दोसा
दोसा
यूँ तो मुझे सभी कुछ खाना पसंद है। परन्तु, मुझे दोसा बहुत पसंद है। इससे जुड़ा एक वाकया याद आ रहा है।
तब मैंने स्नातक में प्रवेश लिया। मैं बहुत घरेलू सी लड़की थी। बाहर खाने-पीने के नाम पर बस समोसा, गोलगप्पे और आलू की टिक्की तक ही सीमित थी।
एक दिन काॅलेज में जल्दी छुट्टी हो गयी तो दोस्तों के साथ मार्केट में घूम रही थी। तभी मेरे रिश्ते के एक भाई मिल गये। उन्होंने हमें रेस्तराँ में चलने को कहा और हम सबके दोसा मंगवाया। दोसा आया और साथ में छुरी काँटे भी। सब चाव से खाने लगे। मैं कभी दोसा देखती कभी छुरी काँटा। क्यों कि मैंने पहले कभी न दोसा खाया था न छुरी काँटा का प्रयोग करना मुझे आता था। सबने मुझे खाने के लिये कहा तो मैंने कहा। मुझे दोसा बिल्कुल भी पसन्द नहीं।
फिर मेरे लिये कोल्ड काॅफी मँगायी गयी। आज दोसा मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। पर उस घटना को याद करती हूँ तो चेहरे पर मुस्कुराहट खुद ब खुद आ जाती है।