होली का ख़ुमार
होली का ख़ुमार
होली है, होली है, बुरा न मानो होली है।
जागेश्वर खुशी से झूम-झूम कर दोस्तों के साथ होली खेलने में मस्त था। दो दिन पहले ही शहर से गाँव होली मनाने परिवार के पास आया है। दोस्तों ने उसी के रुपयों से शराब खरीदने में ज़रा भी देरी नहीं की। जागेश्वर भी प्रसन्न होकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा रहा था।दोस्तों के साथ गली मोहल्ले में हुड़दंग करते हुए लड़कियों पर फब्तियाँ कसते हुए सब शराब के नशे में मस्ती के मूड में थे।
तभी दोस्तों ने कहा कि सब मिलकर मोटर साइकिल से गाँव से बाहर हाईवे पर चलते हैं। कुछ दोस्त तैयार हो गये। कुछ ने परिवार के डर से जाने से इंकार कर दिया।
जागेश्वर और उसके पाँच दोस्त दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर हाईवे की तरह निकल गये। सब हो हल्ला मचाते हुए हाईवे पर भागती गाड़ियों से रेस लगाने लगे।तभी तेजी से आते ट्रक से होड़ लगाने के चक्कर में दोनों मोटरसाइकिलें आपस में ही टकरा गयीं। छहों दोस्त सड़क पर लहुलुहान होकर पड़े थे।
गाड़ियाँ आ जा रही थीं पर पुलिस के झंझट से बचने के लिए कोई रुक नहीं रहा था। आगे जाकर किसी ने पुलिस को इस दुर्घटना की जानकारी दी। तब जाकर पुलिस ने आकर सभी को अस्पताल पहुँचाया।
दो दोस्त तो घटनास्थल पर ही मर गये थे, एक ने अस्पताल जाते-जाते रास्ते में दम तोड़ दिया। जागेश्वर और उसके दो दोस्त जीवन मृत्यु से लड़ रहे थे।
उनके परिवार के सदस्य भी अस्पताल पहुँच चुके थे, और रोते हुए कह रहे थे होली की ख़ुमारी में इन्होंने अपनी मौत को गले लगा लिया।