Saroj Verma

Romance

4  

Saroj Verma

Romance

झरने की खुशबू....

झरने की खुशबू....

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मैं अपने ननिहाल घूमने के लिए गया था,पता चला कि गांव से बाहर एक झरना है जो कि बहुत ही खूबसूरत है, मैंने सोचा कि मुझे वहां जाना चाहिए और वहां की कुछ खूबसूरत सी फोटो क्लिक करके लानी चाहिए, फिर क्या था मैं चल पड़ा छोटे मामा जी के संग उनकी मोटरसाइकिल पर सवार होकर और कुछ ही देर में हम वहां पहुंच भी गए।।

जैसा सुना था वो जगह उससे भी ज्यादा खूबसूरत थी,मेरा वहां जाना सार्थक हो गया, घूम-घूम कर मैं वहां फोटो क्लिक करने लगा और जब थोड़ा थक गया तो मैंने मामा जी कहा कि "चलिए कुछ खा लेते हैं,"मामा जी बोले__

लेकिन मैं तो खाने को कुछ नहीं लाया और यहां भी कुछ नहीं मिलेगा, वीराने में।।मैंने कहा "चिन्ता मत कीजिए, मेरे कैमरा बैग में चिप्स के दो पैकेट और एक छोटी कोल्डड्रिंक पड़ी है, चलिए खाते हैं।।"

और हम दोनों झरने के पास बैठकर खाने लगे, खाते खाते पता नहीं अचानक किसी के चीखने की आवाज आई___

 "यहां मत बैठो,तुम लोग इस झरने को गंदा कर दोगे, इसमें मेरे परदेशी की खुशबू बसी है।"हम लोगों ने नज़र घुमाकर देखा तो कोई बुढ़िया लाठी के सहारे टेक टेक कर हमारी ओर चली आ रही थी और हम पर चिल्लाए जा रही थी। तभी उसके पीछे दो लोग आए और उसे ले जाने लगे।।

बुढ़िया बोली__" मैं पागल नहीं हूं, मुझे इन लोगों से जरा बात करने दो।"

वो लोग राजी हो गए और बुढ़िया हमारे पास आकर हमसे बोली___

"यहां घूमने आए हो?"

मैंने कहा, "हां"

बुढ़िया बोली__"तू तो यहां का नहीं लगता।"

मैं कहा ,"मैं तो यहां घूमने आया हूं।"

"तेरी तरह वर्षों पहले और भी कोई यहां घूमने आया था", बुढ़िया बोली।।

मैंने पूछा,"कौन था वो?"

"था एक परदेशी,जो मुझ पर मर मिटा था", बुढ़िया बोली।।

"अच्छा तो क्या आप मुझे उनके बारें में कुछ बताएंगी", मैंने कहा।।

" हां, क्यों नहीं,सुनना चाहता है तो सुन" और उन्होंने अपनी कहानी सुनानी शुरु की__

"वर्षों पहले मैं इस झरने में मैं अपना कलश लेकर पानी भरने आई थी, मुझे लगा तो था कि कोई मेरा पीछा कर रहा है लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि कभी कभी हमारा कुत्ता शेरू भी मेरे पीछे पीछे आ जाया करता था,तो जैसे ही मैं किनारे खड़े होकर पानी भर रही थी तभी ना जाने कहां से एक गिरगिट मेरे कंधे पर कहीं से आ गिरा , मैं खुद को सम्भाल ना सकी और गिर पड़ी झरने में ,तभी मुझे किसी के हंसने की आवाज़ आई, मैंने नज़र दौड़ाई तो पेड़ के पीछे से मुझे कोई देख रहा था और मेरी तस्वीरें भी खींच रहा था।।

मुझे बहुत गुस्सा आया और उसके पास जाकर मैंने उसका कैमरा छीना और झरने में फेंक दिया,अपना कैमरा बचाने के लिए वो भी झरने में जा गिरा और कैमरा ले आया, लेकिन शायद अब उसका कैमरा किसी काम का बचा नहीं था,वो बहुत गुस्सा होकर बोला__

"नादान लड़की,मेरा कैमरा खराब कर दिया।"

"परदेशी बाबू! अपने कैमरे की ज्यादा अकड़ मत दिखाओ, गांव में बता दिया कि तुम मेरी तस्वीरें खींच रहे थे कटवाकर फिंकवा दिए जाओगे, हड्डियों का भी पता ना चलेगा," मैंने कहा।।

वो बोला,सच में।।

मैंने कहा, हां,

फिर तो तुम बड़ी खतरनाक हो,वो बोला।।

और क्या,अभी तुम मुझे नहीं जानते, मैंने कहा।।

खूबसूरत चीजें खतरनाक भी होतीं हैं,ये पहली बार देखा,वो बोला।।

ज्यादा बकवास मत करो,अब मैं जाती हूं, मैंने कहा।।

फिर कब मिलोगी? उसने पूछा।।

कभी नहीं, मैंने कहा।और इतना कहकर मैं घर आ गई।।

फिर क्या था,हमारी मुलाकातें बढ़ने लगी और हम ने एक-दूसरे को दिल से अपना मान लिया, फिर परदेशी बाबू के जाने का समय हो गया और वो चला गया,ये वादा करके कि वो लौटकर आएगा , लेकिन साल भर हो गया वो नहीं लौटा और ना ही उसकी कोई चिट्ठी आई,तब मैंने सोचा कि मैं ही उससे मिलने जाऊंगी,वो अपना पता ठिकाना मुझे देकर गया था, मुझे विश्वास था कि उसकी कोई मजबूरी होगी,वो बेवफा कभी नहीं हो सकता और मैं उसके घर पहुंची, मैंने बताया कि मैं गुनगुन हूं, मुझे राजीव से मिलना है,तभी उन बुजुर्ग ने, शायद वो राजीव के पिता थे वो मुझे एक कमरे में ले गए वहां दीवार पर राजीव की तस्वीर थी जिस पर फूलमाला चढ़ी थी, मैं वहां से रोते हुए चली आई, लेकिन उस दिन मेरा विश्वास जीत गया कि वो बेवफा नहीं था, फिर मैंने शादी नहीं की, ये दोनों मेरे भाई के बेटे हैं,पता है इस झरने के पास मैं किसी को क्यों नहीं आने देती क्योंकि इस झरने में मेंरे परदेशी बाबू की खुशबू बसी है, मुझे झरने से उसकी खुशबू आती है" और ये कहते कहते गुनगुन की आंखें भर आईं।



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