो।

हूं लड्यो हूं सहयो घणो मेवाड़ी मान बचा वन नें।

हूं पाछ नहीं राखी रण में बैरिया रोड खून बहावण ने जद याद करूं हल्दीघाटी नैना में रक्त उत्तर आवे सुख दुख रो साथी चेतक रो सूती सी हूक जगा जाए पर आज भी लग तो देखूं हूं मैं राजकुमार ने रोटी ने तो क्षात्र धर्म ने बोलो हूं 

भूलूं हिंदवानी चोटी ने----///--//---

इतिहास के पन्नों से लिखी से ली हुई अपने शब्दों में लिखी हुई कहानी।



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