इस्तीफ़ा
इस्तीफ़ा
भगवान दास शहर से करीब छ: कि.मी. दूर स्थित विद्यालय में विज्ञान विषय पढ़ाते थे। बारिश के मौसम में सारी सड़कें दूर-दूर तक पानी से भर जाती थी जिससे स्कूल पहुँचना बहुत ही कठिन हो जाता था।
एक बार तो खुले सीवर के ढक्कन से उनकी साइकिल टकरा गई और भगवान दास ज़मीन पर गिर पड़े। उन्हें काफी चोटें भी आईं। इसी तरह एक दिन स्कूल जाते समय एक तेज रफ्तार गाड़ी ने उनकी साइकिल को जोरदार टक्कर मारी जिससे उनको हाथ-पाँव पर ज्यादा चोटें लगी और उनकी साइकिल का भी काफी नुकसान हुआ। इन सब घटनाओं के बाद भी वे निरंतर संघर्ष करते हुए स्कूल जाते और बच्चों को मन लगा कर पढ़ाते थे।
ऐसी घटनाओं के कारण उनके घरवाले अक्सर उनको दूर पढ़ाने जाने से रोकते थे। उनके घर के आसपास भी कोई स्कूल नहीं था जहाँ भगवान दास जाकर पढ़ा पाते। इसलिए उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी और अपनी साइकिल पर पढ़ाने जाते रहे।
शिक्षण कार्य और विज्ञान विषय में रूचि होने के कारण जोश-जोश में साइकिल पर सारा रास्ता तय करके जैसे-तैसे भगवान दास जी समय पर स्कूल पहुँच जाते थे।
एक दिन स्कूल में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा था। भगवान दास विद्यार्थियों के फेवरेट टीचर थे। विद्यार्थियों के आग्रह करने पर भगवान दास मना नहीं कर सके और जीवन में पहली बार कुछ सुनाया। उसके बाद सभी ने तालियाँ बजा कर उनकी प्रशंसा की। उस दिन भगवान दास जी बहुत खुश थे।
कार्यक्रम के बीच में ही स्कूल मुखिया ने एक गलत सूचना के आधार पर भगवान दास को ऑफ़िस में बुलाया और उन पर चिल्लाते हुए कहा आपके खिलाफ शिकायत आई है। आप कक्षा के अन्य बच्चों की तुलना में ट्यूशन वाले बच्चों को ज्यादा ध्यान देकर सरल तरीके से लिखवाते हो। यह सुन कर भगवान दास को बहुत बुरा लगा। भगवान दास एक बहुत मेहनती और ईमानदार व्यक्ति थे। उन्हें बच्चों से काफी लगाव था और उन्हें बड़े प्यार से पढ़ाते थे। यह सब सुन कर उनको बहुत बुरा लगा और उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने कहा 'हाउ इज इट पॉसिबल'।
भगवान दास ने कक्षा के सभी बच्चों की कॉपियाँ मँगवा कर स्कूल मुखिया की टेबल पर रख दी और उन्हें चेक करने को कहा।
सभी कॉपियाँ चेक करने के बाद स्कूल मुखिया को बच्चों की कॉपियों के लिखे काम में कहीं अन्तर नजर नहीं आया।
उसके बाद भगवान दास ने कहा एक स्कूल मुखिया के रूप में आपको प्रारंभिक जाँच करने के बाद ही मुझे ऑफ़िस में बुलाना चाहिए था। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। वह तो एक मोमबत्ती की तरह जल कर विद्यार्थियों के जीवन में प्रकाश करता रहता है।
भगवान दास ने कहा मैं बच्चों को न केवल विज्ञान विषय पढ़ाता हूँ बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी देता हूँ। मैं ऐसे स्कूल में काम नहीं कर सकता जहाँ एक सच्चे व ईमानदार शिक्षक के लिए कोई सम्मान नहीं है। इसके बाद भगवान दास ने अपना इस्तीफ़ा स्कूल मुखिया को दे दिया और बड़े दुखी मन के साथ आँखों में पानी लिए ऑफ़िस से बाहर आ गए।
जैसे ही भगवान दास ऑफ़िस से बाहर निकले सभी विद्यार्थियों ने उन्हें घेर लिया और हैप्पी टीचर डे विश करने लगे। बच्चों को देख कर भगवान दास के चेहरे पर अचानक फिर से खुशी की लहर दौड़ गयी और वह मुस्कुराने लगे।