Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4.7  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

संगीता की सूझबूझ

संगीता की सूझबूझ

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आफिस में नयी सेक्रेटरी ने ज्वाइन किया। संगीता नाम के जैसे ही बहुत ही सुरीली आवाज सबसे बहुत अच्छी बातें करके सुघड़, सौम्यता के कारण उसने सबका दिल जीत लिया था।

 आते ही वह सब की चहिती बन गई।

सुचिता उसकी बॉस थी ,उसने 

अपनी सेक्रेटरी की टेबल अपने पास ही लगाई।

औरतें तो बहुत जल्दी आपस में एक दूसरे से घुल-मिल जाती हैं। 

ऐसा ही उनके साथ भी हुआ एक-दो दिन में ही दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।

सुचिता ने संगीता से उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसका पति और बेटा है दोनों बाहर रहते हैं वह अकेली यहां रहती है।

धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई।

 संगीता बहुत चहकती रहती थी।

 कभी-कभी वहां पर सब उससे गाने भी सुनते थे। 

बहुत ही मधुर संगीत सुनाती थी सुनने वाले मंत्र मुग्ध हो जाते थे,अपने नाम को सार्थक करती थी। 

सब ऐसा ही बोलते थे की कैसे बुलबुल जैसे चहकती रहती है।

और कितने सुंदर गाने गाती है।

नाश्ते के टाइम पर खाने के टाइम पर वह अक्सर ब्रेड बटर या कुछ सूखा नाश्ता लेकर खा लेती थी।

 जब उसकी बोस उसको बोलती सूखा नाश्ता क्यों कर रही हो तो हमेशा कुछ बोलती कभी तो कहती आज तो मैं घर पर इतना सारा बनाया था सुबह वह सब खा कर आई हूं, भूख नहीं है।

 आज तो मैंने दही बड़ा बनाया यह पकवान बनाया, वह पकवान बनाया ऐसे ही करती रहती थी

 मेरे पति को और बेटे को मेरा हाथ का खाना बहुत पसंद है।

तो वे होते हैं तो मैं घर पर खाना खाकर ही आती हूं और अच्छी-अच्छी चीज बनती हूं, इसलिए मेरे को भूख नहीं लगती है तो सूखा नाश्ता कर लेती हूं।

 लंच में ऐसे ही एक दिन उसकी बॉस ने उसको कह दिया खाली पति और बच्चे को ही खिलाती रहोगे कभी हमें भी खिलाओ।

दो-तीन दिन बाद से बड़ा-बड़ा टिफिन भर करके खाना अलग-अलग वैरायटी वाला लाने लगी।

कभी-कभी तो पूरे स्टाफ को खिलाती ,कभी उसकी बॉस को खिलाती यह सब खाना खाकर बहुत खुश हो जाते।

समय ऐसे ही बीता जा रहा था। करीब 6 महीने बाद एक दिन सुचेता ने उससे कहा कल से मैं एक सप्ताह की छुट्टी पर हूं, ऑफिस तुम संभाल लेना।

अब दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी की बोस वाला रिश्ता खत्म हो दोस्ती वाला रिश्ता आ गया था।

संगीता ने पूछा क्या बात है, आप आज उदास दिख रही है।

सुचिता के मुंह से निकला मेरी कोर्ट में तलाक की लास्ट हियरिंग है शुक्रवार को।

 थोड़ी उसकी तैयारी करनी है उसके बाद हमारा तलाक हो जाएगा तो मैं फ्री हो जाऊंगी। फ्री बर्ड की जैसे मैं अपना सब काम कर सकूंगी।

 मुझे रोकने टोकने वाला कोई नहीं होगा।

संगीता को यह सुनकर झटका लगता है।

वह बोलती है आप 55 साल की उम्र में तलाक ले रही हैं ,और आप क्या सोचती हैं तलाक के बाद आप एक एकदम फ्री हो जाएंगे।

 सबसे पहली बात तो आप तलाक क्यों ले रही है,

 इतने साल तक आप अपने पति के साथ रहे और अब ऐसी क्या नौबत आ गई कि आपको तलाक लेना पड़ा।

कभी सोचा है आपने।

 कुछ पल तो आपने अच्छी तरह अपने पति के साथ प्यार से बिताये होंगे।

तो अब ऐसी क्या नौबत आ गई।

 आपने सोचा है तलाक लेने के बाद आप क्या करेंगे आपका दिन कैसे गुजारेंगे।

वह कहती है मेरी एक लड़की है, उसने भी विदेश में विदेशी से शादी कर ली है ,और वही बस गई है अब वह मेरे पास नहीं आती है।

