ज़हर के कहर का मारा एक रिश्ता
ज़हर के कहर का मारा एक रिश्ता
ऑफिस में आज अफ़रा-तफ़री का माहौल था, बाॅस का बेटा राज सरदाना आज अमरीका से पढ़ाई ख़त्म करके ऑफिस ज्वाइन करने वाला था तो उनके स्वागत में पूरा ऑफिस स्टाफ़ जुट गया था। पर नीलम का दिमाग आज बिलकुल काम नहीं कर रहा। अपने पति के साथ छोटी-छोटी बातों पर हो रहे झगड़े ने कल बड़ा रुप ले लिया था। नीलम सबकुछ सह सकती है पर चरित्र पर गंदा इल्ज़ाम कैसे सहती। परसों तेज बारिश और तूफ़ान की वजह से नीलम की स्कूटी खराब हो गई तो नीलम का सहकर्मी विवेक नीलम को अपनी बाइक पर घर तक छोड़ने आया उस बात को लेकर आनंद ने जो सुनाया वो सुनकर नीलम का मन बहुत आहत था तो किसी काम में मन नहीं लग रहा था।
ठीक ग्यारह बजे बाॅस के साथ उनके बेटे राज की एन्ट्री हुई, उसकी पर्सनैलिटी से पूरा स्टाफ़ अभिभूत हो गया। छह फूट ऊँचाई, गेहूँआ रंग, घुँघराले बाल और गोगल में क्या लग रहा था। सबने फूलों का गुलदस्ता देकर राज का स्वागत किया। नीलम बेमन से खड़ी हाथ में गुलदस्ता लेकर अपने खयालों में खोई थी। राज नीलम के पास से गुज़रा एक मिनट तक खड़ा भी रहा, पर नीलम सर नीचा किए खड़ी रही तो राज ने चुटकी बजाकर नीलम का ध्यान भंग करते कहा हैलो मिस..मुझे लगता है सुंदरी के हाथों में ये सुंदर फूल शायद मेरे लिए है। नीलम सकपका कर सौरी-सौरी कहते हड़बड़ा गई और राज को गुलदस्ता देते हुए बोली वेलकम सर।
राज ने नोटिस किया नीलम की उलझन को इसलिए थैंक्स कहकर आगे बढ़ गया। राज एक ज़िंदादिल इंसान था बाॅसगीरी करने के बदले स्टाफ़ मेम्बर्स को घर के मेम्बर्स और दोस्त समझकर रखता था। नीलम को मिस उलझी जलेबी के नाम से बुलाता था।
आहिस्ता-आहिस्ता नीलम राज के साथ सहज होने लगी थी नीलम सुंदरता में किसी हीरोइन से कम नहीं थी, साथ में स्मार्ट और अपने काम में निपुण थी तो राज उसपर खास मेहरबान था।
दोनों में दोस्ती गहरी होने लगी थी और दोस्ती कब प्यार में बदल गई दोनों को पता नहीं चला। नीलम ने राज को अपने बारे में सबकुछ बता दिया, वो शादीशुदा है और आनंद के स्वभाव के बारे में भी। अब नीलम का ज़्यादातर वक्त राज के साथ बीतने लगा। आनंद के स्वभाव से प्रताड़ित नीलम आनंद से परे होती जा रही थी। नीलम ने एक दिन राज से कहा राज अगर में अपने पति से तलाक ले लूँ तो क्या तुम हमारे रिश्ते को नाम दे पाओगे ? राज का प्यार सच्चा था तो बिना कोई झिझक के हाँ बोल दिया।
नीलम ने वकील से मिलकर आनंद को तलाक के लिए नोटिस भेज दी तो आनंद आगबबूला हो उठा। पर नीलम के सामने कुछ जताने नहीं दिया, जैसा तुम ठीक समझो बोलकर चुप रहा और नीलम की हर गतिविधियों पर नज़र रखकर नीलम और राज के नाजायज़ रिश्ते के बारे में पता लगा लिया और एक ख़तरनाक प्लान बना लिया।
कुछ दिन आनंद नीलम के साथ अच्छे से पेश आया और नीलम को विश्वास में लेकर नीलम से बोला तुम्हारे बाॅस को कभी घर पर डिनर के लिए भी बुलाओ भै बाॅस की ख़ातिरदारी करके खुश रखना चाहिए।
नीलम को भी लगा की बात तो सही है राज को इसी संडे इन्वाइट करती हूँ। अगले रविवार राज को दावत देकर नीलम ने खुद अपने हाथों से तरह-तरह के व्यंजन बनाए। आनंद ने भी सारे काम में प्यार से नीलम की मदद की इतने में राज आ गया। आनंद बड़े प्यार और अपनेपन से राज को गले मिला और नीलम से कहा अब तुम दोनों आराम से बातें करो मैं खाना लगाता हूँ।
नीलम के लाख मना करने पर आनंद नहीं माना, कसम देकर नीलम को बिठा दिया और मुझे तलाक देने चली हो मन ही मन झल्लाते हुए बोलकर खुद किचन में जाकर थाली लगाने लगा। तीनों ने साथ मिलकर बड़े चाव से खाना खाया और थोड़ी ही देर बाद प्रणय त्रिकोण की बलि चढ़कर दो शरीर ज़हर के कहर से तड़पते लाशों में तब्दील होते घर के पिछवाड़े खोदे गए गढ्ढे में दफ़न थे।