जहर day-8
जहर day-8
"सविता ,बैंक ने और लोन देने से मना कर दिया है । ", कैटरिंग का व्यवसाय करने वाले सारंग ने अपनी पत्नी से कहा ।
"सारंग अब क्या होगा ? हरजी भाई को तो तुम जानते ही हो ?",सविता ने कहा ।
"कुछ समझ नहीं आ रहा ;लेकिन तुम्हें और मोहना को कुछ नहीं होने दूँगा । कल तक कोई न कोई हल निकाल ही लूँगा । ",सविता ने सारंग को दिलासा देते हुए कहा ।
"काश ऐसा ही हो । ",सविता ऐसा कहकर किचन में घुस गयी थी ।
सविता और सारंग ने घरवालों की मर्ज़ी के बिना प्रेम विवाह किया था । दोनों ही परिवारों ने अपने बच्चों से सारे रिश्ते तोड़ लिए थे । मोहना सारंग और सविता की 5 वर्षीय बेटी थी । सारंग ने कैटरिंग का छोटा सा व्यवसाय शुरू किया था । जब व्यवसाय ठीकठाक चलने लगा ;तब व्यवसाय बढ़ाने के लिए सारंग ने बैंक से कुछ लोन लिया । बैंक के साथ -साथ उसने हरजी भाई से भी लोन लिया था । सारंग लोन की किश्तें आराम से चुका रहा था ।
कोरोना के कारण सारंग का व्यवसाय चौपट हो गया था ;जमा पूँजी बैंक और हरजी भाई की लोन की किश्तें चुकाने में खर्च हो गयी थी । पिछले कुछ महीनों से तो किश्तें भी नहीं जा रही थी । हरजी भाई ने रोज़ तगादा करना शुरू कर दिया था ।
एक सप्ताह पहले हरजी भाई ने धमकी दी थी कि ,"अगर किश्तें नहीं चुकाई तो वह सविता और मोहना को कोठे पर ले जाकर बेच देगा । "
पुलिस -प्रशासन सब हरजी भाई की जेब में था । सारंग बैंक के भी कई चक्कर काट चुका था ;लेकिन कुछ हल नहीं निकला ।आज भी वह बहुत परेशान होकर ही आया था ।
डिनर के बाद सविता ,मोहना और सारंग सोने के लिए आ गए थे । मोहना और सविता बिस्तर पर गिरते ही सो गये थे ।
"तुम दोनों को उस हरजी भाई के नापाक हाथों में नहीं पड़ने दूँगा । ",मोहना और सविता की तरफ देखते हुए सारंग सोच रहा था । उसने बचने का रास्ता भी ढूँढ लिया था।
अगली सुबह सारंग ने सविता से कहा ,"आज तुम दोनों की पसंद की आलू कचौरी और सब्जी,जलेबी बनाऊँगा । तुम आराम से बैठो । "
सारंग ने सब कुछ बनाकर टेबल पर रखा और मोहना एवं सविता को नाश्ते के लिए आवाज़ लगा दी ।
तब ही दरवाज़े की घंटी बजी । सारंग दरवाज़े की तरफ लपका और दरवाज़ा खोला । दरवाज़े पर डाकिया एक स्पीड पोस्ट लेकर आया था । सारंग ने हस्ताक्षर करके स्पीड पोस्ट ले लिया था । दरवाज़ा बंद करके सारंग ने लिफाफा उलट -पुलट करके देखा । किसी पूजा बिस्किट्स का नाम लिफाफे पर लिखा हुआ था । सारंग ने लिफाफा खोला और पत्र निकालकर पढ़ने लगा । कंपनी ने अपना आई पी ओ निकाला था और सारंग के पास कंपनी का 1% हिस्सा था । कम्पनी के एक शेयर की कीमत के अनुसार सारंग अब करोड़पति हो गया था । सारंग ने वह पत्र बार -बार पड़ा ;खुद को चिकोटी भी काटी ;लेकिन सब सच था । 5 मिनट में सारंग की ज़िन्दगी बदल गयी थी ;उसकी एक बड़ी परेशानी सुलझ गयी थी ।
तब ही सविता ने पुकारा ,"अरे ,जल्दी आओ । सब ठंडा हो जाएगा । "
"एक मिनट रुको ;कुछ भी मत खाना । ",यकायक कुछ याद आते ही सारंग दरवाज़े से ही चिल्लाया ।
"पापा ,जलेबी बहुत अच्छी बनी है । ",मोहना ने सारंग को देखते ही कहा ।
"हाँ कचौरी भी अच्छी है । ",सविता ने कचौरी खाते हुए कहा ।
"तुम दोनों ने क्यों खाया ?",सारंग ने टेबल से सब सामान जमीन पर फेंकते हुए कहा ।
"क्या हुआ ?",सविता ने कहा ।
"रुको ,एम्बुलेंस को कॉल करता हूँ । ",सारंग ने तुरंत फ़ोन मिलाया ।
"एम्बुलेंस 10 मिनट में आ रही है । ",सारंग ने कहा ।
"लेकिन हुआ क्या ?",सविता ने कहा ।
"मैंने इसमें जहर मिलाया था । हरजी भाई के नरक में जाने से बेहतर था कि हम सब मर जाते । ",सारंग ने कहा ।
"पापा ,मुझे गले में अजीब सा हो रहा है । मेरा दम घूँट रहा है । ",मोहना ने कहा ।
हॉस्पिटल ले जाते हुए मोहना की मृत्यु हो गयी और काफ़ी इलाज़ के बाद सविता जिन्दा तो बच गयी ;लेकिन सविता के आधे शरीर को लकवा मार गया ।