हत्यारे

हत्यारे

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आज वो एकदम गुमशुम हो गई। घर की लाडली थी इस कारण हर कदम पर टोका टोकी होती रहती। घर वाले को डर लगता कहीं उसे चोट न लग जाए। बचपन में ये बात कभी-कभी खलती थी पर धीरे-धीरे वह आदि हो गई । फिर जैसे जैसे बड़ी हुई घर वाले भी टोका-टोकी कम करते हुए लगभग बन्द ही कर दिया। पर लड़की होने के कारण कभी कभी टोक दी जाती।   

बचपन में टोका-टोकी का एक बहुत बड़ा कारण था कि वो बहुत भावुक थी। चिड़ियाँ चुरुँग,पशु सबके प्रति इतनी सहानुभूति दिखाती कि घर वाले डर जाते। बड़े होने के साथ थोड़ी समझदार हुई तो अपना भला-बुरा सोच कर कुछ करती। भावुक थी तो भावना तो बनी ही रह  वो दसवीं क्लास में थी घर के सामने एक लावारिस कुत्ता हमेशा बैठा रहता। उसके पैर में थोड़ी चोट लगी थी जिस कारण उसे चलने में तकलीफ होती। अब बो नित्य अपने खाने में से निकाल कर पहले उस कुत्ते को खिलाती फिर अपने खाती। जिस कारण इस उम्र में भी वह डाँट खा जाती। एक दिन जब वह स्कूल गई थी उस कुत्ते को किसी ने मार कर भगा दिया। वह बहुत रोइ। दो दिनों तक किसी से बात नहीं की। पर घर वाले खुश थे। उन्हें लगता बीमार कुत्ता है बिना मतलब का कहीं कोई बीमारी न फैला दे।   एक दिन स्कूल से लौट रही थी एक स्कूटर पर दो लड़के सवार थे वे उसके तरफ लपक कर उसके बैग को लपकना चाह रहे थे।

कहीं से वो कुत्ता आ गया। जो चलने में लंगड़ाता था वह उस स्कूटर सवार पर एकाएक कूद पड़ा। गिरने से उसे मात्र हल्की खरोच आ पर स्कूटर सवार गिर गया और लोगों ने उसे पकड़ लिया। इस भागमभाग में किसी ने नहीं देखा कि उस कुत्ते को भी चोट लगी है। घर वाले परेशान हो उसे लेकर डॉक्टर के पास दौड़ पड़े। खरोच इतनी हल्की थी कि डॉक्टर को भी हँसी आ गई। उन्होंने कहा - खेलती नहीं है क्या। खेल कूद में तो इससे बहुत ज्यादा चोट लगती है। बच्चों को खेलने भी दिया कीजिए।

घर आकर माँ सर में तेल डालने लगी। दादी पांव में मालिस करते हुए कहने लगी डॉक्टर को क्या कुछ भी बोल देते हैं। अपनी बच्ची होती तब तो समझते कितनी चोट लगी है। हाथ-पांव नहीं टूटा भगवान का शुक्र है। दादी तेल लगा रही थी और लगातार बोले जा रही थी। दो दिन स्कूल नहीं गई। फिर गाड़ी से स्कूल जाने लगी।   दो दिनों के बाद वो बाहर निकल अपने फुलवारी में टहल रही थी तो उसे किसी जानवर के कराहने की आवाज सुनाई दी। वो बेचैन हो खोजने लगी। उसे वो कुत्ता याद आ गया। मगर कहीं कुछ दिखा नहीं।

वो सड़क पर जाकर देखना चाह रही थी कि किसी ने देख लिया और कस कर डाँट खाई। वापस घर आ गई। रात भर वो आवाज उसे सोने नहीं दिया। आधी रात तक वो जगी रही पर धीरे-धीरे वो आवाज धीमी होते होते खत्म हो गई। आवाज बंद होने के बाद उसे भी नींद आ गई। 

एक दिन के बाद वातावरण में बदबू फैलने लगी। वहाँ रहना मुश्किल होने लगा तो सभी ने मिल कर खोज जारी की सड़क के किनारे झाड़ी में वो कुत्ता मरा पड़ा था। शायद उस दिन स्कूटर से उसे कस कर चोट लग गई थी और उसी कारण वो दो दिन से कराहते हुए अपनी जीवन लीला समाप्त कियजैसे उसे ये सब मालूम हुआ वो दौड़ कर दादी के पास गई उन्हें बहुत कुछ सुनाया और कहा जितना भी मैंने उस कुत्ते को खिलाया उससे ज्यादा उसने आपको वापस कर दिया। अपनी जान देकर आपकी पोती को बचा दिया। तुम सब हत्यारे हो हत्यारे हो बोलते-बोलते वो एकाएक चुप हो गई और अब तो महीनों हो गए वो चुप गुमशुम है।


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