Vandana Singh

Tragedy

4.5  

Vandana Singh

Tragedy

इंसानियत का सर्टिफिकेट ( सरकारी तन्त्र पर व्यंग्य)

इंसानियत का सर्टिफिकेट ( सरकारी तन्त्र पर व्यंग्य)

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मानव जी गाँव के रास्ते से कार ड्राइव करते हुए जा रहे थे कि कहीं से गाड़ी के सामने एक कुत्ते का पिल्ला आ गया। बेचारे मिस्टर मानव वैसे ही गाड़ी कभी 20-30किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ज्यादा रफ्तार में चलाते ही नहीं तो दूर से ही फुल ब्रेक दबाया और स्टेरिंग को घुमाया पर गाड़ी रुकते रुकते भी सड़क के किनारे से जा रही एक बुढ़िया से छू ही गई ।वह बुढिया भी गाड़ी अपनी ओर मुड़ते देख सड़क से उतर किनारे होने की बजाए एकदम से खड़ी रह गई थी। कोई और होता तो भाग जाता पर मिस्टर मानव बेचारे घबराए -सकबकाए और गाड़ी से उतर पड़े बुढिया का हालचाल पूछने ।बुढ़िया डर के मारे गिरी और बेहोश!! आसपास के गांव के लोगों की भीड़ लग गई ।किसी ने पुलिस को सूचना दी मामला दर्ज हुआ और कोर्ट तक जा पहुंचा ।

कोर्ट में विपक्षी दल का वकील :माय लॉर्ड इन महाशय ने जो अपराध किया उसकी सजा इन्हें मिलनी ही चाहिए। इन्होंने एक गरीब बूढ़ी माता को जान से मारने का प्रयास किया है! क्या एक गरीब को सड़क पर चलने का अधिकार नहीं ?ये अमीर सड़क पर कार लेकर चलते हैं तो उन्हें लगता है कि सड़क इन्हीं की है!इन्हें इस अपराध की कड़ी से कड़ी सजा मिले जिससे कोई भी अमीर किसी भी गरीब के साथ ऐसा ना कर सके ।

जज:"मिस्टर मानव ,आप कुछ कहना चाहते हैं ?"

मानव: "स ..स ..सर ..म ..म ..मैंने जो कुछ किया ..."

वकील :"क्यों किया? किसके कहने पर किया ?"

मानव :"सर...इंसानियत के नाते किया ..वह सड़क पर छोटा सा पिल्ला था ना गाड़ी के आगे !तो ..वह ..ऐसे ..बस ..सर हो गया स सर !"

वकील :" अच्छा !तो आप का कहना है कि आप ने इंसानियत के नाते एक बूढ़ी महिला की ओर गाड़ी मोड़ दी ?"

"जज साहब !जो व्यक्ति मां समान महिला की परवाह ना करके एक कुत्ते के पिल्ले की परवाह करता है ,उसके पास इंसानियत है ,इस बात का क्या सबूत है ?"

जज : "हां ,मिस्टर मानव क्या सबूत है ?"

मानव : "सबूत ?? इंसानियत के नाते ही किया है सर। "

वकील :"ऑब्जेक्शन माय लॉर्ड !इन से पूछा जाए इस बात का कोई सर्टिफिकेट है ?इन्हें सजा मिलनी चाहिए !"

मानव :" सर.. प्लीज इनकी मेरी बात सुनिए !"

जज : "ऑर्डर ऑर्डर .आप दोनों चुप रहिए ।मानव ,अदालत ने आप दोनों की दलीलें सुन ली अब अदालत की कार्यवाही 7 दिन बाद होगी इस बीच आपको अदालत हुक्म देती है कि आप अपने बचाव में सर्टिफिकेट प्रस्तुत करें -इंसानियत का सर्टिफिकेट । "

अदालत उठ गई ।

अब मिस्टर मानव परेशान। बेचारे कहां से लाएं सर्टिफिकेट? एक मित्र थे कचहरी में उनकी याद आई ।

(सारा वृत्तांत बताने के बाद )मानव :"चित्रगुप्त जी, अब आप ही बताएं सर्टिफिकेट तो बन जाएगा ना ?आपके ऑफिस से तहसील से ही तो होता है शायद ?"

चित्रगुप्तजी :"आप सही फरमा रहे हैं .तहसील से एफिडेविट बनवा लो इंसानियत का !बस हो गया आपका काम .पर माफ कीजिएगा !हमारा तहसील अलग है .आप के केस का एफिडेविट दूसरे तहसील से बनेगा ।"

मानव जी : "ठीक है चित्रकूट जी .धन्यवाद ,बहुत-बहुत धन्यवाद !!"

बेचारे मानव पहुंचे दूसरे तहसील में वहां पहुंचते ही एक घुमंतू टाइप का प्राणी उनके पास पहुंचा ,बोला :"लगता है पहली बार आए हैं !"

मानव : "जी ,इस इलाके में नया हूं ना !"

वह प्राणी बोला:" कोई बात नहीं !कोई सर्टिफिकेट बनवाने आए होगे ,सब बन जाएगा ।पहले 500 यहां देने होंगे ।आगे हम संभाल लेंगे ।"

मानव ने फटाफट से 500 दे दिए और उसके पीछे पीछे चल दिए। वह व्यक्ति एक अन्य व्यक्ति जो उसे जमात के प्राणियों जैसा ही था के पास जाकर कान में फुसफुसाया।


दूसरा व्यक्ति :"आप का सर्टिफिकेट हम बनवा देंगे ।काहे का सर्टिफिकेट चाहिए ?"