 पति मेरे से कम कमाता है मैं क्यों उसके नखरे सहन करुं। अब मैं स्वतंत्र रहना चाहती हूं मुझे किसी की दखलंदाजी नहीं चाहिए जिंदगी में।

संगीता खाली इतना बोलती है आप सोच लीजिए कुछ पल तो आपने अच्छी तरह साथ में प्यार से बीते होंगे।

 कुछ समय तो अच्छी तरह बिताया होगा, उसी को याद करके और आप आने वाली जिंदगी में क्या करने वाली है। क्या आपका खालीपन भर जाएगा? क्या आप अकेले रहने से खुश रह सकेंगे?

 यह सब बात का विचार करिए फिर तलाक लीजिए।

इससे ज्यादा तो मैं आपको क्या ही कहूं।

 उसकी आंख में थोड़े से आंसू होते हैं।

 वह वहां से उठकर अपने घर चली जाती है।

 इधर सुचिता को विचार करता हुआ छोड़ जाती है।

सुचित्रा घर आती है पर उसके दिमाग में वही बातें चल रही होती हैं जो संगीता ने बोली।

 वह सोचती है शुक्रवार तो परसों है,

मैं अगर कोर्ट जाती हूं तो तलाक की फाइनल हियरिंग होकर केस खत्म हो जाएगा, और मुझे तलाक मिल जाएगा।

चलो छुट्टी हुई अब मैं शांति से रह सकूंगी।

 फिर वो सोने जाती है तो उसके दिमाग में वापस संगीता की बातें चल रही होती है।

 तो वो शुरू से अपनी जिंदगी को याद करती है।

 किस तरह से हमेशा ज्यादा पैसे कमाने की धोंस जमा कर अपने पति को हमेशा नीचा दिखाया।

मां-बाप रिश्तेदारों का हमेशा अनादर किया, किसी का भी आना पसंद नहीं आता था।

पति ने बेटी को बहुत महंगे स्कूल में डालने से मना किया तो भी मैं बहुत कमाती हूं करके मेरी एक ही बेटी है उसको बहुत महंगे स्कूल में डाला।

 फिर उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी विदेश भेजा पढ़ने ,वह वही की होकर रह गई।

 और उसके जाने के बाद हमारे दोनों की बात करने के तंतु भी टूट गए।

 धीरे-धीरे एक दूसरे से दूर होते हुए स्थिति आज तलाक तक पहुंच गई।

तलाक के लिए कितने झूठे आरोप उन पर लगाए। 

शुरू के 8-10 साल कितने प्यार से निकले उनकी तरफ से तो आज भी कोई मगजमारी नहीं है।

 तलाक मांगा तो तलाक देने को भी तैयार थे।

 मगर मैं ही उनको जलील कर कोर्ट में भी उनके विरुद्ध में बहुत झूठी सच्ची बातें करती और अपने आप को सही ठहराती।

 सोचतेसोचतेउसका सर दर्द से बहुत फटने लगता है, दिमाग कभी हां करता है कभी ना करता है आखिर में वह इतनी तगं आ जाती है की रोने लगती है। और कुछ नहीं सोचती है।

 दूसरे दिन सुबह उठते ही संगीता के घर का पता ऑफिस से लेकर उसके घर चली जाती है।

वहां जाकर वह देखती है खाली एक छोटा सा एक कमरे का घर है उसमें दो-तीन कुर्सियां पड़ी है एक छोटी टेबल है एक पलंग रखा है साइड में खाना बनाने की छोटी सी प्लेटफार्म है और एकदम साधारण सा कमरा है।

उसको लगता है यह तो अपने परिवार की इतनी तारीफ करती थी घर बहुत अच्छा है ऐसा सब बोलते थे और यहां पर तो स्थिति कुछ और ही बता रही है।

संगीता उसको देखकर एकदम सकपका जाती है, बोलती है मैडम आप सुबह-सुबह यहां कैसे।

सुचिता बोलती है मेरी नींद खराब करके और तुम यहां चैन से कैसे रह रही हो, और यह क्या तुम्हारा पति और बच्चा कहां है।

