जीवन बीमा
जीवन बीमा


राजा और मैं बहुत पक्के मित्र थे। शादी के बाद भी हमारी दोस्ती में कोई कमी नहीं आई थी। भाभी जी मुझे अपनी सौतन कहती थी। मैं और राजा एक-दूसरे से खूब हँसी-मजाक करते थे। किसी ने कभी भी हमें गंभीर होते नहीं देखा था।
इतवार का दिन था। मैं उसके घर गया। राजा अपने घर की छत पर बैठा था। मैंने नीचे से उसे आवाज लगाई, “राजा आ घूमने चलते हैं।”
“नहीं यार। तबीयत ठीक नहीं लग रही,” राजा ने कहा।
मैंने कहा, “अबे साले बहाने बाजी छोड़। जल्दी से नीचे आ। अभी करता हूँ तेरी तबीयत ठीक।”
राजा ने कहा, “एक बार तू ही ऊपर आ जा। “
“ठीक है आता हूँ,” कह कर मैं ऊपर गया और उससे पूछा, “बोल क्या हुआ है?”
राजा ने कहा, “पता नहीं यार। कुछ अच्छा नहीं लग रहा है और छाती में भी दर्द है।”
मैंने कहा, “अबे साले रात को पार्टी में सारा कबाब ठूँस गया। अब तेरे एसिडिटी नहीं होगी तो किसके होगी। थोड़ा चूर्ण फाँक ले। दस मिनट में सब ठीक हो जाएगा।”
इतने में भाभी जी चाय लेकर आ गई। मैंने चाय पीकर कहा, “चल जल्दी से खड़ा हो जा भाई। थोड़ा बहुत चलेगा-फिरेगा तो कुछ गैस भी कम होगी।”
उसके बाद मैं और राजा घूमने निकल पड़े। रास्ते में राजा बोला, “यार मैंने तो अभी तक बीमा भी नहीं करवाया है। अगर मैं मर गया तो...”
मैंने उसकी बात को बीच में ही काट दिया और बोला, “अगर तू मर गया तो तू सीधा ऊपर जाएगा और स्वर्ग में ऐश करेगा बेटा।”
राजा बोला, “यार मैं सोच रहा हूँ कि जीवन बीमा करवा ही लूँ। अगर कल को मुझे कुछ हो गया तो तेरी भाभी तो सुरक्षित हो जाएगी।”
मैंने कहा, “तो मैंने कौन-सा करवा रखा है। पुराने पापी हैं हम दोनों। इतनी जल्दी नहीं मरने वाले। छोड़ ये बीमा-वीमा। चल पहले तुझे डॉक्टर को दिखाता हूँ और तेरा सारा वहम दूर करवाता हूँ।”
“नहीं यार पहले बीमा करवा लेते हैं। कहीं रास्ते में ही कुछ हो गया तो,” राजा ने कहा।
आज पहली बार मेरा मन भी कच्चा हो रहा था क्यूँकि इससे पहले राजा को मैंने कभी इतनी गंभीरता से बातें करते नहीं देखा था। मैं फिर भी मन मजबूत कर बोला, “अबे साले डरपोक कहीं के। ऐसे नहीं मरने दूँगा तुझे। तू तो मेरी जान हैं।”
राजा बोला, “तो तेरे हिसाब से पहले मेरे पास यमराज का इन्वीटेशन आएगा कि राजा भाई फलाँ-फलाँ तारीख को तुम्हें लेने आऊँगा। तैयार रहना।”
डॉक्टर ने उसके सारे टैस्ट करने के बाद बताया कि राजा को बहुत ज्यादा एसिडिटी हो गयी थी जो कि उसके दिल के लिए भी खतरनाक थी। डॉक्टर ने खान-पान पर ध्यान देने और दवाई लेते रहने की सलाह दी।
बाहर निकलते ही राजा बोला, “देखा मैं कह रहा था न कि दिल की बीमारी हैं।”
मैं बोला, “अबे साले तुझे तो दिल की बीमारी शुरू से ही है। जैसे ही कोई सुंदर लड़की देखी और बस...”