मानव: "इंसानियत का ।"

वह व्यक्ति घूरकर मानव की ओर देखता है और फिर बोलता है :"आप मेरे पीछे आइए ।"

मानव जी चल पड़ते हैं ।

अगले दृश्य में मानव तहसील के अधिकारी के सामने हैं अधिकारी :"आपको किस बात का सर्टिफिकेट चाहिए? बताइए ,हम बनाएंगे।"

 मानव : "इंसानियत का सर्टिफिकेट।"

अधिकारी : "यह तो हम जबसे नौकरी में है किसी को हमने जारी नहीं किया ।हम अपने सीनियर से पूछते हैं ।"

फोन मिलाते हैं ।फोन रख कर --"देखिए हमारे सीनियर्स कहते हैं यह हमारे विभाग का काम ही नहीं है !हम यह नहीं कर सकते ।"

मानव :"सर ,कुछ हेल्प कीजिए !"(500कानोट सरकाते हुए) अधिकारी : "ठीक है !आप ऐसा करिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के पास जाइये। वहीं से शायद आपका काम हो।"


 मानव वहां से स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग अधिकारी : (पूरी बात सुन कर )"इंसानियत का सर्टिफिकेट !यह तो बीमारी है !!इतने वर्षों तक हमारे विभाग ने शासन- प्रशासन का सहयोग करते हुए इतनी मेहनत से जिस बीमारी को दूर भगाया वह बीमारी अभी भी बची है ?अगर हम सर्टिफिकेट जारी करेंगे तो शासन सरकार को पता चल जाएगा और इस बीमारी की रोकथाम हम क्यों नहीं कर पाए इसके रिपोर्ट शासन हमसे मांगेगा !हम क्या करेंगे ?प्लीज हमें माफ करो और किसी से कहना भी नहीं   कि तुम में ऐसी किसी बीमारी के लक्षण हैं ! "

मानव: "सर, प्लीज मदद करिए मैं बहुत मुसीबत में हूं !(एक 500कानोट धीरे से बढ़ाते हैं )"

स्वास्थ्य विभाग अधिकारी : "आप एपिडेमिक कंट्रोल वालों के पास जाइए वह ही कुछ कर सकते हैं ।"

मानव धन्यवाद करते हैं और चल देते हैं ।अगले दृश्य में मानव एपिडेमिक कंट्रोल डिपार्टमेंट के अधिकारी के पास हैं ।

एपिडेमिक कंट्रोल ऑफिसर :(पूरा वृत्तांत सुनने के बाद )"आप जानते हैं आप क्या बात कर रहे हैं ?इंसानियत के वायरस कितने खतरनाक हैं ?हमारे विभाग ने सालों पहले वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के साथ मिलकर इस बीमारी को पूरी दुनिया से समूल नाश कर दिया था ।हमारे देश को इस बीमारी से मुक्त देश का सर्टिफिकेट जारी हो चुका है !अब ऐसी स्थिति में अगर तुम्हें सर्टिफिकेट जारी करेंगे तो तूफान आ जाएगा ।सैकड़ों सवाल हमसे पूछे जाएंगे और अब तो हमारे पास इसकी वैक्सीन भी नहीं बची क्योंकि सालों से कोई केस ही Discover नहीं हुआ ।हम यह जोखिम नहीं ले सकते !हमें माफ करो !

मानव : सर ..प्लीज हेल्प करिए !(500कानोट बनाते हैं) एपिडेमिक कंट्रोल ऑफिसर :आप हमें मजबूर ना करें !हम आप को रास्ता बताते हैं ।आप किसी नेता या बेहतर होगा मंत्री के पास जाएं ।"

मानव मंत्री जी के पास जाते हैं।

 मानव : "(मंत्री जी का पैर पकड़कर )सर ..प्लीज हमारा काम करवाइए ! यह काम सर ...आप ही करवा सकते हैं !"

मंत्री जी : "आप चाहते क्या है भाई ?इंसानियत का सर्टिफिकेट जारी करवाएं आपके नाम !सालों पहले हम कितना मेहनत करके सारी एड़ी चोटी का जोर लगा के शासन प्रशासन की जुगलबंदी से इंसानियत को मरवाए, उसका जनाजा निकलवाए और देखिए राजनीति में क्या-क्या करना पड़ता है कि अब रोज इस इंसानियत की समाधि पर फूल चढ़ाने जाते हैं और हां !एक बात और सालों पहले जब हमने इंसानियत का एनकाउंटर करवाया था, उसका लबादा उतार लिया था हमने और वही इंसानियत का लबादा पहन कर हम अपनी राजनीति चमकाने रहे हैं !ऐसे में तुम चले आए हो इंसानियत का सर्टिफिकेट लेने ?नहीं !यह काम नहीं कर सकते । हम इंसानियत के ठेकेदार हैं।

हम एक काम कर सकते हैं तुम्हारी खातिर -तुम हमारे कहे अनुसार चलो तो इंसानियत का लबादा तुम्हें दे देंगे और तुम्हारा काम भी हो जाएगा !"

मानव :(खुश होकर )जी !सर क्या करना होगा ?

मंत्री जी : "करना यह है फिर से कार लेकर निकलो हम पिल्ला छोड़ देंगे सड़क पर !पर इस बार सड़क पर होंगे विपक्षी पार्टी के वह नेताजी -जो हमको केस में फसाने की जुगत लगा रहे हैं !बस ,ठोक डाल उनको तुमको !कुछ ना होगा हम तुमको ।इंसानियत का लबादा पहना ही देंगे फिर चिंता काहे की ?"


नेताजी कुटिल भाव से मुस्कुराते हैंऔर मिस्टर मानव धरती में नजर गड़ाए गहरी सोच में डूब जाते हैं।।


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