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Indu Kothari

Romance Inspirational

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Indu Kothari

Romance Inspirational

ईश्वर जो करता है..

ईश्वर जो करता है..

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भावना आज बड़ी उदास थी। उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। क्यों कि जिस सुंदर जीवन और घर के उसने सपने देखे थे उस घर में उसे इतनी जिल्लत झेलनी पड़ेगी। लेकिन किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती।उसके विवाह को पूरे तेरह साल हो चुके थे लेकिन अभी तक उसे संतान सुख नहीं मिला था।अब तो सगे संबंधी भी उसे ताने देने लगे थे। कभी- कभी उसके मन में आत्महत्या करने का भी विचार आता लेकिन अपनी बूढ़ी मां के बारे में सोचकर रुक जाती और अकेले में फूट-फूट कर रोने लगती।एक दिन लगभग पन्द्रह साल की एक लड़की ने दरवाजा खटखटाते हुए पूछा काम वाली बाई चाहिए ? उसने इशारे से ही मना कर दिया।वह चली गई।एक सप्ताह बाद एक अधेड़ औरत काम की तलाश में आई‌।उस समय उसका पति भी घर में ही था।

उसने उसे अंदर बुलाया बातचीत की और कहा -कल से काम पर आ जाना।अब वह औरत रोज सुबह आती और झाड़ू-पोछा करके चली जाती।दिन यों ही बीतते रहे। एक दिन वही पहले वाली लड़की आई और बोली मुझे मेरी मां ने भेजा है वह कुछ दिनों के लिए गांव गयी है।तब तक मैं ही काम करुंगी। समय बीतता रहा। पर उसकी मां नहीं आई। जब भावना ने उससे पूछा कि क्या उसकी मां अभी नहीं आई तो लड़की बोली कि मां को दूसरे घर में काम मिल गया। अब यहां मैं ही काम करुंगी। भावना को उसका चाल-ढाल अच्छा नहीं लग रहा था। धीरे-धीरे उसके पति का झुकाव भी उसकी तरफ भी बढ़ने लगा था। 

उसने उसे काम पर आने के लिए मना कर दिया। लेकिन जैसे ही उसके पति को इस बारे में पता चला तो वह उसे ही भला बुरा सुनाने लगा।और उस लड़की को फिर से घर बुलाकर ले आया। धीरे-धीरे उन दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगी और फिर वही हुआ जिसका भावना को डर था।अब घर में आये दिन झगड़ा होने लगा।जब उसने विरोध किया तो उसके पति ने उससे साफ़ शब्दों में कह दिया कि मैं इससे शादी कर रहा हूं।

और मुझे तुमसे तलाक़ चाहिए। यह सुनकर वह सन्न रह गयीऔर उसका मन बेचैन हो उठा।पर वह कर भी क्या सकती थी। बहुत सोच विचार कर वह बोली कोई बात नहीं , तुम इससे विवाह कर लो ,लेकिन मुझे तलाक मत दो। मैं यहीं घर के एक कोने में पड़ी रहूंगी। तुम्हें कुछ नहीं कहूंगी।वह राजी हो गया। धीरे-धीरे समय बीतता गया।और एक दिन उनके घर में एक प्यारी सी बच्ची ने जन्म लिया। अब भावना को भी लगा कि चलो कम से कम अब मेरे पति तो खुश रहेंगे।।वह पूरे दिन बच्ची की देखभाल करती।और खुश रहती। दो साल बाद उनके घर में एक बेटे ने जन्म लिया अब भावना भी खुश थी कि चलो मेरे नसीब में न सही मेरे पति को तो बेटी बेटा दोनों का सुख मिल गया।वह दिन भर दोनों बच्चों के खाने पीने का ध्यान रखती नहलाती धुलाती और मालिश करके सुला देती। दूसरी अपनी मस्ती में रहती। उसे बच्चों से कोई मतलब नहीं था। धीरे-धीरे बच्चों का भी भावना से लगाव हो गया।वह उन्हें स्कूल छोड़ने लेने जाती। बच्चे भी उसे बहुत प्यार करते थे। अब वे भावना को ही अपनी मां मानने लगे। एक दिन वह काम कामवाली लड़की जो उसकी सौतन बन चुकी थी। पड़ोस वाले लड़के के साथ भाग गयी। पति ने बहुत खोजबीन करवाई लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चला। वह कर भी क्या सकता था।वह फिर से भावना के साथ रहने लगा , वो भी अपने दो प्यारे -प्यारे बच्चों के साथ। भावना भी खुश थी कि ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है।


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