jyoti pal

Drama

4  

jyoti pal

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इंतजार

इंतजार

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203


नेहा, अपनी अलमारी से कपड़े निकलते हुए

"कौन सी ड्रैस पहनू समझ ही नहीं आ रहा। "

माँ - पिंक वाली पहन ले अच्छी लगेगी

नहीं मम्मा ये तो परसों ही पहनी थी , और नानी के यहाँ ऐसे पुराने कपड़े पहनकर जाऊँगी क्या।

माँ - तो क्या हुआ। मुझे नहीं पता पांच मिनट में बाहर आजा और सामान चैक कर लेना कुछ रह तो नहीं गया।

यही देर करेगी तो अंधेरा हो जाएगा। फिर मैं नहीं भेजूंगी। अभी तो कॉलेज से आयी हैं। कल सुबह नहीं जा सकती क्या नानी के पास, आज बड़ी याद आ रही हैं नानी की।

अच्छा मुझे तैयार होने दो रात में ही क्या डर हैं तुम्हें नहीं पता। लड़कियाँ तो नौ - नौ तक ऑफिस से घर पहुंचती हैं तुम बेवजह ही मुझ पर चिल्ला रही हों। जैसे दुनिया में और तो लड़कियां ही नहीं हैं, मैं ही अनोखी हूँ।

माँ - हे भगवान! अच्छा मेरा सर मत खा। जाना हैं तो बस, तैयार हो जा तेरा भाई आता ही होगा ऑटो वाले को लेकर।

नेहा को ब्लैक कलर पसंद था। इसलिए वह ब्लैक ड्रेस पहन कर तैयार हों जाती हैं।

बेटा कुछ खा तो लो,

नहीं माँ अभी तो आप ही बोल रही थीं देर हों रही हैं।

अच्छा जूस तो पिती जाओ, और ये टिफिन भी रख लो।

मम्मा टिफिन क्यों? मां के लिए लड्डू हैं, उनको पसंद है। गाड़ी की आवाज सुनकर- ले आ गया तेरा भाई। जा बोल दे सामान रखवा देगा।

अच्छा आप सैंडविच रख दो। मैं रास्ते में खा लूंगी।

बाय मम्मा, बाय आराम से जाना

भाई से- बाय भैया।

सारे सामान के साथ नेहा ऑटो में बैठ जाती हैं, बीच बीच में फोन देखती हैं और सैंडविच खाती हैं, पोने घंटे बाद घर से फोन आता हैं। नेहा फोन उठाती हैं

हेल्लो, हा मां रास्ते में हूं। नहीं अभी तो जाम नहीं हैं, पहुंचने वाली हूं, बस पांच मिनट और लगेंगे अच्छा अच्छा ठीक हैं मैं पहुंच कर फोन कर दूंगी।

नेहा फोन रखती हैं अचानक भीड़ सड़कों पर नजर आती हैं।

नेहा - भैया ये क्या हो रहा हैं।

लगता हैं शायद किसी की लड़ाई हो रही हैं।

अच्छा आप किसी शॉर्ट कट से निकाल लो।

सब जगह यही हाल हैं मुझे आगे जाना ठीक नहीं लगता जैसे ही ऑटो वापस मोड़ता हैं

भैया मुझे यही जाना हैं दो मिनट का भी रास्ता नहीं हैं मुझे मेरे घर पहुंचा दो।

मैडम आप पागलों वाली बात कर रही हो, यहां तो जान बच जाए वही काफी हैं आप देख नहीं रही आग की लपटें कितनी ज्यादा हैं दंगे हो रहे हैं

दुकानें जलाई जा रही हैं चारों तरफ से पथराव हो रहा हैं मैं बीवी बच्चे वाला आदमी हूं मुझे मरना नहीं हैं

जहा लगता था निकल जाएँगे वही वही बुरा हाल मिलता हैं, अब नेहा का दिल जोरो से धड़क रहा है। ना आगे जा सकते हैं ना पीछे, वह सोचती हैं मुझे मां की बात मान लेनी चाहिए थीं। फोन करूंगी तो घर में सब बहुत परेशान हो जाएंगे। कुछ समझ नहीं आता हे भगवान!

