Veena Mishra ( Ratna )

Children Stories

5.0  

Veena Mishra ( Ratna )

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रुटीन

रुटीन

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"मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ जो आपकी बनाई रूटीन फालो करूँगी , मुझे टोकना छोड़ दो।" मीरा ने झिड़की दी माँ को।

किस तरह से बोल रही है तू ? माँ की रूटिन से ही इतनी तरक्की हुई है तुम्हारी ।" माँ ने गुस्से से बोला।

"मेरी मेहनत से तरक्की हुई है मेरी ,आपकी वजह से नहीं समझी, खुद को क्रेडिट मत दो हुंह"... कहती हुई मीरा अपने कमरे में चली गई।

माँ के आँसू नहीं थम रहे थे और माँ ने मन में कुछ फैसले लिए। वक्त गुजरता रहा, मीरा के छमाही का रिजलट था लेकिन माँ स्कूल भी नहीं गयी मगर मन ही मन बेचैन थी उसकी रिजलट को लेकर। तभी फोन आ गया मीरा के टीचर का कि मीरा के अंक बहुत खराब आए हैं ।उन्हें डर है कि वो कोई गलत कदम ना उठा ले।

मीरा तभी घर आ गई और माँ को देखते ही उनके पास बैठ कर काँपते हाथों से माँ को रिजलट थमाया और माँ के गोद में सिर रख कर रोने लगी, "मुझे माफ कर दो माँ.. मैं अपनी सहेलियों के बातों में आकर बहक गई थी लेकिन अब मैं वही करूंगी जो आप कहोगी।" मीरा ने कान पकड़ कर सिसकते हुए कहा।

"बस बेटा बस ,सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। देख बेटा ये तो छमाही है अभी तेरे पास बहुत समय है खुद को सुधारने के लिए। भगवान का शुक्र मना कि ये अंक वार्षिक परीक्षा में नहीं जुड़ते हैं । ये तेरी बारहवीँ हैं इसी पर तेरा भविष्य टिका है, अगर तुम अपने डाक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहती हो तो दिन रात एक करना पड़ेगा।" माँ ने समझाते हुए कहा।

"माँ क्या मैं फिर पहले की तरह प्रथम श्रेणी हासिल कर सकूँगी?" मीरा ने रुआँसी होकर पूछा।

"हाँ जरूर।" मेरी बातें मानोगी तो माँ ने दिलासा दिया।

"माँ फिर से मेरा रूटीन बना दो, आपकी बात नहीं मानने की सजा मिली है मुझे।"मीरा ने निराशा से कहा।

मेरा बच्चा, मैं हूँ न आपको फिर उसी मुकाम पर खड़ी कर दूँगी। बस पापा को अपने अंक मत दिखाना वर्ना वो बहुत परेशान हो जाएंगे ।"माँ ने मीरा को गले लगाते हुए कहा।


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