जब सब थम सा गया
जब सब थम सा गया


इस समय ऐसी स्थिति थी की कौन सा दिन हैं और कौन सी तारीख चल रहा हैं किसी से कोई मतलब नहीं। बस उठो, खाओ आराम करो और फिर सो जाओ। न किसी से मिलना, न किसी के पास जाना। बस घर के अंदर बैठ कर खुद बचना और सबको बचाना। बस यही सब सोच कर दिन की शुरुवात हो रही थी। मैं बिस्तर पर ही लेट कर मोबाइल से सुबह ही सुबह सबको हनुमान जयंती के सन्देश भेज रहा था क्योंकि आज हनुमान जयंती थी। पिताजी ने सुबह सुबह मंदिर में हनुमान चालीसा और हनुमान जी के भजनों से पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया था। मैं जल्दी उठकर नहाने के बाद नीचे पूजा करने के लिए पहुँच गया। लॉक डाउन के चलते इस बार न हम लोग माला ला पाये और न ही लड्डू ला पाये। फिर भी भोग के लिए बेसन के लड्डू बहन बीना ने सुबह ही बना दिए,और माला पिताजी ने फूलों से बना दिया था। बस हनुमान जी की आराधना हुई और भोग लगा। साथ में हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया।
लगभग नौ बजे तक हम सब खाली हुए और प्रसाद का सेवन किया गया। वास्तव में मन शांत था और सकारात्मक ऊर्जा पहले से ज्यादा थी। नाश्त करने के बाद हम लोग बाते ही कर रहे थे की एक गाय कभी भी बच्चा दे सकती हैं और थोड़ी देर में हमारी गाय ने बच्चा दे दिया। सब कोई उसके पास पहुँच गए। भाई रूपेश ने तुरंत बच्चे को उठा कर गाय के पास रखा। सब पूछने लगे की बछड़ा हैं या बछड़ी? भाई ने जवाब दिया बछड़ी। सच में बहुत ही सुंदर बछड़ी थी बिलकुल सफ़ेद रंग की और माथे पर भूरा रंग। इतने में नायरा बिटिया आ कर खुश होकर कहने लगी,"मामा बाबु छोटा बाबु। "सब उसकी बातें सुनकर हँसने लगे।
इसके बाद मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। कमरे में आकर मैंने अपने पाठ्य पुस्तक को उठाया और पढ़ने बैठ गया। पढ़ते पढ़ते मैं सोचने लगा की अब लॉक डाउन का पूरा इस्तेमाल अपने बचे हुए पाठ्यक्रमो को पूरा करूँगा,क्योंकि फिजूल समय बर्बाद करके कुछ नहीं होगा। आज से मैंने यह निर्णय लिया की लॉक डाउन का अब पूरा इस्तेमाल करना हैं। बस फिर क्या पढाई चालू हो गयी जोरो शोरो से,दोपहर का समय हुआ भोजन का तो हम सब भोजन करने बैठ गए। इतने में टीवी पर खबर आती हैं कि लॉक डाउन बढ़ने की सम्भावना हैं और हो सकता हैं।
जिलों को सील भी किया जा सकता हैं। लो फिर समस्या बढ़ी। सम्भावना इस लिए हैं क्योंकि कुछ मूर्खो की वजह से सबको परेशानी झेलना पड़ रहा हैं। संक्रमितों की संख्या 5000 पर हो चुकी थी। इसलिए सरकार को कड़े नियम उठाने पड सकते हैं। इसी विषय पर खाने के बाद चर्चा होने लगी। सच में जब भी अपने को सकारात्मक
सोच के साथ कुछ करने की सोचता हूँ,इस तरह की खबर आ जाती हैं। पर मैंने ठान लिया हैं कि अब फिजूल खबर और बातो को नजर अंदाज करके पढ़ाई पर पूरा ध्यान दूँगा।
मैं ऊपर कमरे में आ कर बिस्तर पर कुछ देर के लिए लेट गया। कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला। लेकिन आधे घंटे बाद नींद खुल गयी। मैं कुर्सी पर जा बैठा और पढ़ना चालू किया। पांच बजे तक पढ़ने के बाद मैं नीचे आया और देखा की भाई गाय का दूध निकालने जा रहा था। तो मैंने कहा,"आज रुको मैं निकलता हूँ। "भाई बोला,"ये तो अच्छी बात हैं,ये चीज़ सीख जाओगे तो कभी भी काम दे सकता हैं। "फिर मैं दूध निकालने बैठ गया। थोड़ी देर दूध निकालने के बाद मेरे हाथों में दर्द होने लगा तो मैंने भाई से कहा,"मेरे हाथ दर्द कर रहे हैं,
भाई बोलने लगा बस थोड़ा और दूध निकालने हैं। धीऱे धीऱे निकालो निकल जायेगा। भाई ने जोश दिलाते हुए गाय का पूरा दूध मुझसे निकलवा दिया। भाई ने बोला,"आप रोज निकालोगे तो हाथ नहीं दर्द होगा। "हाथ धोकर मैंने पानी की पाइप निकाल कर पेड़ पौधों में पानी डाला। साथ ही साथ मैं खराब पत्तो को हटा भी रहा था।
शाम को आज विशेष आरती और भजन कीर्तन होना था। इसलिए मैंने दोलक निकल रखा था। वैसे तो लॉक डाउन के चलते हम मंदिर पर नहीं कर सकते थे इसलिए आरती और भोग के बाद घर के आँगन दरी बिछाकर सब बैठ गया। भजन कीर्तन चालू हुआ। सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ हुआ।
फिर एक एक करके साथ भजन हुए। सबने भजन गाये मैं ढोलक बजा रहा था। फिर मैंने चार भजन गाये। जिनमे से दो हनुमान जी के भजन थे। पहला था, "श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में"और दूसरा था दुनिया चलाए न श्री राम के बिना,राम जी चले न हनुमान के बिना। इसके बाद दो भजन शिव् जी का "बम बम बोल रहा हैं काशी,और श्री कृष्ण जी और सुदामा जी के दोस्ती की कहानी,"अरे द्वार पालो। भजन कीर्तन के बाद सबने प्रसाद का सेवन किया और कुछ देर बाते करने लगे। दस बजे के लगभग सबने भोजन किया और फिर सब अपने कमरे में चले गए । मैं अपने कमरे में ग्यारह बजे पहुँचा। आज दिन भर की थकान के चलते मुझे नींद आ रही थी। लेकिन आज की कहानी लिखनी थी तो नींद कुछ देर के लिए गायब सी हो गयी। मैंने अपनी आज की दिनचर्या को कहानी के रूप में लिखा और बिस्तर पर चला गया।
इस तरह कुछ अच्छे कार्यो से मन खुश था तो कोरोना के बढ़ते हुए आकड़ो से मन दुखी भी था। इस तरह लॉक डाउन का पंद्रहवाँ दिन भी समाप्त हो गया।
लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी हैं.........💐