Vijay Paliwal

Drama

5.0  

Vijay Paliwal

Drama

हिप्नोटाइज-3

हिप्नोटाइज-3

3 mins
497


"क्या? मेरे बोलने पर तुम्हें अजीब लग रहा है? और... और... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई...” अब विकास ने उस लडकी को देखा, जो कुतिया के साथ उस पार्क में आयी थी।

वह 21 वर्ष की एक खूबसूरत लडकी थी।

"साॅरी!" विकास बोला, “मैं तो बस..."

"कोई बात नहीं,” लडकी ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हैलो! मेरा नाम विकास है और मैं 12 साल का हूँ।" अपना परिचय देते हुए विकास ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”

"दिव्या!" लडकी ने कहा, "तुम्हें जीनी पसंद है?"

"बहुत... यह बहुत अच्छी है।"

"अच्छा! तुम्हारा नाम क्या है?"

"विकास।"

“वाह! यह तो बहुत अच्छा नाम है।”

"धन्यवाद।" कहते हुए विकास ने पूछा, “क्या मैं जीनी के साथ कुछ देर खेल सकता हूँ?”

"जरुर!” दिव्या बोली, “इसे भी नया दोस्त पाकर खुशी होगी।”


विकास जीनी के साथ खेलने लगा और दिव्या पार्क में टहलने लगी।

जीनी को देखकर दूसरे बच्चे भी उसके पास आने लगे। पर जब उन्होंने जीनी के साथ विकास को देखा, तो वे दूर हट गये।

"दिव्या! तुम विकास को जानती हो?" एक लडके ने पूछा।

"हाँ।"

"कौन है विकास?"

"वो जो जीनी के साथ खेल रहा है।” 

"जीनी कौन?"

"वह कुतिया जो विकास के साथ है।"

"तो उसका नाम जीनी है!"

"हाँ। अच्छा नाम है ना?”

”अच्छा था, पर अब नहीं रहा।"

"क्या मतलब?"

"अब उसका नाम गन्दा हो गया है, क्योंकि उसने विकास के साथ दोस्ती कर ली है।”

"क्या?” दिव्या चकित थी, “तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?”

"लगता है तुम विकास को जानती नहीं हो। विकास गन्दा लडका है और कोई उससे बोलना भी पसंद नहीं करता।"

"क्यों?”"

"यह तुम विकास से ही पूछो।"


दिव्या विकास के पास गयी और उस लडके के साथ हुई बात के बारे में उसने विकास को बताया।

"मुझे माफ कर दो दिव्या!” विकास बोला, “मेरे कारण..." 

"तुम माफी क्यों मांग रहे हो? और वो लडका क्यों कह रहा था कि तुम गन्दे लडके हो।” 

"दिव्या! सच तो यह है कि मेरे साफ - सुथरे कपडे देखकर कोई भी अजनबी धोखा खा जाता है। मैं एक अनाथ हूँ। मेरी मां ने मुझे जन्म देते ही कचरे के डिब्बे में डाल दिया था। एक हरिजन महिला ने मुझे अपने पास रखा। 11 साल का होने पर उसने मुझे अपने साथ काम करने के लिये कहा, पर मैंने नालियाँ, गटर और सडकें साफ करने से मना कर दिया। उसने मुझे छोड़ दिया और पिछले एक साल से मैं अकेला हूँ।”


12 साल के छोटे से बच्चे के मुंह से इतनी बडी बात सुनकर दिव्या चकित रह गयी। उसने पूछा, “तुम्हें कैसे मालूम चला कि तुम अनाथ हो और तुम्हारी माँ ने तुम्हें कचरे के डिब्बे में डाला?”

विकास ने बताया, “हरिजन महिला से जब मैंने काम नहीं करने की बात कही, तब उसने बताया।”

"तो अब तुम्हें भोजन कौन देता है? तुम रहते कहाँ हो और सबको तुम्हारे बारे में कैसे पता?”

"मैं इसी पार्क के पास वाली बस्ती में रहता हूँ। जब से मैंने हरिजन महिला को बताया कि मैं गटर साफ करने का काम नहीं कर सकता, तभी से वो मुझसे नफरत करने लगी है। इसी कारण वह जहां भी जाती है, वहाँ के लोगों को मेरे बारे में सब कुछ बता देती है।”

"फिर, तुम्हें ये कपडे और भोजन कौन देता है?”

"मेरा एक दोस्त है - रहीम। उसके पिताजी मेरा बहुत ध्यान रखते है। वे ही मुझे अच्छे कपडे और खाना देते है।" विकास बता रहा था, "मैं जानता हूँ कि अमीर हरिजन से ही सब दोस्ती करते है, गरीब हरिजन से नहीं। इसीलिये मैं जल्द ही अमीर बनकर सबसे दोस्ती करना चाहता हूँ।”

दिव्या बोली, “तुम जरुर एक दिन बहुत अमीर बन जाओगे। पर मैं और जीनी हमेशा तुम्हारे दोस्त रहेंगे। तुम हर रोज जीनी और मेरे साथ खेला करो।”

विकास बहुत खुश हुआ। 

पहली बार, एक ऐसी लडकी उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढा रही थी, जो हरिजन नहीं थी, बल्कि ब्राह्मण थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama