Indu Kothari

Children Stories Inspirational

4.5  

Indu Kothari

Children Stories Inspirational

जल है तो कल है

जल है तो कल है

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आज मेरी बचपन की सहेलियों माधवी और रागनी से बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई । काफी देर तक बातें करने के बाद हमने एक योजना बनाई।कि कल सब उस जगह की सैर करेंगे जो हमें सबसे प्रिय थी।वहां अक्सर हम अमरुद तोड़ने जाया करते थे। खाने पीने का कुछ सामान रखकर हम घर से निकल पड़े। वहां पहुंचते पहुंचते दोपहर का समय हो चुका था। लेकिन वह बागीचा अब पहले जैसा नहीं था ।वहां एक बड़ा सा कारखाना खुल चुका था पेड़ों का कहीं नामोनिशान नहीं ।यह देखकर हम बहुत दुखी थे। और चलते- चलते बहुत थक चुके थे इसलिए उस रात वहीं रुकने का निर्णय लिया। दिन भर थके होने के कारण। बिस्तर पर लेटते ही गहरी नींद में खो गये।रात के सन्नाटा में कभी कभी कुत्तों के भौंकने की आवाजें आ रहीं थीं। खिड़की के ठीक सामने एक छोटा सा घर था। उसमें से किसी के रोने की आवाज आ रही थी। सुनकर मेरी नींद खुल गई ।थोडी ही देर में मैंने देखा कि उनके आंगन में तीन चार छोटे- छोटे कद के लोग टहल रहे थे। उनका चेहरा एकदम पतला और मुरझाया हुआ था।सारे शरीर पर झुर्रियों उभर आई थी। उनकी उम्र चालीस से पचास साल के आसपास लग रही थी। वे कुछ अजीब सी भाषा बोल रहे थे। और किसी दूसरे ही ग्रह के प्राणी लग रहे थे। उन्हें धरती पर चलने में परेशानी हो रही थी। उनके कदम डगमगा रहे थे। थोड़ी ही देर में उनके पास दो और आदमी आये जो किसी लम्बे कद काठी के इंसान को पकड़ कर ला रहे थे।जो बेहोशी के हालात में था। उन्होंने उसे आंगन में लिटाया और फिर वहां से चल दिए। जाते जाते वे पानी की टंकी की ओर इशारा कर कुछ बातें कर रहे थे। लेकिन वह मेरी समझ से परे था। अब तो मेरीकोसों दूर थी। मैं सोच रही थी कि वे कौन थे? कहां से आए होंगे?और जो लिटाया, वह आदमी कौन है ? रात के सन्नाटे में जाकर देख भी नहीं सकते । एक तो नई जगह दूसरे अनजान लोग ।पर मन बड़ा बेचैन हो रहा था।कि आखिर माजरा क्या है? थोड़ी देर बाद आंगन के कौने से कराहने की आवाज़ आने लगी। लड़की का ध्यान जैसे ही उस ओर गया।वह बाहर निकली और जोर जोर से चिल्लाने लगी। पापा -पापा ।उस समय सुबह के लगभग पांच बजे होंगे। मैंने माधवी को जगाने की चेष्टा की पर वह तो जैसे घोड़े बेचकर सो रही थी। मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो वह आदमी धीरे-धीरे कुछ बुदबुदा रहा था। उसकी बातें पूरी तरह समझ में नहीं आ रही थी । उस छोटी बच्ची ने उन्हें उठाने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रही। फिर वह पास ही के घर से एक बुजुर्ग महिला को लेकर आई और कहने लगी दादी मेरे पापा को बचा लो । बुजुर्ग महिला ने उसे पानी पिलाया। काफी देर बाद वह उठ बैठा।और अपने चारों ओर देखने लगा।तब तक भगवान सूर्य नारायण भी उदयाचल पर नजर आने लगे। हल्का पीला प्रकाश उसके चेहरे पर पड़ने लगा था। माधवी ने चाय का आर्डर कर दिया था।और मैं बालकनी से यह सब देख रही थी। फिर वे उस आदमी को कुर्सी पर बिठाकर पूछताछ करने लगे। वह बदहवास हालत में बड़बड़ाने लगा मुझे छोड़ दो मुझे पानी पीना है बहुत प्यास लगी है। एक चम्मच पानी से कुछ नहीं होगा। उन्होंने उसे झकझोरा तो वह होश में आया। उसने कहना शुरू किया.. कि "जब वह रात को छत पर सो रहा था तो पांच छः छोटे छोटे कद के लोगों ने अचानक उसे घेर लिया और फिर रस्सी से बांध कर उसे एक ऐसी जगह ले गए जहां सूखे पहाड़ थे ।हरियाली बस नाममात्र की थी। वे मुझे एक अजूबे की तरह देख रहे थे। थोड़ी ही देर में वहां बहुत भीड़ जमा हो गई।वे कुछ इशारा करते हुए बातें कर रहे थे । वहां पानी बहुत कम था।जब प्यास लगती तो वे बस एक चम्मच पानी दे रहे थे। कहीं कहीं छोटी छोटी घास दिख रही थी ।वे उसके पत्ते चबाकर अपनी भूख मिटा रहे थे।खाने के लिए केवल छोटे छोटे जंगली फल और कुछ हरे पत्ते ही उसे दिए गये। पानी की कमी के कारण वहां फसलें भी नहीं होती थी। बड़े पेड़ पौधों तो थे ही नहीं। बड़े जीवों का वहां अभाव था।और घर तो गुफा जैसे थे। मेरा वहां दम घुट रहा था। उनके कपड़े मैले कुचैले थे क्यों कि पानी तो सबसे कीमती था।वे मुझे दिन में केवल चार पांच चम्मच पानी ही दे रहे थे ‌।मेरा हलक सूख गया। तो मैं छटपटाने लगा। मैंने पानी के लिए इशारा किया कि तभी वे दो-तीन घरों में जितना पानी था। सब ले आये , तब जाकर मुझे एक गिलास के बराबर पानी मिला ।और मैं थोड़ा सामान्य हुआ‌। अचानक उसी रात वहां वर्षा की कुछ बूंदें गिरने लगी तो वे सभी खुश होकर नाचने लगे।और अपने अपने खाली बर्तन उन छोटे गुफानुमा घरों के आगे पीछे और छतों पर उस पानी को एकत्र करने के लिए रखने लगे । मुझे बहुत प्यास लगी थी ।जैसे ही उन बर्तनों पर पानी जमा हुआ मैंने पी लिया जब उन्हें पता लगा कि वह पानी मैंने पिया तो उन्होंने मुझे मार-मार कर अधमरा कर दिया। वे आपस में बातें करने लगे। और मुझे घसीटते हुए बाहर ले आये । और फिर मुझे यहां छोड़ दिया।" यह सुनकर सभी हैरान हो गए।वे उस व्यक्ति घर के अन्दर ले गये।और चारपाई पर लिटा दिया। यह सब सुनकर दादी बोली बेटा लगता है वे दूसरे ग्रह के प्राणी थे ।जो इस पृथ्वी पर बसने के इच्छुक हैं क्योंकि यहां अमृत तुल्य मीठा पानी जो है। पानी अनमोल है और हम लोग उसे बरवाद करने में लगे हैं। यदि हम पीने का पानी यों ही बरवाद करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी पृथ्वी भी पानी की कमी से ऐसी ही जूझने लगेगी। ‌और यहां भी वही हालत पैदा हो सकते हैं। इसलिए पानी की बरबादी को रोको तभी माधवी आ पहुचीं और हम अपने कमरे में लौट आए।


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