घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा
“सो रही है महारानी.. जा विमला चाय दे उसे.. पहाड़ तोड़ कर आयी है.. अहसान करती है हम पर नौकरी करके।”
आॅफिस से लौटते समय सात माह की मीठी को क्रेच से साथ लेकर आयी स्निग्धा उसे फीडिंग कराने बेड पर लेटी थी कि जाने कब आँख लग गयी। सासू माँ की तीखी आवाज़ से उसकी आँख खुली और वह हड़बड़ा कर उठ बैठी।
शहर के प्रतिष्ठित परिवार में ब्याह कर आयी स्निग्धा विवाह पूर्व ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है। पति के कहने पर उसने नौकरी नहीं छोड़ी। पति दूसरे शहर में काम करते है। इसलिये वह ससुराल में ही रहती है। सास ने मीठी के जन्म के साथ ही साफ-साफ कह दिया था कि वह इसकी देखभाल नहीं कर सकती। सो क्रेच में मीठी को छोड़कर जाती थी स्निग्धा। लंच टाइम में भी मीठी को देख आती थी।
तभी चाय लेकर आ गयी विमला। उसकी सूजी आँखें और माथे पर चोट का निशान देखकर स्निग्धा समझ गयी कि आज फिर उसके निकम्मे पति और सास ने उसे पीटा है। चाय टेबल पर रख विमला चली गयी।
स्निग्धा सोच रही थी, आए दिन शारीरिक प्रताड़ना सहती है विमला... और मैं...ताने-उलाहने के चुभते तीर के रूप में मानसिक प्रताड़ना...
आखिर क्या परिभाषा है घरेलू हिंसा की? हम दोनों ही तो घरेलू हिंसा के शिकार है।