तुम्हारा तो बहुत बड़ा घर है ना तो इस छोटे से कमरे में क्या कर रही हो।

तब संगीता एकदम रोने लगती है और बोलती है सब कुछ झूठ है।

मैंने मेरी नादानी में मेरी मां की बातों में आकर अपने ससुराल वालों को बहुत नीचा दिखाया और शादी के 1 महीने बाद ही उनके ऊपर झूठा केस करके तलाक ले लिया।

 तब सोचा नहीं था जिंदगी में क्या करूंगी।

 उसके बाद मां के घर पर तो भाई ने मुझे रखने से मना कर दिया।

 अब क्या करती बहुत मुश्किल से नौकरी मिलती तो तलाकशुदा को कोई मकान नहीं देता ,

बहुत मुश्किल हो गई थी। 

एक स्थान से दूसरे स्थान भटकते भटकते मकान भी नहीं मिलता, मिलता तो दो-तीन महीने में ही खाली करवा देते। समाज में तलाकशुदा की स्थिति बहुत खराब है।

 फिर जब मैंने झूठ का आवरण ओढ़े अपने आप को मिसेज मिश्रा बोला और एक बेटे की मां बताना चालू कर तब लोगों ने मकान देना चालू करा।

तो भी हर 6 महीने में मकान खाली करना पड़ जाता है। क्योंकि पति और बच्चा हो तो आए ना।

इसीलिए आपके ऑफिस में भी मैंने आपसे और सबसे झूठ बोला था क्योंकि अकेली औरत को कोई शांति से रहने नहीं देता है और जिंदगी में बहुत कठिनाई आती है।

 जब आपने तलाक का बोला तो मुझे मेरी नासमझी याद आई ,इसलिए मैंने आपको वह सब बातें बोली।

हो सके तो मुझे माफ कर देना।

 मुझे पता है कल से आप मुझे नौकरी से निकाल देंगे तो मैं सामान बांध लेती हूं।

कल ही यह शहर छोड़ कर चली जाऊंगी।

 सुचिता -तुमने दूसरी शादी क्यों नहीं करी। 

संगीता - मैं अपनी करनी का प्रायश्चित कर रही हूं ,अब मुझे शादी में कोई इंटरेस्ट नहीं है।

 सुचिता - तुमको कहीं जाने की जरूरत नहीं है ,

तुम यही रहोगी।

 तुमने मुझे एक बहुत बड़ी गलती करने से बचा लिया। आज से तुम मेरी छोटी बहन हो।

 वह उसके लिए एक फ्लैट जो पहले ले रखा होता है उसमें रहने का इंतजाम करती है।

 कहती है आज से तुम मेरे मकान में रहोगी ,जो मैंने तलाक के बाद रहने के लिए सोचा था।

मैं मेरे पति को फोन करती हूं और माफी मांगूंगी तो वह पिघल जाएंगे और तलाक की नौबत नहीं आएगी।

 वह रोने लगती है रोते-रोते कहती है तुमने मुझे बहुत बड़ी गलती से बचा लिया।

 मैं अपने अहम में आकर कि मैं बहुत ज्यादा कमाती हूं तो मैं उनकी इज्जत क्यों करूं मैं उनकी बात क्यों मानूं करके मैंने मेरी गृहस्थी को बर्बाद कर दिया।

अब मैं उसको वापस सुधारने की कोशिश करती हूं।

वहां से घर जाती है ,अपने पति को फोन करती है और उनसे काफी माफी मांगती है।

उसके पति तो तलाक चाहते ही नहीं थे तो वह वापस घर आ जाते हैं और दोनों अच्छी तरह रहने लगते हैं।

तलाक का भूत दोनों के सर से उतर जाता है और दोनों कोई छोटा कोई बड़ा नहीं कोई ज्यादा कमाने वाला कोई कम कमाने वाला नहीं सामंजस्य जैसे करके एक दूसरे के साथ रहने लगते हैं।

अब संगीता भी उनके परिवार का हिस्सा बन जाती है ,

वह सुचिता के दूसरे फ्लैट में शिफ्ट हो जाती है और शांति से रहने लगती है।

अपनी जिंदगी में करी हुई गलतियों का पश्चाताप करते हुए अपने व्यवहार को इतना अच्छा कर दिया। 

 समय के साथ उसको भी एक सुलझे विचारों वाला जीवनसाथी मिल जाता है, जिससे शादी कर लेती है। उसकी जिंदगी भी सुधर जाती है।


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