हिप्नोटाइज - 7

हिप्नोटाइज - 7

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काॅलेज से बाहर आते ही दिव्या बोली - "रवि ! मुझे अमर से मिलना है। कहां होगा इस वक्त वो ?"

"इस समय तो वह अपनी फरारी में घूम रहा होगा। तुम शाम के समय उससे मिल सकती हो।"

"राॅयल कैसीनो में ?"

"हाँ वहीं।" 

"अच्छा रवि! एक बात बताओ।"

"पूछो।" 

"तुम अमर को क्यों नहीं समझाते कि उसे सारी गलत आदतें छोड़ देनी चाहिए। वह तुम्हारी बात जरुर मानेगा। आखिर दोस्त हो तुम उसके।"

"था, पर अब नहीं हूँ।"

"क्या मतलब ?"

"वह दोस्ती शब्द से नफरत करने लगा है, उसे लगता है कि उसके अपने ही दोस्त मतलबी है और उसका यह ' लगना ' ही उसकी बर्बादी का कारण है।"

"इट्स ओके। आज शाम मिलती हूँ राॅयल कैसीनो में उससे।"

तो दिव्या ने तय कर लिया था कि शाम को वह अमर से मिलेगी, मगर कब किसको किससे और कहां मिलना है, यह हमेशा इंसान तय नहीं करता। कभी-कभी भगवान को भी इसमें दखल देना पडता है और भगवान की इसी दखलंदाजी को ' किस्मत ' कहते है। आज कुछ ऐसा ही होने वाला था। दिव्या अमर से मुकर्रर किये गये वक्त से पहले ही मिलने वाली थी।

दिव्या ने अपनी स्कूटी संभाली और घर की ओर दौडा दी। 

कुछ ही दूर जा पायी थी दिव्या कि अचानक एक कार ने आकर स्कूटी को टक्कर लगा दी। स्कूटी गिर पडी और स्कूटी के साथ दिव्या भी गिर पडी। 

दिव्या का एक्सीडेंट हो चुका था। दिव्या घटनास्थल पर ही बेहोश हो गयी।

"मैडम ! आपको इनके खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी है ? "- काफी देर बाद जब दिव्या को होश आया तो सबसे पहले उसे अपने सामने पुलिस इंस्पेक्टर दिखाई दिया।

वह हाॅस्पिटल में थी और पुलिस इंस्पेक्टर उसका बयान लेना चाहता था।

दिव्या ने अपने दिमाग पर थोड़ा जोर दिया तो उसे याद आया कि किसी कार से उसका एक्सीडेंट हुआ था।

"कैसी रिपोर्ट ? "- दिव्या ने पूछा।

"मिस्टर अमर जडेजा की कार से आपका एक्सीडेंट हुआ है।" 

"मेरा ध्यान कहीं ओर था इंस्पेक्टर और एक्सीडेंट मेरी ही गलती से हुआ। इसीलिये मुझे कोई रिपोर्ट नहीं लिखवानी, अपने एक्सीडेंट की जिम्मेदार मैं खुद हूँ।"


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