जब सब थम सा गया
जब सब थम सा गया


प्रिय डायरी,
कभी किसी ने ये सोचा था कि किसी दिन पूरी दुनिया थम सी जायेगी। दुनियां तो छोड़िए कोई सपने में ये भी नहीं चाहेगा। 2012 से पूर्व एक चर्चा का विषय था कि 2012 मे प्रलय आएगा और सब खत्म हो जायेगा। हॉलीवुड ने तो इस पर एक सिनेमा भी बना दी थी जिसका नाम ही 2012 था।
लेकिन वर्तमान समय बहुत ही नकारात्मकता से भरा हुआ था। सब बस जल्दी इस मुसीबत से छुटकारा पाना चाह रहे थे। रोजाना मरीजो की संख्या बढ़ती जा रही थी,लेकिन प्रधानमंत्रीजी द्वारा जनता के लिए बहुत ही निर्णायक निर्णय लॉक डाउन के रूप में उपयोगी साबित हुआ।
चीन के बाद भारत की जनसँख्या सबसे ज्यादा हैं और अनुमान लगाया जा रहा था कि भारत अगर सही समय पर नहीं संभलता तो इटली जैसे हालात होने की सम्भावना ज्यादा थी। लेकिन इश्वर का लाख लाख शुक्र हैं कि स्तिथि अभी बहुत हद तक नियंत्रण में है। मैं रोजाना बस एक ही प्रार्थना करता हूँ की जल्दी से इस कोरोना संक्रमण की दवा हमारे पास उपलब्ध हो जाये ताकि दिन प्रतिदिन बढ़ती संख्या और संक्रमित लोगो को जल्दी से जल्दी सही किया जाये। सुबह उठकर कुछ देर के लिए सोचना और खाली समय में सोचना बहुत हद तक मुझे अच्छा लगता हैं।
सोचने से आपको कुछ भी लिखने और समझने में आसानी होती हैं। बिस्तर से उठ कर मैं अपनी नित्य क्रियाओं को करके नीचे पूजा पाठ के बाद नाश्ता करने बैठ गया। टीवी खोलकर समाचार देख रहा था कि कोरोना संक्रमण के मरीजो की संख्या कितनी बढ़ी हैं आंकड़े बढ़ ही रहे थे। 7400 मरीजो के सैंपल पॉजिटिव थे। थोड़ी देर में खबर आती हैं कि हमारे जिले के पास के जिला मंदसौर में एक 24 वर्षीय युवती का सैंपल कोरोना टेस्ट के लिए गया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उस क्षेत्र में हड़कंप मच गया। और कलेक्टर द्वारा मंदसौर के प्रभावित क्षेत्र को सील कर दिया गया। युवती को 6 अप्रैल से ही आइसोलेशन में रखा गया है,लेकिन अब जितने लोग उस युवती के संपर्क में आये हैं सबकी जांच होगी और आइसोलेशन में रखा जायेगा।
ये खबर वास्तव मे चिंताजनक थी क्योंकि कोरोना अब सिर्फ 50 कि.मी दूर ही था। मैं यही सोचने लगा की हमारे जिले के कलेक्टर महोदय ने क्या इसी कारण से दो दिन का संपूर्ण लॉक डाउन घोषित किया हैं क्या?कारण क
ुछ भी हो लेकिन अब सतर्कता और भी जरुरी हो गयी हैं। खबर देखकर मन में फिर से चिंता होने लगी। तापमान भी बढ़ रहा था। गर्मी भी अब बाद रही थी। संभावनाएं लॉक डाउन की बढ़ रही थी। मैं ऊपर अपने कमरे मे आ गया। मन को संतुलित करके मैं पढ़ने के लिए बैठ गया। दोपहर के भोजन का समय हो चूका था।
मैं किताबे बंद करके नीचे आ गया। नीचे नायरा और आरोही सबके साथ मस्ती कर रही थी। दोनों को साडी पहनाकर लोग नृत्य करवा रहे थे। भोजन के पश्चात मैं फिर कमरे में आया और कुछ देर के लिए कंप्यूटर खोलकर बैठ गया। कंप्यूटर पर स्कूल का कुछ काम करके मैं बिस्तर पर आकर लेट गया। गर्मी बहुत लग रही थी। लेकिन घर वाले अभी कूलर लगाने के लिए मना कर रहे थे। दरहसल मुझे सर्दी जुखाम बहुत जल्दी होता हैं और इस समय तो ये अगर किसी को होता भी हैं तो इलाज करवाना भी बहुत मुश्किल काम हैं। बिस्तर पर लेट कर मैं मोबाइल चला रहा था तभी एक खबर पटना की थी,बहुत ही कष्ट दायक खबर थी।
एक माँ अपने बच्चे को लेकर अस्पताल जा रही थी और बच्चे ने एम्बुलेंस न पहुचने के कारण रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उस स्थिति को शब्दो में बताना असंभव हैं। मैंने मोबाइल बंद करके रख दिया और सोचते सोचते सो गया। शाम को मैं जग कर पेड पोधो में पानी डालने से पहले सड़क एवं गेट के पास पड़े पत्तो को एक जगह एकत्रित करके जलाने लगा। फिर सड़क पर पानी छिड़क कर सफाई करने लगा।
शाम की आरती का समय हो गया था। आरती समाप्त करके हम सब कुछ देर के लिए मोबाइल में ही लूडो खेलने लगे। लूडो खेलते हुए मैंने सोचा की जो आनंद प्लास्टिक की गोटिया और गत्ता के लूडो का हैं वो मोबाइल पर नहीं। रात्रि भोजन का समय हो गया था,भोजन के पश्चात मैं छत पर टहलने चला गया। टहलने ले बाद मैं कमरे में आकर जीवन संगिनी जी से बात करने लगा,आज उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। मैंने पूछा,"दवाई लिया क्या"?उन्होंने कहा,"हाँ"! फिर थोड़ी देर घर के सभी बातों पर वार्तालाप होने लगा। बाते समाप्त करके मैं कंरे में आया और अपनी पढ़ाई को चालू कर दिया 11:30 बजे के बाद मुझे नींद आने लगी। मैं अपनी आगे की कहानी को लिखकर सोने चला गया।
इस प्रकार लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया। लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी है।