मेरा संकल्प
मेरा संकल्प
वर्ष 2016 में एक दुर्घटना में मेरी कूल्हे की हड्डी टूट गयी थी। डाक्टर आपरेशन कर के प्लेट लगा दी ।
बहुत लम्बे समय तक मैं बिस्तर पर ही रही। सिर्फ लेटे रहना था, करवट बदलना यहाँ तक कि नित्यकर्म के लिए उठना भी मना था।
बिस्तर पर पड़े-पड़े मेरा वजन 64 केजी हो गया। जब मैं कुछ ठीक हुई तो डाक्टर के सलाह अनुसार ही धीरे-धीरे व्हील चेयर, वाॅकर और और फिर स्टिक के सहारे चलने लगी। एक दिन डाक्टर ने कहा आपकी रिकवरी बहुत अच्छी हो रही है पर आप वजन पर नियंत्रण नहीं रखेंगी तो बहुत परेशानी होगी।
बस उसी दिन से मैंने वजन कम करने का प्रण कर लिया। और धीरे-धीरे टहलने का समय बढ़ाना आरम्भ किया और साथ ही खाने पर नियंत्रण किया। डाक्टर के द्वारा बताये गये व्यायाम तो मैं करती ही थी
और एक समय ऐसा आया कि मैं डेढ़ घंटे नियमित टहलने लगी। इसका फायदा यह हुआ कि मेरे पैरों का दर्द खत्म हो गया, वजन 54 केजी हो गया। और पति और उनके मित्रों के साथ ज़िद करके 1918 में दो बार पैदल केदारनाथ यात्रा कर आयी। यह भोले बाबा की कृपा ही थी।