गरिमामय प्रोफेसर मिस प्रभु
गरिमामय प्रोफेसर मिस प्रभु
हम लोग कॉलेज में नए-नए गए थे।बीएससी के अंदर 3 सब्जेक्ट लेने होते थे हिंदी, इंग्लिश और जनरल एजुकेशनहमारा साइंस का पहला बैच था।
उससे पहले कॉलेज आर्ट्स कॉलेज ही था।पहले बैच का ज्यादा ध्यान रखने के लिए और उनको अच्छी एजुकेशन देने के लिए बहुत ही अच्छे शिक्षक लेक्चरर्स हमारे लिए रखे गए।
जब इंग्लिश पढ़ाने की बात आई तो हमारी वाइस प्रिंसिपल मिस प्रभु जो बहुत ही कड़क थी मगर नारियल के जैसी,शिस्त की बहुत ही पाबंद थी।
उनको क्लास में अटेंडेंस भी पूरी चाहिए थी,और कोई भी क्लास में लेट नहीं आना चाहिए।
सबका ध्यान इंग्लिश पढ़ने में होना चाहिए।आज कल का पढ़ाया पूछना उनका सबसे पहला काम होता था।चश्मे के अंदर से वे सबको ऐसे देखती ऐसा लगता था हमारी शक्ल को देखकर उनको पता लग रहा है कि कौन क्या कर रहा है।ऐसी थी हमारी मैडम बहुत ही अच्छी इंग्लिश पढ़ाती थी।उस समय में गुड्डी पिक्चर जया भादुरी का हमारे यहां जैम सिनेमा में लगा था।मैडम ने सभी लड़कियों को अपने खर्चे पर पिक्चर दिखाने का सोचा।
टाइम तय कर लिया 3:00 से 6:00 के शो में जाना था सबको उन्होंने बहुत कड़कता से यह संदेश दे दिया था कि तुम सबको 2:30 पिक्चर हॉल पहुंच जाना है।
हम 6 लड़कियों का ग्रुप था उन्होंने हम लोगों को कहा तुमको जरूर से समय से पहुंच जाना है नहीं तो तुम को पनिशमेंट मिलेगी।हम लोगों ने भी अच्छे बच्चे जैसे सिर हिला दिया।दूसरे दिन पिक्चर हॉल में जाने का समय हुआ हम लोग वहां बाहर ही मार्केट में घूम रहे थे।थोड़ी देर हो गई एकदम घड़ी देखी भागकर के पिक्चर हॉल में गए चुपचाप जाकर के अपनी जगह बैठ गए ।हमने सोचा मैडम ने नहीं देखा पूरी पिक्चर देख ली। बाहर निकले उन्होंने आंखों ही आंखों में हमको शाम को अपने पास बुलाया इशारा किया और सबको भेज दिया और जो डांट पिलाई है वह आज भी याद आती है।उसने हमको लेट जाना भुला दिया जिंदगी का सबक दे दिया कि समय का कितना महत्व है और समय पर पहुंचना कितना जरूरी है ।जिंदगी में अनुशासन बहुत जरूरी है और हम सब को घर भेज दिया।
दूसरे दिन जब हम कॉलेज गए सब लड़कियां हमको घूर घूर के देख रही थी सबकी आंखों में एक ही सवाल था तुमको कितनी डांट पड़ी होगी ना।हम मुस्कुराए गलती करी है डांट तो खानी ही पड़ेगी। आज आपके इस विषय में मुझे वापस उस वाकिये की याद दिला दी।मिस प्रभु बहुत ही अच्छी प्रोफ़ेसर थी।स्वतंत्रता सेनानी थी हमेशा खादी की साड़ी पहनती थी। कभी-कभी वह अपनी कहानी भी सुनाया करती थीं। इनको सुनकर के बाद अच्छा लगता था कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी साथ में बहुत अच्छी इंसान थी। आज भी उनका नाम लेने पर हमारा श्रद्धा से उनके प्रति सिर झुक जाता है। ऐसा था हमारा इंग्लिश टीचर के साथ का अनुभव। उसके बाद तो परीक्षा का समय आ गया था । सबके अच्छे नंबर आए और दूसरे साल से तो इंग्लिश का सब्जेक्ट था ही नहीं तो ।
यह है हमारी राम कहानी इंग्लिश प्रोफेसर के साथ।