जीवन की संध्या तले
जीवन की संध्या तले
सोहम की शादी धूमधाम से कर कमल और मानसी ने चैन की सांस ली। वे दोनों अपनी जिम्मेदारी से फारिग हो चुके हैं।
कमल और मानसी सत्तर के दशक में अमेरिका के कैलिफोर्निया चले गए थे। दोनों ही कम्प्यूटर इंजीनियर हैं तो सत्तर के दशक में कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी में आए बूम में जाने वाले अनको भारतीयों की भांति, कमल और मानसी जो उस वक्त नए नए शादीशुदा थे, वे दोनों भी अमेरिका पहुंचे थे।
चार वर्ष बाद बेटा सोहम हुआ तो आठवें महीने के शुरुआत में कमल के माता-पिता आ गए थे, छह महीने रुककर जब वे भारत वापस गए तो मानसी के माता-पिता ने अमेरिका जाकर करीब नौ महीने तक सोहम की देखरेख की। सोहम के छह साल के होने तक कभी उसके बाबा-दादी तो कभी नाना-नानी वहां जाकर सोहम का ख्याल रखते रहे।
सोहम के बड़े होते होते कुछ वर्षों के अंतराल से उसके बाबा-दादी व नाना-नानी का साथ हमेशा के लिए छूट गया। भारत जाना आना भी न के बराबर रह गया।
सोहम ने कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से यू.जी. ( अंडर ग्रेजुएट) कोर्स करने के बाद कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स ( एम एस) किया। उसकी गूगल के माउंटेन व्यूह, कैलिफोर्निया स्थित गूगलप्लेक्स कारपोरेट हेडक्वार्टर में जाॅब लग गई। उसने वहीं अपार्टमेंट ले लिया। घर से उसकी ड्राइव कुल साढ़े तीन घंटे की थी। साथ ही कुलीग रैना थी जिसके पेरेंट्स लाॅस एंजेलिस रहते हैं। रैना के पेरेंट्स अस्सी के दशक में अमेरिका पहुंचे थे और यहां बस गए।
रैना और सोहम ने साथ काम करते हुए एक बाॅन्डिंग और लगाव महसूस किया। यह सब शुरू हुआ एक ही अपार्टमेंट में जब वे टीनेंट ( किराएदार) बने। एक जैसे इंट्रेस्ट के चलते फ्रीक्वेंसी मैच करने लगी। दोनों ने अपने अपने पेरेंट्स को बोल दिया, आपस में मिलकर शादी की डेट्स फिक्स कर दी गई।
शादी पूरे भारतीय रीति-रिवाजों से की गई। इसके लिए इवेंट आर्गेनाइजर को इंवाल्व कर दोनों पक्षों ने खर्चा आधा-आधा बांटा। उसमें भी सोहम और रैना ने पेरेंट्स पर कोई बोझ न डालते हुए स्वयं ही पूरी शादी का खर्चा वहन किया। अमेरिका में बच्चे जल्दी ही इंडीपेंडेंट हो जाते हैं। बच्चे और बड़े सभी अपने पर्सनल स्पेस के लिए काफ़ी जागरूक रहते हैं, इतनी समझदारी सभी में होती है कि हर कोई एक दूसरे के पर्सनल स्पेस और व्यक्तिगत टाइम की वैल्यू कर सके।
शादी के फौरन बाद सोहम और रैना ने जाॅब ज्वाइन कर ली। दोनों ने न्यू इयर के पास क्रिसमस हाॅलीडेज़ में लाॅस वेगास जाने का प्रोग्राम बनाया, जाकर भी आए।
महीने में एक वीकेंड पर सोहम के पेरेंट्स के पास जाते और एक पर रैना के पेरेंट्स के पास। बाकी के दो वीकेंड्स पर या तो कुछ जरूरी काम होता तो करते नहीं तो दोस्तों के साथ वीकेंड स्पेंड करते।
जब भी वे दोनों अपने पेरेंट्स के यहां जाते तो उनके पेरेंट्स खूब खातिरदारी करते।
समय बीता, सोहम और रैना एक बेटी माहिरा के माता-पिता बन चुके हैं। सोहम और रैना दोनों के ही पेरेंट्स ने माहिरा को बड़ा करने में बारी बारी से मदद की।
सोहम और रैना के दूसरी संतान बेटा आरव के समय भी कमल और मानसी ने भरपूर सहायता की। जिम्मेदारी और बढ़ गई थी क्योंकि रैना के पेरेंट्स तब तक ईश्वर को प्यारे हो गए थे।
समय का पहिया अपनी गति से चलता रहा...
माहिरा अठारह वर्ष की व आरव बारह साल का हो चुका है। कमल और मानसी भी पछत्तर से ऊपर के हो चले हैं। हर वीकेंड सोहम की पूरी फैमिली जाती है। बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स से मिलकर खुश हो जाते हैं। कमल और मानसी बुजुर्ग होने के कारण कुछ ज्यादा नहीं कर पाते हैं। सोहम और रैना खूब सारा खाने पीने का सामान बनाकर ले जाते हैं। सभी साथ में खाते-पीते हैं, क्वालिटी टाइम स्पेंड करते हैं। बच्चों को उनकी स्टोरीज़ सुनना अच्छा लगता है, खासतौर पर सत्तर के दशक के भारत की।
कुछ वर्षों बाद कमल और मानसी को सोहम ने देख समझ कर एक अच्छे ओल्ड एज होम में शिफ्ट कर दिया। कारण यह कि सोहम और रैना भी पैंतालिस के ऊपर हो गए हैं। कमल और मानसी अस्सी वर्ष के हो गए हैं, उनको एक्स्ट्रा केअर ( देखभाल) की जरूरत है तो हर तरह की फैसीलिटीज़ ( सुविधाओं) से युक्त ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) ही अमेरिका में बुजुर्ग दम्पत्ति के लिए बेस्ट ऑप्शन रहता है।
कमल और मानसी ओल्ड एज होम में साथी बुजुर्ग लोगों के साथ इंडोर गेम्स खेलकर, कभी बातें कर और कभी किसी को कुछ पढ़ा कर अपना समय व्यतीत करते हैं। कमल और मानसी दोनो ही टेक्नीकल फील्ड में थे तो अभी भी उनके साथी कम्प्यूटर (लैपटॉप) और किताबें हैं जिनसे वह सभी से दूर रहकर भी कनेक्ट बनाए रखते हैं और नए आर्टिकल पढ़ते रहते हैं। कभी कभी ओल्ड एज होम के द्वारा समुद्र तट ( सी-बीच) पर उनको ले जाया जाता है जहां तट पर चलते छोटे बड़े कछुए, समुद्री पक्षी देखकर सभी बुजुर्ग लोगों को अच्छा लगता है।
अभी भी सोहम व रैना, माहिरा और आरव के साथ वीकेंड पर घर जाते हैं तब माता-पिता को घर ले आते हैं। सोहम और रैना , बच्चे व कमल-मानसी इकट्ठे होकर पूरे दो दिन मज़े करते हैं।
सोमवार को बच्चे पढ़ाई में, सोहम व रैना जाॅब में बिज़ी हो जाते हैं, कमल और मानसी ओल्ड एज होम लौट आते हैं, वीकेंड पर फिर अपनों से मिलने के लिए...
दोस्तों, ये कहानी दिल से लिखी है मैंने और यदि मेरी यह रचना आपके दिल को छू गई है तो कमेंट सेक्शन में अपनी राय साझा कीजियेगा।
