हत्यारे
हत्यारे
"साहब मुझे तो आपसे बहुत उम्मीदें थीं कि आप दोषियों को सजा दिलायेंगे लेकिन आप तो बिक गए।" नेहा ने नफ़रत से कहा।
"सोच समझ कर बोल लड़की, ये तेरा घर नहीं पुलिस स्टेशन है। यहाँ फालतू बोलने वाले को सलाखों के पीछे बंद कर दिया जाता है समझी," पुलिस इंस्पेक्टर गुस्से में गुर्राया ।
मैं सिर्फ आपको ये बताना चाहती हूँ कि किसी को तलवार या गोली से ही नहीं मारा जाता है, शब्दों के बाण से भी मारा जाता है। मेरे पति ने जब से अपना व्यापार ससुर और भाइयों से अलग किया था तब से घर में कोई भी उनसे सीधे मुँह बात नहीं करता था, बात -बात में उन्हें जलील करते थे क्योंकि वो तरक्की कर रहे थे। दो दिनों से लगातार पूरा परिवार उनसे झगड़ रहा था तब उन्होंने आफिस के छत से कूद कर अपनी जान दे दी। आप मेरी दो वर्ष की बेटी पर तरस खा कर इंसाफ कीजिये, मेरी बात पर गौर करें और इस केस को बंद मत कीजिये। मैं आपका एहसान मानुँगी." कहते हुए नेहा रोते -रोते जमीन पर बैठ गई ।
"आपके ससुर तो कह रहे थे कि व्यापार में लगातार हो रहे घाटे के कारण आपके पति ने जान दी है, उस पर काफी कर्ज भी हो गया था।" इंस्पेक्टर हैरानी से बोला ।
"नहीं सर ,आप तहकीकात तो कीजिये, मुझे तो आज दस दिनों बाद थोड़ा होश आया और मैं अस्पताल से सीधे आपके पास आई हूँ क्योंकि अब मुझे उस घर में वापस नहीं जाना है, वहाँ मेरे पति के हत्यारे रहते हैं।" नेहा ने सिसकते हुए कहा।
"आप भरोसा रखें, आपको इंसाफ जरूर मिलेगा। मैंने कितनी बार आपका बयान लेना चाहा लेकिन आप बेहोश थीं। मैंने कोई पैसे नहीं लिए है आपके ससुराल वालो से , मैं दोबारा जाँच करूँगा और दोषियों को सजा जरूर मिलेगी।" इंस्पेक्टर ने दृढ़ता से कहा।
"मुझे माफ कर दें, मैने आप को बहुत कुछ बोल दिया, मैं आपे में नहीं हूँ ।अब मुझे चलना चाहिए"। नेहा ने कहा।
"मैं समझ सकता हूँ मुझे आप से पूरी हमदर्दी है , अगर आप नहीं आतीं तो सच्चाई कभी सामने नहीं आती और केस बंद हो जाता ।मैं आपके साथ एक आदमी को भेज देता हूँ जो आप को घर तक छोड़ देगा।" इंस्पेक्टर सांत्वना देते हुए बोला।
"मेरे पति के हत्यारे को छोड़ना मत इंस्पेक्टर " नेहा ने आँसू पोंछते हुए कहा।
"मुझ पर विश्वास रखें मैं अपनी डयूटी पूरी इमानदारी से करूँगा।" इंस्पेकटर ने भरोसा दिलाते हुए कहा।
