Indu Kothari

Others

3.5  

Indu Kothari

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समय बलवान

समय बलवान

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राकेश जब दिल्ली से अपने गांव आया तो उस समय उसकी उम्र लगभग बारह साल रही होगी । आज ऑफिस के बाहर उसके ताऊ जी बैठे थे। वे मैनेजर से मिलना चाहते थे। परंतु ... राकेश उस आवाज को भली भांति पहचानता था। लेकिन वह चुपचाप बैठा रहा । और उस घटना को भुलाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन आज तक भुला नहीं पाया ।...उस दिन आधी रात को उसके परिवार को ताऊजी ने यह कहते हुए घर से बाहर निकाल दिया था ,कि तुम्हारे परिवार का खर्चा उठाना मेरे बस की बात नहीं ।उसके पिता महीने भर अस्पताल में ही रहे लेकिन अब डाक्टरों ने कह दिया था, कि घर पर ही रखकर देखभाल करने की कोशिश करो बीच-बीच में दिखाते रहना। तो वे उन्हें घर ले आए । उसके पिता का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हो गया था। तो ताऊजी उन्हें अपने साथ दिल्ली ले आए थे। एक साल बाद उसके पिता से ताऊ जी ने गांव की पूरी जमीन जायदाद बिकवाकर उसके पूरे परिवार को साथ ले आए थे। कुछ दिन तो सब कुछ ठीक-ठाक रहा । लेकिन दो साल बाद ही उन सबको धक्का देकर बाहर निकाल दिया। वे मिन्नतें करते रहे मगर उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। हार कर वे सब वापस गांव आ गये थे। भला हो गांव वालों का जिन्होंने उन्हें रहने के लिए जगह दी। उसके पिता का स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था। लेकिन चिंता उन्हें अंदर ही अंदर खाये जा रही थी। उसकी मां‌ मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही थी। लेकिन दो बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा था। राकेश अपने एक शिक्षक के साथ रहकर उनका हल्का फुल्का काम कर दिया करता था , और वे उसकी फीस भर दिया करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह रोजगार तलाश में निकला ।मगर असफलता ही हाथ लगी। एक दिन अचानक उसकी मां को दिल का दौरा पड़ा और वे दुनिया से चल बसी। वह काम की तलाश में निकला । एक दिन गांव के ही किसी व्यक्ति के साथ वह पूना चला गया ।उनका वहां अपना कारोबार था वह उनके साथ हाथ बंटाने लगा । राकेश अपना काम बहुत मेहनत और लगन से करता था। धीरे-धीरे वह बिजनेस से सारे गुर और तौर तरीके सीख गया । अब उसके पास पूरा अनुभव और थोड़ा बहुत पैसा भी इकट्ठा हो गया था। धीरे-धीरे समय बीतता गया ।और अब वह एक बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर है ।आज उसके सामने उन्हीं ताऊजी का छोटा बेटा इंटरव्यू के लिए आया था। वे उसी के साथ आये थे। लेकिन समय ने करवट बदल ली थी । वह गर्दन ऊपर कर टकटकी लगाए छत के उस पंखे की ओर देख रहा था । जो उसे समय चक्र की याद दिला रहा था।आज वह इस पसोपेश में था कि मुझे कौन सा रास्ता चुनना चाहिए। वह कुछ देर के लिए बीते समय में खो गया। और आंखों की कोर से लुढ़क कर कुछ बूंदें आंसुओं की फर्श पर गिर पड़ी।



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