Deepti Tiwari

Others

4  

Deepti Tiwari

Others

रोटी का दाम

रोटी का दाम

2 mins
241


आज़ मैं और मेरे पति देव अपनी गाड़ी से नागपुर से इलाहाबाद जा रहें है,सारी तैयारियां हो गई है । खाने पीने का भी प्रबंध कर लिया क्योंकि मेरे जो वो है उन्हे बाहर का खानाा पसंद नही है तो उनके पसंद का खाना जैसे पराठा, सब्जी,पुलाव, दही, आचार ये सब लेकर चलना पड़ता हैं।

अरे जल्दी करो शाम तक पहुंचना भी है ,आई ऑफ क्या शोर मचा रहे हो ,सब हो गया "जी पतिदेव", मुस्कुराते हुए.

सुबह कुछ छ बजे निकले थे अब दोपहर हो चला , थक गए होंगे ,गाड़ी कही रोककर कुछ खा लो

हा भूख तो लग रही है लाओ निकालो ये रोक दी गाड़ी श्रीमतीजी ,खिलाओ क्या खिलाना है!

एक कागज़ के प्लेट में पराठा सब्जी दिया,

वाह बहुत बढ़िया स्वाद तो है तुम्हारे हाथ में,चलो ये लो एक पराठा और लो ,अरे नही थोड़ा पुलाव दे दो ,अच्छा ........तभी गाड़ी के शीशे पर खट खट ,

एक आठ दस साल का बच्चा कुछ खाने को दे दो बहुत भुख लगी है कब से मैं यहां गाय चरा रहा हूं धूप से मुझे प्यास और भुख लगी है जो अब बरदास नही हो रहा, मुझे कोई भिखारी मत समझना हा गरीब हु पर भिखारी नहीं ,ये जो सामने खेत है ये हमारा ही है पर मेरा घर यह से कुछ दो से तीन किलोमीटर दूर है इसीलिए मैने आपसे कुछ खाने के लिए मांग लिया। अरे कोई बात नहीं बेटा अभी देती हूं भरपेट खाना, एक कागज़ की प्लेट पर दो पराठा, सब्जी और थोड़ा पुलाव दिया , थांकू आंटी बहुत ज़ोर कि भूख लगी है और वो बच्चा वही सड़क के किनारे बैठकर खाने लगा ,

उसे यूं खाते देख अच्छा लग रहा था, बता कुछ और दू ! अरे नही नहीं बहुत पेट भर गया ,ये खाना आपने बनाया था , हां कुछ मुस्कुराते हुए.

बहुत स्वादिष्ट है जब मेरी मां थी तब वो भी ऐसा ही स्वादिष्ट खाना बनाती थी पर अब वो रही नहीं तो हम तो अच्छे खाने का स्वाद ही भूल गए थे,

एक दम से खड़ा होकर नहर में हाथ धोकर आया हमने भी अपने हाथ पैर वहीं धोकर तरों ताज़ हों गए । तभी उस बच्चे ने कहा रोटी का क्या   दाम !

ये सुनते ही हम चौंक गए क्या दाम , नहीं कुछ नहीं अरे हमारे गांव में कोई मुफ्त का खाना नही खाता उसके बदले हम उसे कुछ ना कुछ जरुर देते हैं , अरे रुको जाना मत मैं अभी आया ।

हम उसकी चिंता में वहीं खड़े रहें कहा गया अपनी गायों को छोड़कर , कुछ आधे घंटे बाद एक बोरे में आम भरकर ले आया ये अपने साथ ले जाइए बहुत मीठे है और ताज़ा भी ,

ये आम कहा से लाए ,

वो हमारे ही पेड़ से है सामने जो आम का बागीचा  दिख रहा है वो हमारा ही है आपको और चाहिए तो मैं लाकर दे देता हूं।

अरे नहीं नही ये ले जाओ दो रोटी के  बदले इतने सारे आम ,

ये क्या दशहरी आम है ?

हां हां बहुत अच्छे है आप ले जाइए 

इनके इशारे पर मैने रख लिया और मेरे पास रखा मिठाई का डब्बा उसके हाथ पर रख दिया और गले लगा कर उसके लंबे उम्र कि शुभकामनाए दी,

और अब हम जब भी इलाहाबाद जाते हैं रास्ते में हम उससे ज़रूर मिलते हैं।

एक अनूठा प्यार का बंधन हमेशा के लिए बंध गया है।







Rate this content
Log in