Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Deepti Tiwari

Inspirational

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Deepti Tiwari

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ईनामदार की ईमानदारी

ईनामदार की ईमानदारी

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जून महीने की गरम दोपहर ,बेटे के जनम दिन कि तैयारी मे दिन ढलने को आ गया । डकोरेशन वाले भी आ कर काम निपटा चुके थे ,तभी किसी ने याद दिलाया कि केक लाना अभी बाकी है । हड़बडा़हट मे दुपहिया की चाबी लेकर केक के लिए निकली,रास्ते भर पूरे काम की गणना किये जा रही थी ।

बेकरी से केक लेकर अब घर की ओर निकली ,तब तक तो दसो फोन आ चुके थे।

तभी सिगनल देख कर गाड़ी को रोकना पडा़,ईस मामले मै अनदेखा कभी नही करती ,रोड के नियमो का पालन करना हमेशा हमारे हित मे होता है।

गाड़ी रूकते ही एक सात आठ साल का लड़का हाथो मे गुब्बारे लिए भागते हुए मेरी तरफ आया ,और कहने लगा "ताई ले लो दस का एक है" ,

मैने कहा "नही बेटे नही चाहिए","ताई एक लेलो उसके जिद पर मैने एक लेकर उसेे बीस का नोट दे दिया ,नोट देखते ही बोला "बोहनी नही हुई है खुले पैसे दिजिए" ,मैने कहा "बेटे कुछ खा लेना। "

उसने कहा "नही फिर आप एक और ले लो ,"

"नही बेटा मै कैसे ले जा पाऊगी ,तूम बाकी के पैसे रख लो "। कई बार कहने के बाद भी नही माना, और अब हऱी लाईट होने ही वाली थी कि वह नही माना और एक गुबबारे को पकडा। कर भाग गया । वो चाहता तो वो दस रूपये रख सकता था, पर उस छोटे से लडके ने यू ही पैसे ना लेकर वो उन पैसो को कमाना बेहतर समझा । इतना छोटा लड़का इतनी बड़ी सबक दे गया।

इस बात को आज करीब चार साल हो गये पर जहन मे रच गया है और मै आज तक उस लड़के की सूरत नही भूल पाई हूँ।


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