जब सब थम सा गया (बीसवाँ दिन)
जब सब थम सा गया (बीसवाँ दिन)


प्रिय डायरी,
कल 21 दिन के लॉक डाउन का अंतिम दिन हे। पता नहीं अब आगे क्या होगा। लेकिन वर्तमान में जो स्तिथि चल रही हैं,उसको देख कर तो लगता हैं कि अगर लॉक डाउन हटा भी तो बहुत सी चीज़ों में बदलाव और सख्त नियम रहेंगे। रोजाना कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही हैं। लेकिन अच्छी खासी संख्या में लोग ठीक भी हो रहे हैं। बढ़ते तापमान के चलते रात में बहुत गर्मी थी इसलिए नींद सही से नहीं आ रही थी। भोर में जब कुछ ठंडा माहौल हुआ तो कुछ देर के लिए नींद लगी। उठने के बाद मैं खिड़की से बाहर देखा तो मोर की आवाज़ बहुत ही मधुर लग रही थी। मेरा घर जिस क्षेत्र में हैं वह अक्सर मोर दिखते रहते हैं। कभी कभी तो मोर मेरे घर के छत पर आ जाते हैं।
सूर्योदय और पक्षियों के आवाज़ के बीच घर के मंदिर में भजन लगभग सभी चिंताओं को दूर कर देता हैं। मन शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता हैं। कल के मेहनत वाले काम के चलते बदन में हल्का सा दर्द हो रहा था। इसलिए मैं नहा धोकर पूजा पाठ करने के बाद कुछ देर टीवी देखने बैठ गया। खबर कुछ हद तक ठीक भी थी। सरकार ने कुछ नियमो के अंतगर्त फैसले लॉक डाउन के चलते लिए हैं। इसमें हर राज्य के जिलों को जोन के हिसाब से ढील देगा। जोनों में रेड जोन,ऑरेंज जोन,ग्रीन जोन सबके लिए अलग अलग नियम रहेंगे।
समाचार मे एक अच्छी खबर और दिखी की कल माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी देश को संबोधित करेंगे। हो सकता हैं कल कुछ अच्छी खबर मिले।
मन मे अच्छी उम्मीद लेकर मे नाश्ता करने के बाद कंप्यूटर पर कुछ बचा हुआ काम जो स्कूल का था करने चला गया। दरहसल बच्चो की पढाई का नुक्सान न हो इसलिए रोजाना उनको पढ़ने के लिए व्हाट्सएप्प के माध्यम से अध्ययन सामग्री सभी शिक्षकों को भेजना हैं। स्कूल का काम समाप्त कर मे कुछ देर के लिए गाने लिखने बैठ गया,मुझे गाने और संगीत का बहुत शौख हैं। दोपहर के भोजन का समय हो गया था। भोजन में राजमा चावल बना था जो मुझे बहुत प्रिय हैं।
भोजन के बाद मैं अपने कमरे में आ गया।
कमरे में आ कर मे कुछ देर के लिए कुर्सी पर बैठा उसी दौरान मेरे मित्र एवं छोटे भाई शुभम का फ़ोन आये और हम दोनों की बाते लगभग एक घंटे चली। बहुत दिनों से बात नहीं हुई थी और भी बहुत बाते थी,दरहसल इस लॉक डाउन के चलते हम लोगो की मुलाकात नहीं हो पा रही हैं। फ़ोन के बाद मैं पढ़ने के लिए बैठ गया। गर्मी आज बह
ुत थी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कूलर निकालकर लगाने मे भी डर लग रहा था। लेकिन फिर भी मैं कल कूलर निकलूंगा। पढ़ते पढ़ते साढ़े चार बज गए। रेम्बो भोक रहा था। मैं नीचे पहुँचा और उसको बाहर घुमाने निकल गया।
वास्तव में गर्मी बहुत थी। मैं कुछ देर में रेम्बो को लेकर अंदर आ गया।
शाम को पेड़ पौधों में पानी डालने के बाद में छत पर जाकर बैठ गया और चारो तरफ देखने लगा। आस पास के खेतों में भूसे और गेहू का ढेर किसान भाई फशलो को सुरक्षित स्थानों पर रख रहे थे। ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा था कि जल्दी लॉक डाउन हटे और सब अपना जीवन आराम से जी सके।
छत पर बैठे बैठे एक कहानी लिखने का मन हुआ,और फिर क्या स्टोरी मिरर पर लिखना चालु कर दिया। शाम हो चुकी थी लेकिन अभी अँधेरा नहीं हुआ था। आरती समाप्त होने के बाद सभी लोग आँगन में बैठे थे। आरोही अब चलना शुरू कर रही थी,लेकिन लॉक डाउन के चलते उसके लिए वॉकर नहीं खरीद सकते थे। पास के एक भैया ने हमें अपने बच्चे का वॉकर दिया,बस उसी से आरोही आज खेल रही थी। यदि आप कभी भी उदास हैं तो बस बच्चो को थोड़ी देर के लिए देख लीजिए या कुछ देर खिला लीजिये बहुत सुकून मिलता हैं। फिर मैं सोचने लगा की कल लॉक डाउन का आखरी दिन हैं। क्या लॉक डाउन खत्म होगा या बढ़ेगा। अब तो ये कल प्रधानमंत्रीजी द्वारा ही पता चलेगा।
रात्रि भोजन के बाद हम सभी लोग कुछ देर के लिए छत पर टहल रहे थे और हम लोगो की वार्तालाप चालु हो गयी। आज का विषय था कि लॉक डाउन बढ़ना चाहिए या नहीं ? वार्तालाप खत्म कर सब कमरे में चले गए। मैं भी कमरे मे आकर पढ़ने बैठ गया। पढ़ते पढ़ते समय कैसे निकलता हैं पता ही नहीं चलता हैं। कुछ देर बाद मैं अपनी आज की कहानी लिखने बैठा और बिस्तर पर आकर लेट गया।
मन में बस एक ही सवाल चल रहा था कि 21 दिन के लॉक डाउन का कल अंतिम दिन हैं और ये दिन कैसे निकले पता ही नहीं चला। स्टोरी मिरर के 21 दिन डायरी लेखन के चलते मैंने अपने 21 दिन की दिनचर्या को एकत्रित कर लिया था। जो मेरे लिए यादगार रहेगी।
इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी खत्म हुआ और उम्मीद हैं कि कल जो अंतिम दिन हैं कोई अच्छी खबर के साथ खत्म हो। कहानी के अगले भाग में मैं अपनी 21 दिन के अनुभवों का विश्लेषण करूँगा तथा इस दौरान क्या सीखा और किस चीज़ की प्रेरणा मिली इसका उल्लेख करूँगा।
कहानी अभी अगले भाग में जारी हैं........