इंसाफ की देवी

इंसाफ की देवी

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ऋतु तुम्हें पता है, मेरे घर के बराबर वाले फ्लैट में रीना माथुर शिफ्ट हुई है। सुनयना ने ऋतु से कहा। अच्छा! वो रीना माथुर जो नारी संस्थान की सदस्या हैं। बहुत बड़ी शख्सियत हमारे शहर की। हाँ उन्होंने हमारे सामने वाला घर लिया है। बहुत सुंदर हैं। पता है और एकदम पर्सनैलिटी कई कई नौकर चाकर खूब रूतबा है। बिल्कुल हां यार बहुत सुना उनके बारे में जब वह जाती हैं, तो सब आगे पीछे होते हैं। हाँ गरीबों के लिए भी बहुत भला किया है। उन्होंने जहां भी कोई अन्याय देखती हैं। तुरंत पहुँचती हैं और उनके साथ फिर मीडिया जब देखो किताबें समाचार पत्र ,पत्रिकाओं में सभी में उनकी फोटो मिलेगी। हां वह काम भी तो बहुत अच्छा कर रही हैं। आजकल कौन करता है? किसके पास इतना टाइम में सोशल वर्क करने के लिए। हमें तो घर से ही फुर्सत नहीं मिलती। हां जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। कभी-कभी जाते और आते देखती हूं उनको कभी बात नहीं हुई।

एक दिन ऋतु के घर की डोरबेल बजी। हैलो ! मैं आपकी पड़ोसी रीना माथुर। जी आइये ना आपको शहर में कौन नहीं जानता? आप यहाँ के इलेक्टीशियन का फोन नम्बर देगी। स्पार्क हो रहा है कमरे में कहीं रात को परेशानी नहीं हो जाये। मैं तो घर में कम ही रूकती हूँ। काम से जाना हो जाता है। अरे आप क्यूँ आई ? अपने किसी केयर टेकर को भेज देती। नहीं, वो और कामों में व्यस्त हैं। तो सोचा सामने ही तो घर है मैं ही पूछ लेती हूँ।

जी ये लीजिए पेपर पर फोन नम्बर देते हुए कहाँ। आप चाय लेंगी। शुक्रिया आपका। नहीं नहीं चाय फिर कभी।

 कहकर चली गयी। सुनयना पति के आने पर सब बताने लगी बड़ी साधारण है पर लगता नहीं की हमारे घर भी आ सकती है। सुनो जी पड़ोस में बड़े आमीर है सब ,आना जाना हो जायेगा। मेवे लेते आना। आज चाय नहीं पी पता नहीं ग्रीन टी पीती हो। अगली बार पूछ लूंगी। काजू मेवे कुछ नहीं था आज नहीं तो दे देती। तभी तो नाम है शहर में उनका। औरतें इंसाफ की देवी कहते है। सारा दिन वही दिमाग में घूमता रहा। जो मिलता सबको बताती , रीना माथुर आई थी हमारे घर। ऐसे ही बोल चाल होने लगी सुनयना और रीना की। कभी कुछ सुनयना बनाती खाने में तो केयर टेकर को दे आती। रीना आ के ज़रूर खाने की तारीफ करती। 

एक दिन सुनयना ने दही बड़े बनाए तो देने के लिए जैसे ही डोरबेल बजाने लगी। दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। साफ दिखाई दे रहा था कोट पैंट में खड़े थे सामने रीना जी और वही बैड पर कोई बुर्जुग लेटे थे। केयरटेकर कपड़े बदल रहे थे उनके शायद पेरालिसिज था । उनको गिरा सा शरीर था एक तरफ।।लड़ाई की बहुत तेज़ आवाज़े आ रही थी। सुनयना सुनने लगी जो सुना दंग रही गयी जिसे वो महान समझती थी वो क्या थी! । सुनयना का पति बोल रहा था।मैं विदेश क्या चला गया पापा की क्या हालत कर दी तुमने रीना? मैने मुझे कह रहे हो ? आज मुझे इनकी वजह से मिटिंग से आना पड़ा। केयर टेकर छुट्टी पर था दोपहर तक। इन्होंने कपड़े खराब कर लिए। लेटे रहते जब तक वो नहीं आता। बेड से उतरने की कोशिश में गिर गये। तब मेड ने फोन किया मिटिंग छोड़ कर आई। उनके पति बोले। पहली बात वो गंदे कपड़े लिए सुबह से लेटे थे। तुमने किसी और केयर टेकर का इंतज़ाम करना चाहिए था। अगर ये कपड़े बदलने दोपहर तक नहीं आता तो क्या चार दिन तक तुम इसके आने का इंतजार करती। ना ससुर को पिता समझा ना मुझ को पति। दिखावे की सोशल वर्कर हो। किसी को पता चल गया ना की घर में हम दोनो की क्या इज़्ज़त है। इज़्ज़त धूल में मिल जायेगी तुम्हारी। अच्छा कैसे एक फोन से जेल भिजवा सकती हूँ पर चुनाव का समय है। सुनयना ने चिल्लाते हुऐ कहा।

नहीं करोगी तुम क्योंकि कानून के चक्कर लगाने में रूतबा मिट्टी में मिल जायेगा तुम्हारा। पर आज जो तुमने मेरे पापा के साथ किया उसके बाद मैं नहीं रहूँगा तुम्हारे साथ। तुम्हें आज ही कानून दिखाता हूँ। कि मेरे पिता पर मानसिक अत्याचार किये। जो पहले केयरटेकर था उसने बताया मुझे सुबह ,आज रास्ते में मिला था की तुम खाना नहीं दिलवाती थी दो बार ताकी टायलेट का काम नहीं करवाना पड़े बार बार। कपड़े खराब हो जाते थे। उनके डायपर बदलने ना पड़े बार बार। पैसे वेस्ट लगते थे डायपर के तो खाना बंद कर दिया। 

कौन मानेगा तुम्हारी बात ? रीना हँसने लगी मैं साबित कर दूँगी तुम्हारे खिलाफ बहुत कुछ। तभी सुनयना से रहा नहीं गया वो अंदर आ गयी। वाहह रीना जी । वाहहह! क्या शहर वालो को बेवकूफ़ बनाया आपने। घर में एक बीमार पिता का ध्यान नहीं रख सकती। सबको न्याय दिलाती है। तुम चली जाओ सुनयना हमारे बीच की बात पति पत्नी की रीना ने कहा। पति कौन सा ?जिसे अभी जेल भेज रही थी। मैं दूँगी गवाही आपके खिलाफ। पता तो चले सबको असलियत। आपकी उड़ान बहुत बौनी निकली। ऊंची दुकान फीके पकवान।

रीना के पति ने अत्याचार का केस दर्ज कराया सुनयना ने गवाही दी और रीना को सजा मिली। जो सुन रहा था दंग था। औरतों के न्याय के लिए इंसाफ की देवी जिसे मानते उसकी असलियत क्या थी। एक बौनी उड़ान।



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