जीवन के रंग
जीवन के रंग
रंग-बिरंगा त्यौहार मनाने की उत्सुकता सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को रहती है। रंगों से सराबोर माहौल में छोटी सी पूजा को भी रंगभरी पिचकारी, गुब्बारों से खेलने का बेसब्री से मन हो रहा, पर खेले कैसे ? मन मसोस कर रह गई। पापा तो रंग-पिचकारी-गुब्बारे लाना तो भूल गए, उन्हें पसंद जो नहीं था।
दोस्त ने कहा "आज दिल ना दुखाओ, बच्ची का उसकी पसंद ही तो हमारी भी पसंद है न।" पूजा ने पहली बार रंग-पिचकारी-गुब्बारे लेकर सबके साथ रंग दिया पापा को, अपने मनमोहक रंगों से।
यही जीवन के रंग यादगार-पल हैं।