इज्ज़त पार्ट - 2 end
इज्ज़त पार्ट - 2 end
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की सुहानी का बेटा विहान और पति सुहास, सुहानी को कुछ नहीं समझते थे, बाहर ले जाना भी पसंद नहीं करते, फिर एक दिन सुहानी की क्लास टीचर नीता मैम, सुहानी को कुछ समझाती है और अब आगे पढ़िए...
अगले दिन सुहानी विहान को स्कूल के लिए रेडी करके खुद भी रेडी हो जाती है, सुहास, विहान और मानसी हैरान हो जाते हैं, सुहास, सुहानी से पूछता है " सुबह सुबह कहां जा रही हो?"
"विहान के स्कूल, उसकी पैरेंट्स मीटिंग में।" सुहानी ने बिना बात घुमाए, सीधा जवाब दिया।
"पागल हो गई हो क्या? बच्चे का मजाक बनवाना है क्या स्कूल खुद जाकर, मानसी चली जाएगी, तुम्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है।" सुहास ने कहा।
"नहीं, मैं जाऊंगी, मानसी तुम तब लंच रेडी कर लेना, क्यूंकि मैं स्कूल से लौटते वक़्त कुछ सामान लेती आऊंगी, मुझे देर हो जायेगी, खाना बनाकर तुम कॉलेज चली जाना।" सुहानी ने कहा।
"मैं आपको स्कूल नहीं ले जाऊंगा, अपना मजाक नहीं बनवाना मुझे।" विहान ने लगभग चीखते हुए कहा।
"तुझ से कुछ पूछा मैंने, चुपचाप स्कूल चलो और आज के बाद मुझसे तमीज से बात करना, ऊंची आवाज़ में बात नहीं करना, समझे, लेट्स गो, वी आर आलरेडी गेटिंग लेट।" सुहानी ने कहा।
सब लोग सुहानी को देखते रह गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा था, की चुप रहने वाली, हिचकने वाली और इंग्लिश ठीक से ना बोल पाने वाली सुहानी को क्या हुआ अचानक।
सुहानी विहान के स्कूल जाकर बिना हिचके जितनी उसे आती है उतनी इंग्लिश बोलकर टीचर से मिल आई और टीचर से कह दिया, की मुझे हिंदी में कंफर्टेबल होती है, टीचर ने भी सपोर्ट किया।
घर वापस आने पर देखा, की मानसी खाना बनाकर बैठी है, सुहानी मानसी से पूछती है "तुम कॉलेज नहीं गई? चलो कोई नहीं, हम दोनों का खाना लगा दो, भूख लग रही है, फिर शाम को विहान को होमवर्क करा देना, तुम ठीक से करा दोगी, मैं जानती हूं, और रोज तुम करा दिया करना, मैं तो कुछ कुछ चीज़े समझ नहीं पाती और हां शाम का खाना अब तुम बनाया करना, क्योंकि मेरे हाथ का तो किसी को अच्छा नहीं लगता, एक स
मय तुम खाना बना दोगी, तो सब अच्छे से खा लेंगे।"
"भाभी, कभी - कभी की बात सही है, रोज उम्मीद मत करना, की मैं करूंगी, कॉलेज भी नहीं जा पाई मैं आज, इतना थक गई, और रही बात होमवर्क की, विहान कोई इतना भी छोटा नहीं है, की होमवर्क कराना पड़े।" मानसी ने गुस्से में जवाब दिया, और चली गई, उसी दिन रात को सुहास ऑफ़िस से वापस आया और विहान से पूछा "और बेटा कैसी रही तुम्हारी पैरेंट्स मीटिंग? मजाक बनवा दिया होगा, तेरी मम्मी ने तो?"
"नहीं पापा, मीटिंग बहुत अच्छी रही, मम्मी ने बहुत अच्छा बोला, मेरी मम्मी की जगह कोई नहीं ले सकता, कोई बुआ नहीं, कोई मौसी नहीं और कोई भी नहीं, पापा, आप गलत थे, जो हमेशा कहते थे, की तेरी मम्मी को कुछ नहीं आता, वो बेकार है पूरा घर मम्मी ने संभाला हुआ है, एक दिन बुआ को काम करना पड़ा, तो आफत आ गई, होमवर्क कराने से भी मना कर दिया मुझे, मैं सब सुन रहा था, सब नाटक करते हैं, मेरी मम्मी सबसे अच्छी है, आज के बाद मुझसे ये मत कहना मेरी मम्मी बेकार है।" विहान ने जवाब दिया।
मानसी और सुहास, विहान को हैरानी से देख रहे थे, और सुहानी खुशी के आंसूओं से नहाई हुई थी, विहान जाकर सुहानी के गले लग जाता है और कहता है, " सॉरी मम्मी, मैंने आज तक आपके साथ बहुत गलत किया, पर अब नहीं करूँगा और अच्छा बेटा बनकर दिखाऊंगा, आपकी बात मानूंगा, आप बहुत अच्छी हो, आई लव यू मम्मी।"
"आई लव यू टू , बेटा।" और दोनों कस कर एक दूसरे को गले लगा लेते हैं
अगले दिन सुहानी, नीता मैम के पास जाती है, और कहती है" मैम आपने मुझे समझाया, मैं सबके पीछे पीछे ना भागू , काम सब में बांटू, और कॉन्फिडेंट बनूं, मैंने एक छोटी कोशिश की और बाकी साथ मेरे बेटे ने दिया, मुझे लगा था, की शायद ही सब ठीक होगा और अगर होगा, तो समय लगेगा, पर मुझे यकीन नहीं हो रहा, की ये सब इतना जल्दी हो गया, मैं बहुत खुश हूं।"
"हमेशा खुश रहो, बेटा बस यही मैं चाहती थी।" मुस्कुराते हुए नीता मैम ने कहा।
कुछ कारण से दूसरा पार्ट लिखने में लेट हो गया, सॉरी।