हमने पीला रंग चुना हैं
हमने पीला रंग चुना हैं


नेहा और रोहित के घर मे आज कई सालो बाद खुशियाँ आयी थी। नेहा माँ बनने वाली थी। रोहित अपने घर का एकलौता चिराग था। इसीलिए भीं नेहा के माँ बनने की खबर ने पुरे घर मे खुशियाँ फैला दी थी। सब नेहा को हाथो हाथ ले रहे थे। उनके घर मे रोहित के बाद आने आने वाला ये पहला मेहमान था।
नेहा को हर हिदायत दी जा रही थी। ऐसा करो ऐसा मत करो। ये खाओ वो मत खाओ। अब ऑफिस जाना बंद। आराम करो। खुश रहा करो।
नेहा और रोहित भीं आने वाले मेहमान को लेकर बहुत खुश थे। रोहित और घरवाले नेहा की हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते उसका पूरा ध्यान रखते। नेहा भीं अपना पूरा ध्यान रखती थी। नेहा की सासु माँ, लता जी उसे बहुत सारी हिदायते देती रहती। वो उसका बहुत ख्याल रखती थी। उन्होंने उसके कमरे बहुत सारे बच्चों के पोस्टर लाकर लगा दिए जो बहुत प्यारे थे। नेहा को बस एक बात बुरी लगी की सारे लडके थे। हालांकि उसने लता जी से कुछ नहीं कहा।
लता जी ने रोहित के बचपन के कुछ कपड़े संभाल के रखे थे वो भीं निकाल कर साफ करके रखवा दिए। नेहा की गोद भराई का दिन था। सारा परिवार आया था। सबने नेहा को ढेरो आशीर्वाद दिए। और अधिकतर लोग चाहते थे की लड़का हो।
नेहा और रोहित ने ऐसा कुछ सोचा नहीं था की उन्हें लड़का चाहिये या लड़की बस इतना चाहते थे की जो भीं बच्चा हो स्वस्थ हो। उन्होंने दोनों के लिये नाम सोच कर रखे थे। गोद भराई के बाद नेहा अपने मायके चली गयी
नेहा और रोहित का कमरा ऊपर था और डिलीवरी के बाद उसके लिये सीढिया चढ़ना उतरना मुश्किल होगा इसीलिए रोहित ने निचे के गेस्ट रूम को साफ करवा कर उसमे पुताई करवाने की सोची । माँ से भीं कहा तो माँ बोली हा बेटा करवा लो अच्छे से साफ और कमरे का रंग नीला करवाना और उसे अच्छे से सजाना। रोहित जानता था माँ लड़का चाहती है। पर वो उनसे बहस नहीं करना चाहता था तो कुछ नहीं बोला।
रोहित ने नेहा से बात की और कमरे का रंग रोगन कर उसे नया सा बना दिया। ज़ब सबने कमरा देखा तो सब को आश्चर्य हुआ। क्युकि कमरे मे पिला रंग करवाया हुआ था। माँ ने रोहित से पूछा ये क्या है।
तो रोहित ने बोला माँ हमने पीला रंग चुना है। क्युकि मैं और नेहा नहीं चाहते की हम हमारे बच्चे को लड़की या लड़का होने के बंधन मे बाँधे। लड़की हो या लड़का हमारे लिये दोनों एक समान है। गुलाबी रंग या नीला रंग करके हम उसको सीमाओं मे नहीं बांधना चाहते। तुम लड़की हो तुम्हे ऐसे रहना है ये करो ये मत करो।
या तुम लडके हो तुम रो नहीं सकते तुम ये नहीं कर सकते। ये सारी बाते हम हमारे बच्चे से नहीं करना चाहते। हम चाहते हैं वो खुद अपनी दिशा चुने। और उसका आधार लड़की या लड़की होना ना हो। बस इसीलिए मैंने और नेहा ने मिलकर पीला रंग चुना है।
माँ तो कुछ नहीं बोली पर पिताजी ने रोहित को शाबासी दी और कहा बहुत अच्छे बेटा। अब तो हम हमारे अस्पताल मे भीं गुलाबी और नीला हटा कर सारे बच्चों के कमरे पिले रंग मे रंगवाएँगे।
नेहा ने एक सुंदर और प्यारी बेटी को जन्म दिया उन्होंने उसका नाम सोना रखा।। और सुनहरे पिले कमरे मे उसके स्वागत के लिये सारी पिली चीज़े लगाई। माँ बहुत खुश नहीं थी पर ज़ब उस नन्ही सी कली को गोद मे लिया सारी नाराजगी दूर हो गयी। उन्होंने अपने गले मे से सोने की चैन निकाल कर सोना को पहना दी और कहा मेरी सोना को मेरा पहला तोहफा सोना।