भीम
भीम
मैंने बहुत बच्चों को पढ़ाया लेकिन भीम सबसे अलग था, वो गूँगा नहीं था लेकिन वो बोलता नहीं था और इसीलिए उसकी माँ ने मुझसे वादा ले लिया कि मैं भीम को पढ़ाने से मना नहीं करूँगी कयोंकि उसे कोई भी पढा़ने को तैयार नहीं हो रहा है स्कूल से भी निकाल दिया गया है उसकी माँ बुरी तरह रोये जा रही थी मैंने उन्हें दिलासा दिया।
भीम को जो भी बुलवा देगा उसे मैं दस रुपये दूँगी, मैंने ऐसा बच्चों को कहा तो सारे उसे बुलवाने की कोशिश करने लगे लेकिन सब असफल रहे फिर मुझे लगा कि जब तक ये स्वयं नहीं चाहेगा तब तक कोई इसे नहीं बुलवा सकता।
मैंने प्रयास छोड़ दिया फिर एक महीने के बाद उसने मेरे कान में धीरे से बोला -गुड मारनिंग और उसके बाद तो ऐसा बोला कि बस सब हैरान रह गए ।उसके बाद उसके घर वाले मुझसे बारी - 2 से मिलने आने लगे और मैं समझ गई कि बच्चेंभी अपनी ख़ुशी से कार्य करते हैं।