ईश्वर का चमत्कार
ईश्वर का चमत्कार


बाजार में आज बहुत चहल पहल थी , मुझे बाजार आने का मौका बहुत कम ही मिलता है ,मुश्किल से अब तक मैं बाजार दो से तीन बार ही आया हूँगा !
आज भी मैं अपने बड़े भैया के साथ ही बाजार आया था ,आज मैं जिद करके बाजार आया था ककी मुझे अपने लिए एक स्कूल बैग और एक छोटा ताला खरीदना था मुझे छोटा ताला अपने बैग में लगाना बहुत पसंद है !
मेरा नाम वीर है ,मैं ७ साल का हु ,और मैं 2nd क्लास में पढता हु !
पापा मुझे रोज़ 25 पैसे मेरे पॉकेट मनी के लिए देते थे !
इससे ज्यादा की कभी जरुरत नहीं पड़ी क्युकी पापा का अपना दुकान था तो खाने के लिए बिस्किट टॉफ़िया ये सब दुकान पर ही मिल जाता था !
पापा के दिए ये 25 पैसे मैं अपने गुल्लक में जमा कर लिया करता था ,मुझे शुरू से ही अपनी सारी जरूरत के सामन खुद के इकट्ठे किये पैसे से ही खरीदने की आदत थी !
मैं हर साल सब मिलकर 100 रुपये तक इखट्टा कर लिया करता था ,और इन्ही पैसो से मेरी किताबे कोपिया और पेन पेंसिल सब हो जाता था !
कभी थोड़ा कम पड़ता तो पापा मुझे बिन बताये उन पैसो में अपने पैसे मिला देते ,पापा आत्मनिर्भरता को समझते थे !उस दिन मैं बाजार बैग और ताला खरीदने बड़े भैया के साथ गया था ,और बड़े भैया हमारे दुकान का सामन लेने !
भैया ने कहा की पहले दुकान का सामान ले लेते है फिर हम बैग और ताला ले लेंगे ,
मैं तो बाजार घूम के खुश हो रहा था ,कभी कभी आना होता था तो मैंने भी अपनी सहमति देदी !
पूरा सामन लेते लेते १० बज गए उसी दुकान की घडी में हमने टाइम देखा , अब चिंता और परेशानी हुई कि 10:30 का टाइम स्कूल खुलने का है अब मैं क्या करूँ !
भैया ने सुझाव दिया की बैग और ताला खरीदने में अब भी 30 मिनट लग जायेगा ,इसलिए वीर आज तुम स्कूल की छुट्टी कर लो !
पर मैं आज स्कूल की छुट्टी करने के मूड में नहीं था , क्युकी मैं अपना बैग और अपना छोटा ताला स्कूल के दोस्तों को दिखाना चाहता था !
तो मैंने भैया से जिद किया कि भैया आप मुझे पहले एक बैग और छोटा ताला खरीदवा दो और मुझे आधे रस्ते छोड़ दो मैं घर चला जाऊंगा !
फिर आप बची हुई खरीदारी कर लेना , भैया मेरी बातों से गुस्साए भी पर मेरी जिद के आगे वो मान गए , हम जल्दी जल्दी एक अच्छा सा बैग और एक ग्रीन कलर का छोटा ताला खरीद लिया!
भैया मुझे आधे रस्ते तक छोड़ने भी आये ,मैंने अपनी परेशानी भैया को बताई कि मुझे स्कूल जाना है और अब 11:30 हो गया है !
मेरे स्कूल का टाइम 10:30 है ,अब क्या होगा भैया !
मुझे परेशान देख भैया ने एक जगह रुक कर कहा,तू बजरंगबली पर विस्वास करता है ,मैंने कहा हां ..
उन्होंने बगल में उगे एक पेड़ से तीन पत्ते तोड़े ,तीनो एक साथ जुड़े हुए थे ,और वो देते हुए भैया ने कहा कि इस पत्ते को सीने से लगाकर हनुमान जी से प्राथना कर कि तू अपने सही टाइम पर स्कूल पहुंच जायेगा तो तू हनुमान जी का सच्चा भक्त बन जायेगा !
मैंने कहा कि भैया 10:30 स्कूल का टाइम है ,और अब 11:30 हो रहा है , तो मैं स्कूल के सही वक़्त पर कैसे पहुंच जाऊंगा !
भैया ने कहा वीर !
हनुमान जी पर सच्चे मन से भरोसा कर के एक बार बोल तो सही और अपनी परेशानी को उनपर छोड़ दे !
मैंने भी वैसा ही किया ,उस पत्ते को सीने से लगाकर मैंने बजरंगबली से कहा हे भगवन !
अगर मैं अपने स्कूल सही वक़्त पर पहुंच जाऊंगा तो मैं आपका सच्चा भक्त बन जाऊंगा !
ये कहकर वो पत्ता अपने ऊपर की जेब में रखकर मैं घर की तरफ चल दिया ,वो स्कूल मेरे घर के रस्ते में ही पड़ता था !
मैंने देखा कि अब भी बच्चे खेल रहे थे ,मैं फटाफट घर पंहुचा और हाथ पैर धोकर उस पत्ते को मैंने मंदिर में रख दिया फिर फटाफट तैयार हुआ !
अपने नए बैग में मैंने अपनी किताबे रखी और अपना ताला उस बैग पर लगाया और मैं स्कूल चल दिया !
मेरे स्कूल पहुंचने के 5 मिनट भी नहीं बिते होंगे कि प्रिंसिपल सर आते दिखे ,सायद उनके घर में कोई प्रॉब्लम थी इसलिए वो लेट हो गए !
पर हमारे स्कूल में तो उनके अलावा 3 और टीचर भी थे ,उनमे से आज कोई नहीं आया आज पुरे दिन मस्ती हुई !
और आज के इस हादसे से मैं हनुमान जी का भक्त बन गया मैंने 2 दिनों में पूरी हनुमान चस्लीसा यद् कर लिया ,अब मैं बिना हनुमान जी के पूजा के कुछ भी नहीं करता था !
ये कहानी 100% सच है पर मैं आस्था की बात नहीं करूँगा !
हर इंसान को जो भी कर रहा हो उसमे उसकी आस्था होनी चाहिए ! हमारे पास ही वो ताकत होती है जिसके कारण अनहोनी को हम होनी बना देते है !
ईश्वर का भी यही कहना है जो इंसान खुद की मदद करता है भगवन स्वयं उसकी मदद करते है !
अतः आप सब खुद पर मन से विस्वास करे ये विस्वास किसी भी रूप में कर सकते है !
हमारे माता पिता हमारी अंतरात्मा ईश्वर इंसानियत ! किसी भी चीज को अपने विश्वास का सहारा बनाये आपको सहायता मिलेगी ही।