भीड़ देखते ही देखते बढ़ जाती हैं सड़कों पर हज़रों की संख्या में लोग हिंसा कर रहे हैं यहाँ-वहाँ दौड़ रहे हैं

आग के धुओं से सांस भी नहीं लिया जा रहा है।

तभी अचानक कुछ लोग हेलमेट पहने हाथ में हथियार लिये दौड़कर आते हैं ऑटो गिरा देते हैं।

ऑटो चालक चाकू के वार से वहीं दम तोड़ देता हैं नेहा को सर में चोट आती हैं हाथ जोड़ती हैं रोती हैं चिल्लाती हैं, पर जैसे शोर भरे माहौल वहां दर्द सुनने वाला इंसान कोई नहीं। ऑटो को पेट्रोल बम से जला दिया जाता है

नेहा के घर जैसे ही टी वी में न्यूज देखते हैं तुरंत फोन बजता हैं नेहा-"मेरा फोन वापस दो , छोड़ो मुझे कोई बचाओ... फोन छीनकर आग में फेक दिया जाता हैं। ऑटो बैग आग के हवाले कर दिया जाता हैं।

नानी के घर भी कोई फोन नहीं उठाता। न्यूज में पता चला जब देश के रक्षक हवलदार , पुलिस, अफ़सर तक मारे जा चुके हैं , ट्रकों में भरकर पत्थर निकल रहे हैं, बहुत लोग दंगो का शिकार हुए हैं हमारी तरह औरो के भी परिजन अपनों को ढूंढ रहे हैं।नानी के घर फोन उठाने पर पता चला नाले से लाशों के ढेर निकल रहे हैं, और कई घरों में महिलाओं से बलात्कार, लड़कियों के अपहरण भी हुए हैं यह सबको पता हैं अपनों को खोने का दर्द इतना हैं की सच छुपाए नहीं छुप रहा। और बयां करना भी मुश्किल हैं। किसी का घर सलामत, किसी की दुकान सलामत नहीं,लोगों का बरसों से खड़ा हुआ बिजनेस डूब गया जमकर लूटपाट हुई घरों-दुकानों के गेट और गाड़ी तोड़ सब पैट्रोल बम से आग लगाकर खाक कर दी गई। अस्पताल घायल लोगों से भरा हुआ हैं, दंगाई सफाई देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में हैं।

कुछ लोग खुसर फुसर कर रहे हैं "इसकी लड़की भाग तो नहीं गई दिखाई नहीं दे रही , माँ भी रो रही हैं भाई भी फोन कर रहा हैं

जाकर हाल पूछने पर लोगों को सच मालूम होता हैं।

फिर भी नेहा का भाई लगातार फोन करता हैं पर फिर कभी वह नंबर नहीं लगता। पुलिस में शिकायत भी की पर कुछ पता नहीं चला। लाश ही मिल जाती तो भी उम्मीद ना होती, उम्मीद भी नहीं टूटती सब परेशान हैं। दिन हफ़्ते महीनों बीत गए। सबकी आंखें अब रो रोकर पत्थरा गई हैं अब कोई उम्मीद भी नहीं हैं क्योंकि यह सत्य हैं कि ये अब ना खत्म होने वाला इंतजार हैं और लोग

चाहकर भी कुछ कर भी नहीं सकते।कुछ लोग चर्चा कर रहे हैं कि "अब ना आए कौन करेगा अब उससे शादी"।

बहुत ढूंढते हैं लोगों से पूछते हैं पर कही पता नहीं चलता।

घर में दुख भी हैं याद भी आती हैं पर नहीं आती तो उस इंतजार करते भाई की बहन और अपने माता-पिता की लाडली इकलौती पुत्री। रक्षा बंधन त्यौहार का अब उसके भाई को इंतजार भी नहीं हैं।


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