राजा ने कहा, “नहीं यार वो वाली नहीं असली वाली।”
मैंने कहा कि, “डॉक्टर ने बताया है कि एसिडिटी की समस्या है और ज्यादा एसिडिटी से दिल को खतरा हो सकता है। दिल की कोई बीमारी नहीं है
ं।”
राजा ने कहा, “कुछ भी हो यार चल पहले बीमा करवा लेते हैं। बहुत टेंशन हो रही हैं।”
उसके चेहरे पर चिंता देख कर अंदर से मैं भी परेशान था। हमने राजेश भाई साहब के पास जाकर उसका बीमा करवाया और रसीद आदि भी ले ली।
बीमा करवाने के बाद मैं राजा से बोला, “लो हो गया तुम्हारा बीमा। अब तो खुश हो। चिंता की कोई बात नहीं है। डॉक्टर ने दवाई दी है। तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे।”
मैं बार-बार अपनी बातों से उसे हौंसला दे रहा था। बीमा करवाने के बाद राजा कुछ निश्चिंत लग रहा था।
उसके घर पहुँच कर हम दोनों सोफे पर बैठ गए। उसके बाद भाभी जी चाय लेकर आई। उन्होंने राजा से पूछा, “अब कैसी तबीयत है तुम्हारी?”
राजा ने कहा, “ठीक हूँ।”
मैंने बोला, “कुछ नहीं भाभी जी। एसिडिटी हो रही है भाई साहब को। डॉक्टर को भी दिखा कर लाया हूँ। डॉक्टर ने दवाई दी है। शाम तक ठीक हो जाएगा। चिंता की कोई बात नहीं हैं।”
उसके बाद मेरे सामने ही वह घर के सारे जरूरी कागजातों के बारे में भाभी जी को समझाने लगा। भाभी जी बोली, “क्या बात कहीं जा रहे हो? आज से पहले तो कभी कुछ नहीं बताया।”
राजा बोला, “बस ऐसे ही। तुम्हें भी पता होना चाहिए।”
मैं बोला, “भाभी जी आपसे बहुत प्यार करता हैं मेरा दोस्त। आज अपना बीमा भी करा कर आया हैं।”
राजा ने मेरी और देखा ।
मैंने यह बात कह तो दी। परन्तु जल्दी से संभाल लिया।
मैंने कहा, “हाँ राजा ने बीमा करवाया है क्योंकि अब से सरकार ने हर कर्मचारी का बीमा जरूरी कर दिया हैं।”
बोली, “भाई साहब सच बताओ सब ठीक है न।”
मैंने बोला, “हाँ, हाँ भाभी जी कसम से सब ठीक हैं। बस थोड़ी-सी एसिडिटी हैं। दवाई लेने पर ठीक हो जाएगी। कोई चिंता की बात होती तो डॉक्टर अस्पताल में ही दाखिल कर लेता। घर थोड़े ही आने देता।”
मेरी ये बात सुन कर भाभी जी की जान में जान आई।
उसके बाद भाभी जी कप-प्लेट लेकर अंदर चली गई।
मैं राजा से बोला, “अच्छा राजा अब मैं चलता हूँ। आराम कर। किसी चीज की जरुरत हो तो बता देना।”
राजा बोला, “हाँ यार जरूरत तो हैं मुझे तेरी। मेरे जाने के बाद तेरी भाभी और बच्चों का ख्याल रखना।”
अगले दिन सुबह भाभी का फोन आया। उन्होंने कहा, “भाई साहब जल्दी आइए। पता नहीं इनको क्या हो गया हैं?”
मैंने फटाफट से स्कूटर निकाला और राजा के घर पहुँचा। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हृदय गति रूकने से सुबह ही वह हम सब को छोड़ कर जा चुका था। भाभी जी, बच्चों और हम सब का रो-रोकर बुरा हाल था।
राजा के जाने के बाद मैंने भाग-दौड़ कर भाभी जी को बीमा के बीस लाख दिलवाए। उसके बाद मैंने भी अपना व अपने परिवार का बीमा करवा लिया।
राजा की बातें आज भी मेरे कानों में गूँज रही हैं। जैसे उसे पक्का ही पता था कि उसके साथ क्या अनहोनी होने वाली हैं। उसे पहले ही अपने जाने का अहसास हो गया था। इसलिए उसने अपना बीमा करवाया ताकि पैसों की वजह से भाभी और बच्चों की दुर्दशा ना हो।