हिंदी मेरा गौरव
हिंदी मेरा गौरव
रिया ने पिछले साल ही इण्टर की परीक्षा पास की थी। उसने मैरिट लिस्ट में दूसरा थान प्राप्त किया था। उसके माता-पिता भी बेटी की सफलता पर फूले नहीं समा रहे थे। वे चाहते थे कि वह आगे पढ़ाई किसी अच्छे कॉलेज से करें । उसके पिता ने दिल्ली के प्रसिद्ध कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी में उसे दाखिला दिलवा दिया। रिया पहली बार दिल्ली आ रही थी, इसलिए वह बहुत घबराई हुई थी। मां के आश्वासन देने के बाद वह थोड़ी सहज हुई और वहां रहने को तैयार हुई। जब वह कालेज जाने लगी तो धीरे-धीरे उसकी दोस्ती अन्य लड़कियों से हो गई।उसकी कक्षा में एक लड़का था रोहन ।वह पढ़ने में बहुत होशियार था। जब परीक्षा हुई तो रोहन सबसे अधिक अंक प्राप्त कर पहले स्थान पर था। रिया को पांचवां स्थान मिला। रिया कभी कभी रोहन की मदद भी लेती।परंतु रोहन को हिंदी ठीक से समझ नहीं आती थी, उसकी मातृभाषा कन्नड़ थी। परन्तु वह अंग्रेजी में ही बात करता । वहां अधिकांश छात्र हिंदी भाषी क्षेत्रों से थे।वे आपस में बातें करते और ठहाके लगाते, रोहन बस मुस्कुरा भर देता क्योंकि वह उनकी बातें ठीक से समझ नहीं पाता था।एक दिन रिया जब कालेज जा रही थी तो उसका पैर फिसला और वह गिर पड़ी।सिर पर चोट लगने से वह बेहोश हो गई।रोहन उसे अस्पताल ले गया। उसने रिया के घर फोन मिलाया तो फोन रिया की मां ने रिसीव किया। परन्तु उसकी भाषा मां समझ नहीं पाई और न ही रोहन उनकी बात समझ पाया। क्योंकि रिया की मां अंग्रेजी नहीं समझ पाती थी।और रोहन हिंदी नहीं समझ पाता था। उसने घबरा कर अपने दोस्त को फोन मिलाने की कोशिश की कि वह रिया के घर सूचित कर दे। परन्तु नेटवर्क न होने के कारण उससे भी बात नहीं हो पाई। इधर रिया की स्थिति खराब होती जा रही थी।और उधर रोहन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह खुद के दम पर रिया का इलाज करा पाता। उसने कहां खड़े कुछ लोगों से रिया के घर सूचना देने के उद्देश्य से बात करनी चाही ।लेकिन अस्पताल तो वहीं आता है,जो बीमार , दुखी और परेशान रहता है, किसी के पास भी उसकी बात सुनने की फुर्सत कहां थी ।आज वह सोच रहा था कि काश उसे हिंदी भाषा बोलनी और समझनी आती तो आज रिया की जान बच जाती ।अगर रिया को कुछ हो गया तो वह अपने आप को माफ नहीं कर पायेगा। एक नर्स कमरे में आई और रिया को इंजेक्शन दे कर चली गई ।
अब रोहन को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था और आंखों से आंसू टपक रहे थे। कि तभी रिया ने धीरे धीरे आंखें खोली और एक लंबी सांस भरी। रोहन ने ईश्वर का धन्यवाद किया कि तूने रिया की जान बचा दी। उसनेे अब ठान लिया था कि वह खुद भी हिंदी भाषा सीखेगा और दूसरों को भी सिखायेगा। आज वह समझ चुका था कि अहिंदी भाषी होना भी किसी अभिशाप से कम नहीं ।भाषाएं हमारे बीच एक सेतु का काम करती हैं।और हिंदी भाषा का क्षेत्र तो बहुत विशाल है। अतः हमें किसी भी भाषा को हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।
