Veena Mishra ( Ratna )

Drama

5.0  

Veena Mishra ( Ratna )

Drama

अंजान सफर

अंजान सफर

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मेरी तो कोई सुनता ही नहीं है अब बोलो क्या करोगे ?सीमा  घबराते हुए बोली 

मैं इसीलिये मना कर  रही थी कि रिया को कराटे सिखाने की जरूरत नहीं है अब उसे कैसे भेजेंगे इतनी दूर ? अब है कोई जवाब आपके पास ? बोलो? 

तो क्या चाहती हो, कि हमें अपनी बेटी  को मौका नहीं देना चाहिए आगे बढ़ने का ? ये उसका हक है, समझने की कोशिश करो आज वक्त बदल चुका है। बेटियों को भी उतना ही मौका मिलना चाहिए जितना हमारे समाज में बेटों को मिलता है। एक बात ध्यान से सुन लो तुम चाहे जो भी कह लो मैं अपनी बेटी को तरक्की के सारे साधन दूँगा और उसके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होने दूँगा। समझ गई सीमा तुम ? रिया के पापा गुस्से से बोले। 

मुझे कुछ नहीं सुनना,  मैं कहीं नहीं भेजने वाली अपनी बेटी को समझे?  अकेली लड़की इतने सारे लड़कों के साथ कैसे सफर करेगी ? मुझे नहीं खिलाना राज्य स्तर पर अपनी बेटी को, नहीं चाहिए कोई मैडल। सीमा ने जिद्द भरे स्वर में बोला। 

अब बस भी करो सीमा, क्यों इतना परेशान हो रही हो ? मैं रिया का दुश्मन नहीं हूँ, रिया के कोच ने मुझे बता कर ही रिया को दिल्ली भेजने का फैसला किया है और मैंने उसी दिन टिकट बुक करा लिया था। हम तीनों का और वहाँ रहने के लिए होटल में कमरा भी बुक करा लिया है। हमारी बेटी हमारे साथ जायेगी, प्रैक्टिस के समय हम उसे कोच के पास छोड़ आएंगे प्रैक्टिस के बाद अपने साथ ले आएंगे, रिया के पिता ने सीमा को समझाते हुए बोला।  

देखो सीमा लड़की होने का अर्थ ये नहीं कि हम उसकी इच्छाओं को मार दें। वो इतना अच्छा कर रही है हमें उस पर गर्व होना चाहिए। जीवन का हर सफर जाना पहचाना नहीं होता। कुछ सफर अनजाना भी होता है जिस पर चल कर हम सफल भी हो सकते हैं। अगर हमने अपनी मर्जी रिया पर थोपी होती तो शायद आज हमारी बेटी इतनी सफल नहीं होती। रिया के पिता ने समझाने के अंदाज में बोला।

आप सही हो, लेकिन सीमा हिचकिचाते हुए बोली ।

लेकिन क्या सीमा? लेकिन क्या? एक बार अपने दिल पर हाथ रख कर बोलो कि क्या तुम्हारे कोई सपने नहीं थे अपने कैरियर को लेकर ? तुम भी शहर जा कर पढ़ना चाहती टीचर बनना चाहती थी। याद करो उस पल को जब तुम्हारे माँ बाप ने तुम्हें  साफ साफ मना कर दिया था शहर जाने को तब तुमने  दो दिनों तक खाना नहीं खाया था फिर भी किसी ने तुम्हारी परवाह नहीं की। क्या वही सब अपनी बेटी के साथ दोहराना चाहती हो? रिया के पिता ने प्यार से समझाते हुए कहा सीमा से। 

मैं समझ गई कि आप मुझे क्या समझाना चाहते हो? 

जिस दर्द से मैं गुजर चुकी हूँ वो दर्द अपनी बेटी को कभी नहीं दे सकती। आपने  मेरी जिंदगी का वो कड़वा सच मुझे याद दिला कर मेरी आँखों से पट्टी हटा दी अब मैं अपनी बेटी के सपनों के राह में काँटा नहीं बनुंगी। सीमा ने भावुक हो कर बोली । 

सीमा का  हाथ  अपने हाथ में ले कर रिया के पिता ने कहा ये हुई  ना बात , लेकिन सीमा मुझे माफ कर दो आज मैंने तुम्हारा दिल दुखाया। 

कोई बात नहीं वैसे एक बात ठीक कहा आपने ,कभी कुछ अलग पहचान बनाने के लिए अंजान सफर पर भी चलना पड़ता है। मैं दिल्ली चलने की तैयारी करती हूँ ।हमें अपनी बेटी को उसके सपने पूरे करने में उसका पूरा साथ देंगे सीमा ने मुस्कराते हुए कहा।


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